आए दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर गलत आरोप लगाने वाले राहुल गांधी के अतिप्रिय और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राहुल के पदचिन्हों पर चलते हुए आदेश दिया है कि कोई भी सरकारी कर्मचारी संघ, आनंद मार्ग और जमात-ए-इस्लामी के कार्यक्रमों में भाग न लें, अन्यथा विभागीय कार्रवाई की जाएगी
कांग्रेस लगातार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विरुद्ध षड्यंत्र रचती रहती है। इस बार यह काम राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने किया है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों राजस्थान सरकार ने कहा है कि राजस्थान में कोई भी सरकारी कर्मचारी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जमात-ए-इस्लामी और आनंद मार्ग जैसे संगठनों की सदस्यता नहीं ले सकेगा और न ही इनके कार्यक्रमों में भाग लेगा। यह भी कहा है कि कोई भी सरकारी कर्मचारी इन संगठनों के संदेशों या विचारों को सोशल मीडिया के जरिए एक—दूसरे को नहीं भेजेगा। यह भी चेताया है कि जो कर्मचारी इस आदेश का उल्लंघन करेगा, उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। दरअसल, राजस्थान सरकार के निशाने पर तो केवल और केवल संघ है, लेकिन उसके आदेश को कोई पक्षपाती न कहे, इसलिए इसमें जमात—ए—इस्लामी जैसे संगठनों को भी जोड़ दिया है। कहा जा रहा है कि पिछले दिनों भारतीय ट्राइबल पार्टी के विधायक राजकुमार रोत ने विधानसभा सत्र के दौरान इस संबंध में एक सवाल पूछा था। नियमानुसार विधानसभा सत्र के दौरान विधायकों द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्नों का उत्तर संबंधित विभाग का मंत्री देता है और बाद में उस उत्तर को लिखित रूप में प्रश्नकर्ता विधायक के पास भेज दिया जाता है।
विधायक को भेजे गए उत्तर में राज्य सरकार के कार्मिक विभाग ने लिखा है कि 18 मार्च, 1981 के परिपत्र के अंतर्गत कोई भी सरकारी कर्मचारी इन संगठनों की सदस्यता नहीं ले सकता। यदि कोई भी सरकारी कर्मचारी इन इनके पक्ष में सोशल मीडिया पर कुछ लिखता है, तो इसे राजस्थान असैनिक सेवाएं आचरण नियम,1971 के नियम-7 का उल्लंघन माना जाएगा। ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ राज्य कर्मचारियों के सेवा नियम 1958 के तहत नोटिस देकर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। सरकारी कर्मचारी इन संगठनों के कार्यक्रमों में शामिल नहीं हो सकते हैं। कार्मिक विभाग ने साल,1981 में एक परिपत्र जारी कर 17 संगठनों की सूची जारी की थी। इनके कार्यक्रमों में शामिल होने व सदस्यता लेने पर सरकारी कर्मचारियों पर रोक लगाए जाने की बात कही गई थी। ऐसा करने पर सेवा नियमों का उल्लंघन माना गया था।
मालूम हो कि दिसंबर, 2018 में मध्य प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी थी, तो उस समय भी मध्य प्रदेश में संघ के स्वयंसेकवकों को हतोत्साहित करने के लिए संघ विरोधी कई कदम उठाए गए थे।
—वेब प्रतिनिधि
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