गत 9 अप्रैल को कनार्टक स्थित मैसूर में उपद्रवियों ने एक जन पुस्तकालय को आग लगा दी, जिसमें श्रीमद्भगवद्गीता की 3000 प्रतियों सहित 11,000 से अधिक पुस्तकें जल कर राख हो गईं. पुस्तकालय का संचालन 62 वर्षीय सैयद इशहाक नाम के व्यक्ति द्वारा किया जा रहा था. सैयद इशहाक स्वयं एक दिहाड़ी मजदूर हैं, लेकिन पुस्तकों से लगाव के कारण जन सहयोग से लाइब्रेरी चला रहे थे. उन्होंने घटना के लिए पड़ोस में रहने वाले कुछ उपद्रवियों को जिम्मेदार बताया है. ज्ञात हो कि लाइब्रेरी चलाने पर बीते कुछ समय से इशहाक को धमकी दे रहे थे.
सैयद ने बताया कि सुबह 4 बजे एक व्यक्ति ने उन्हें पुस्तकालय में आग लगने की सूचना दी। वे वहां पहुंचे तब तक आग जोर पकड़ चुकी थी. पुस्तकालय में श्रीमद्भगवद्गीता के 3,000 से अधिक उत्कृष्ट संग्रह थे। कुरान और बाइबल की 1,000 प्रतियों, कन्नड़ साहित्य के अलावा विभिन्न शैलियों की हजारों पुस्तकें थीं, जिन्हें उन्होंने दान करने वालों से प्राप्त किया था. पुस्तकालय में अधिकांश पुस्तकें कन्नड़ भाषा में थीं. वे यह लाइब्रेरी अमार मस्जिद के पास राजीव नगर में एक निगम पार्क के अंदर एक शेड में चला रहे थे. पुस्तकालय में प्रतिदिन 100-150 लोग पुस्तकें व समाचार पत्र पढ़ने आते थे.
खबरों के अनुसार कुछ मजहबी जिहादियों को सैयद के पुस्तकालय में श्रीमद्भगवद गीता रखना अच्छा नहीं लगा, इसलिए उन्होंने पुस्तकालय में आग लगा दी. इसके अलावा इशहाक ने बताया कि उनके पड़ोस में कुछ लोग रहते हैं, जो इस बात को पसंद नहीं करते कि वे कन्नड़ भाषा को बढ़ावा दें. कई अवसरों पर वे लोग मुझे गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दे चुके हैं, लेकिन मैंने इसकी परवाह नहीं की. आखिरकार उन्होंने अपनी योजना को अंजाम दे दिया. घटना की आईपीसी की धारा 436 के अंतर्गत एक प्राथमिकी दर्ज की गई है.
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