विकास की बयार पर हावी ध्रुवीकरण की तलवार
July 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत दिल्ली

विकास की बयार पर हावी ध्रुवीकरण की तलवार

by WEB DESK
May 8, 2021, 12:56 pm IST
in दिल्ली
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

असम में भाजपा अपने विकास कार्यों के बल पर लगातार दूसरी बार सत्ता हासिल करने में सफल रही, लेकिन मुस्लिम—बहुल क्षेत्रों में विकास मुद्दा नहीं बन पाया और वहां भाजपा के कई प्रत्याशियों की जमानत भी जब्त हो गई। साफ है कि असम के मुसलमानों ने विकास को प्राथमिकता न देकर सांप्रदायिकता की राजनीति को आगे बढ़ाने का काम किया। यही कारण है कि असम भाजपा ने अपने अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ को भंग कर दिया है

असम विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने अपना अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ पंचायत से लेकर राज्य स्तर तक भंग करने की घोषणा कर दी तो मीडिया में ‘मुसलमान और भाजपा’ विषय पर बहस तेज हो चली। इसके साथ ही यह बहस भी तेज हो गयी कि क्या विकास के भाजपा के एजेंडे पर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण भारी पड़ गया है। देखा जाए तो इस चुनाव में भाजपा ने लगातार अपने पांच वर्ष के शासन और विकास के मुद्दे को ऊपर रखकर वोट मांगा, जबकि कांग्रेस नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को सांप्रदायिक रंग देती रही। इसके बावजूद राज्य के सकल परिणामों में तो भाजपा को बहुमत हासिल हो गया लेकिन मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में उसकी करारी हार ने सबको यह सोचने पर विवश कर दिया कि क्या इन क्षेत्रों में विकास कोई मुद्दा नहीं रहा!

इन परिणामों को देखकर भाजपा के वरिष्ठ नेता हिमन्त बिस्वा शर्मा का वह वक्तव्य बरबस याद आ जाता है जिसमें उन्होंने कहा था कि खुद को ‘मिया’ पहचान से जोड़ने वाले मुस्लिमों को न तो वह टिकट देना चाहेंगे और न ही ऐसे किसी ‘मिया’ मुस्लिम का वोट ही लेना चाहेंगे। उनके इस वक्तव्य पर विवाद तो खूब हुआ लेकिन यह मंझे हुए राजनेता की दूरदर्शिता ही कहनी चाहिए कि उन्हें इस बात का पूरा इल्म रहा कि इस समुदाय से वोट मिलने नहीं हैं तो उसके अनावश्यक तुष्टीकरण की कोई जरूरत भी नहीं है। उन्होंने कांग्रेस को सलाह दे डाली थी कि वही ऐसे ‘मिया’ पहचान को महिमामंडित करने वाले लोगों को टिकट दे। कांग्रेस ने ‘दाढ़ी-लुंगी की सरकार’ का नारा देने वालों के साथ गठबंधन भी किया और इस बहाने सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के अपने मकसद में कामयाब भी दिखी। ध्रुवीकरण वाले इलाकों में विकास का मुद्दा गौण होता दिखा।

राज्य में इस बार 31 मुस्लिम विधायक चुनकर आये हैं, इनमें एक भी विधायक सत्ताधारी गठबंधन से नहीं है। भाजपा ने 08 मुस्लिम उम्मीदवारों को उतारा था। इनमें सोनाई विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष अमीनुल हक लस्कर के अलावा किसी दूसरी सीट पर कोई उम्मीदवार कहीं दूर दूर तक टक्कर नहीं दे सका। सांप्रदायिक ध्रुवीकरण किस हद तक हुआ है, इसका अंदाजा नतीजों में अंतराल को देखकर भी लगाया जा सकता है। ऐसा संभवत: पहली बार हुआ है कि आठ सीटों पर हार—जीत का फासला 1,00,000 से ज्यादा वोटों का रहा है। इन आठ सीटों को मिलाकर कुल 30 सीटों पर फासला 40,000 से 1,00,000 वोटों के बीच रहा है। इन 30 में से 17 सीटें कांग्रेस-एआईयूडीएफ गठबंधन के खाते में गई हैं और उन 17 में से 15 निर्वाचित विधायक मुस्लिम हैं।

यहां गौर करने वाली बात यह है कि ये सभी 15 सीटें 50 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम आबादी वाले जिलों में हैं। इनके अलावा जिन अन्य 16 सीटों पर कांग्रेसी गठबंधन के मुस्लिम विधायक जीतकर आए हैं वे भी प्रचंड मुस्लिम बहुलता वाले क्षेत्र हैं। अनधिकृत आंकड़ों के अनुसार बारपेटा में 71 प्रतिशत, बंगाईगाँव में 50, दरंग में 64, धुबरी में 80, ग्वालपाड़ा में 58, हैलाकांदी में 60, मोरीगाँव में 53, नगांव में 55, होजाई तथा करीमगंज में 54-54 और दक्षिण सालमारा में 98 प्रतिशत के आस पास आबादी मुस्लिम समुदाय से है। इन क्षेत्रों में कांग्रेसी गठबंधन न केवल जीता है, बल्कि विशाल अंतर से जीता है। इन जिलों के कई विधानसभा क्षेत्रों में तो भाजपा मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट देकर भी इस समुदाय का विश्वास नहीं जीत पायी।

गत विधानसभा चुनाव (2016) में केवल एक सीट दिसपुर में 1,00,000 से ज्यादा मतों के अंतर से फैसला हुआ था। यहां से भाजपा के अतुल बोरा जीतने में सफल रहे थे। इस बार 07 और सीटों पर इतना बड़ा फासला दिखा है। इन आठ में से मात्र तीन सीट— दिसपुर, जालूकबारी और जोनाई पर भाजपा ने कब्जा किया, जबकि जानिया, दक्षिण सालमारा, जमुनामुख, रुपोहिहाट और धींग विपक्षी गठबंधन को मिली है। जालूकबारी सीट पर पिछली बार भाजपा के हिमन्त बिस्वा शर्मा लगभग 86,000 वोटों से जीते थे। शेष 06 सीटों पर तो अंतराल 50,000 का भी नहीं था। पिछली बार सबसे ज्यादा अंतराल वाली 10 में से 08 सीटें भाजपा या उसके सहयोगियों के पास थीं और एक निर्दलीय के खाते में। इस बार सबसे ज्यादा अंतराल वाली 10 में से 04 सीटों पर ही भाजपा गठबंधन जीत पायी है।

उपरोक्त तथ्य मुस्लिम—बहुल क्षेत्रों में भाजपा की हार के एक मुख्य कारक की ओर भी इशारा करते हैं जो अंतत: सांप्रदायिक ध्रुवीकरण से जुड़ता है। वह कारक है, कांग्रेस और एआईयूडीएफ का गठबंधन। जिन 31 सीटों पर इस गठबंधन के मुस्लिम उम्मीदवार जीते हैं उनमें से ज्यादातर पर तो या तो कांग्रेस या एआईयूडीएफ पहले से काबिज थी, कुछ सीटें इस गठजोड़ ने भाजपा गठबंधन से छीन ली। सोनाई, बरखला, काठीगोरा, बिलासिपाड़ा पूर्व, बारपेटा, और गोलकगंज सीटों पर स्पष्ट रूप से इस नए सांप्रदायिक गठजोड़ ने परिणाम निर्धारित किया है। इनमें बिलासीपाड़ा पूर्व में 49,300 और बारपेटा में 44,000 के अंतर से हार-जीत का फैसला हुआ। सोनाई में 20,000 से कम अंतर से, जबकि बाकी तीन सीटों पर 10,000 से कम मतों के अंतर से नतीजे आए हैं। ये सभी सीटें पिछली बार भाजपा के खाते में थीं और सोनाई को छोड़कर बाकी सभी पर विधायक हिन्दू थे। अब इन सभी पर मुस्लिम विधायक हैं।

68 प्रतिशत मुस्लिम वोट वाले सोनाई विधानसभा क्षेत्र का मामला तो और भी दिलचस्प है। यहां वर्तमान भाजपा विधायक और विधानसभा उपाध्यक्ष अमीनउल हक लस्कर को इस बार 52,000 वोट मिले फिर भी वे हार गए, जबकि पिछली बार वे मात्र 44,000 वोट पाकर विधायक बन गए थे। इसमें न सिर्फ कांग्रेस-एआईयूडीएफ का एकीकरण कारक रहा, बल्कि दो निर्दलीय (हिन्दू) उम्मीदवारों ने भी लगभग 17,000 से अधिक वोट लेकर भाजपा की राह मुश्किल कर दी।

जिन आठ सीटों पर भाजपा ने मुस्लिम उम्मीदवार उतारे, उनमें सोनाई, रुपोहिहाट और जानिया में भाजपा दूसरे नंबर पर तो रही लेकिन रुपोहिहाट और जानिया में हार का फासला 1,00,000 से अधिक रहा। जानिया सहित पाँच सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों की जमानत भी जब्त हो गई। इनमें जालेसर और बाघबर सीट पर कांग्रेस और एआईयूडीएफ मैत्रीपूर्ण संघर्ष कर पहले दोनों स्थानों पर रहे जबकि लहरीघाट, बिलासीपाड़ा पूर्व और दक्षिण सालमारा में निर्दलीय प्रत्याशियों को दूसरा स्थान मिला। दक्षिण सालमारा और बाघबर में भाजपा उम्मीदवार 10,000 का आंकड़ा भी छू नहीं सके। बाघबर में भाजपा ने मुस्लिम महिला प्रत्याशी को मैदान में उतारा था जो इन चुनावों में एकमात्र मुस्लिम महिला प्रत्याशी थीं लेकिन तीन तलाक जैसे कानूनों का असर शायद मुस्लिम मतदाताओं तक अभी पहुंच नहीं पाया है।

स्वाति शाकंभरी

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

­जलालुद्दीन ऊर्फ मौलाना छांगुर जैसी ‘जिहादी’ मानसिकता राष्ट्र के लिए खतरनाक

“एक आंदोलन जो छात्र नहीं, राष्ट्र निर्माण करता है”

‘उदयपुर फाइल्स’ पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इंकार, हाईकोर्ट ने दिया ‘स्पेशल स्क्रीनिंग’ का आदेश

उत्तराखंड में बुजुर्गों को मिलेगा न्याय और सम्मान, सीएम धामी ने सभी DM को कहा- ‘तुरंत करें समस्याओं का समाधान’

दलाई लामा की उत्तराधिकार योजना और इसका भारत पर प्रभाव

उत्तराखंड : सील पड़े स्लाटर हाउस को खोलने के लिए प्रशासन पर दबाव

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

­जलालुद्दीन ऊर्फ मौलाना छांगुर जैसी ‘जिहादी’ मानसिकता राष्ट्र के लिए खतरनाक

“एक आंदोलन जो छात्र नहीं, राष्ट्र निर्माण करता है”

‘उदयपुर फाइल्स’ पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इंकार, हाईकोर्ट ने दिया ‘स्पेशल स्क्रीनिंग’ का आदेश

उत्तराखंड में बुजुर्गों को मिलेगा न्याय और सम्मान, सीएम धामी ने सभी DM को कहा- ‘तुरंत करें समस्याओं का समाधान’

दलाई लामा की उत्तराधिकार योजना और इसका भारत पर प्रभाव

उत्तराखंड : सील पड़े स्लाटर हाउस को खोलने के लिए प्रशासन पर दबाव

पंजाब में ISI-रिंदा की आतंकी साजिश नाकाम, बॉर्डर से दो AK-47 राइफलें व ग्रेनेड बरामद

बस्तर में पहली बार इतनी संख्या में लोगों ने घर वापसी की है।

जानिए क्यों है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का गुरु ‘भगवा ध्वज’

बच्चों में अस्थमा बढ़ा सकते हैं ऊनी कंबल, अध्ययन में खुलासा

हमले में मारी गई एक युवती के शव को लगभग नग्न करके गाड़ी में पीछे डालकर गाजा में जिस प्रकार प्रदर्शित किया जा रहा था और जिस प्रकार वहां के इस्लामवादी उस शव पर थूक रहे थे, उसने दुनिया को जिहादियों की पाशविकता की एक झलक मात्र दिखाई थी  (File Photo)

‘7 अक्तूबर को इस्राएली महिलाओं के शवों तक से बलात्कार किया इस्लामी हमासियों ने’, ‘द टाइम्स’ की हैरान करने वाली रिपोर्ट

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies