सर्वोच्च न्यायालय ने देश की उच्च अदालतों से कहा है कि वे कोविड-19 से जुड़ी नीति और प्रबंधन को लेकर ‘ऐसे आदेश पारित न करें, जिन्हें लागू करना असंभव हो।‘ साथ ही, कहा कि उच्च न्यायालयों को उन मामलों के निपटारे से भी बचना चाहिए, जिनका राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव पड़ता हो। उत्तर प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों में क्वारंटाइन सेंटरों की स्थिति और कोरोना पॉजिटिव मरीजों को बेहतर इलाज मुहैया कराने की मांग से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने यह बात कही। इसी के साथ शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 18 मई के आदेश पर रोक लगा दिया, जिसमेें राज्य की चिकित्सा प्रणाली ‘राम भरोसे’ करार देेेेते हुए कई निर्देश दिए गए थे। अदालत ने यह भी कहा था कि सर्वोच्च न्यायालय अखिल भारतीय मुद्दों से निपट रहा है।
न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कोविड -19 मामलों की सुनवाई में उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा, “हमारी राय है कि उच्च न्यायालयों को निर्देशों की संभावना पर विचार करना चाहिए और अदालत को ऐसे आदेश पारित करने से बचना चाहिए जो असंभव हैं। हमने आदेश को संतुलित किया है। हम उच्च न्यायालयों और राज्य सरकार का भी मनोबल नहीं गिराना चाहते।”
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने क्या कहा था?
उच्च अदालत ने कोविड-19 प्रबंधन को लेकर राज्य सरकार के प्रति नाराजगी जताते हुए टिप्पणी की थी कि सूबे के गांवों और छोटे शहरों में चिकित्सा प्रणाली ‘राम भरोसे’ यानी भगवान की दया पर है। अदालत ने राज्य सरकार को चार महीने के भीतर राज्य के अस्पतालों में चिकित्सा के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए कदम उठाने और पांच मेडिकल कॉलेजों (प्रयागराज, आगरा, कानपुर, गोरखपुर और मेरठ) को संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के रूप में विकसित करने का निर्देश दिया था। साथ ही, कहा था कि राज्य सरकार को भूमि अधिग्रहण के आपातकालीन कानून का सहारा लेना चाहिए और इसके लिए धन मुहैया कराना चाहिए। इन संस्थानों को भी कुछ हद तक स्वायत्तता भी दी जानी चाहिए।
न्यायाधीश सिद्धार्थ वर्मा और न्यायाधीश अजीत कुमार की खंडपीठ ने मेरठ अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में 64 वर्षीय संतोष कुमार की मौत पर नाराजगी जताते हुए यह आदेश दिया था। अदालत का कहना था कि छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में तेजी से बढ़ रहे संक्रमण के बीच कोविड मरीजों के इलाज में लापरवाही बरती जा रही है, जिसमें तत्काल सुधार की जरूरत है। साथ ही, अदालत ने राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य) से संतोष कुमार की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ ‘कड़ी कार्रवाई’ करने का निर्देश दिया था।
राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिया था कि 20 से अधिक बिस्तरों वाले प्रत्येक नर्सिंग होम/अस्पतालों में कम से कम 40 प्रतिशत बिस्तरों पर आईसीयू और 25 प्रतिशत बिस्तरों पर वेंटिलेटर की सुविधा होनी चाहिए। यही नहीं, 30 से अधिक बिस्तरों वाले हर नर्सिंग होम और अस्पताल में अनिवार्य रूप से ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र सुनिश्चित करने को कहा था। इसके अलावा, दूसरी और तीसरी श्रेणी वाले हर नगर में कम से कम 20 एंबुलेंस तथा हर गांव में आईसीयू की सुविधा वाले दो एंबुलेंस भी उपलब्ध कराने को कहा था।
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