महाराष्ट्र वसूली अघाड़ी माफ कीजिएगा महाविकास अघाड़ी सरकार ने भ्रष्टाचार का नया कीर्तिमान बनाया है. पहले दलाली, कमीशनखोरी, बैंकों के कर्जों में हेर-फेर, मनमाने टेंडर जैसे तरीके भ्रष्टाचार के लिए अपनाए जाते थे. लेकिन महाराष्ट्र में तो सरकार ने गैंगस्टर की तरह वसूली शुरू कर दी.
मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख की इस गुंडाटाइप वसूली की पोल खोली, तो राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सुप्रीमो शरद पवार के अलावा सब अचरज में थे. शरद पवार इस सनसनीखेज मामले में देशमुख की पुरजोर पैरोकारी कर रहे हैं, अभयदान दे रहे हैं. इसी से समझ सकते हैं कि वसूली की इस विषबेल की जड़ कहां है. पूरे एनसीपी की यही कहानी है. खुद शरद पवार से लेकर उनके भतीजे, बेटी और खास सिपहसालार भ्रष्टाचार के आरोपों में सने हैं.
मुंबई पुलिस के कथित सुपर क़ॉप सचिन वाजे को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) गिरफ्तार कर ही चुकी है. वाजे रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी के आवास एंटीलिया के सामने विस्फोटक भरी कार खड़ी करके उन्हें धमकाने के आरोपी हैं. इसी क्रम में शक है कि वाजे ने कार मालिक हीरेन मनसुख की भी हत्या कर दी. वाजे हत्या के मामले में 13 साल निलंबित रहा. शिवसेना के टिकट पर चुनाव लड़ा. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की विशेष कृपा से वह पुलिस फोर्स में वापस आया. एंटीलिया मामले में गाज पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह पर गिरी, तो परमबीर सिंह ने हम तो डूबेंगे सनम, तुमको भी ले डूबेंगे के अंदाज में गृह मंत्री अनिल देशमुख की पोल खोल दी. दो दिन से पूरा देश महाराष्ट्र में सरकार के नाम पर चल रहे सर्कस को देख रहा है. अपनी विरासत गंवा पर मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर डटे उद्धव को सिर्फ अपनी कुर्सी से मतलब है. उनकी मंत्रि परिषद में देशमुख रहेंगे या नहीं, ये तय शरद पवार को करना है. इसी से बतौर मुख्यमंत्री उनकी हैसियत को समझा जा सकता है. साथ ही ये भी कि रिमोट कहां है.
जहां रिमोट है, आंच तो उस दामन तक भी है
रिमोट जिस शख्स के हाथ में है, वह खुद कितना पाक-साफ है, जरा गौर कीजिए. 2019 में एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार और उनके भतीजे अजीत पवार के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ने महाराष्ट्र के चर्चित कोऑपरेटिव बैंक घोटाले में केस दर्ज किया. ईडी ने शरद पवार समेत 70 अन्य लोगों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग समेत अन्य मामलों में केस दर्ज किया है. करीब 25 हजार करोड़ के इस घोटाले में पहले मुंबई पुलिस की ओर से भी एक एफआईआर दर्ज की गई थी. बता दें कि बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव बैंक घोटाला मामले में कोर्ट में पेश किए गए तथ्यों के आधार पर शरद पवार और अन्य आरोपियों पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था. साल 2007 से 2011 के बीच हुए इस घोटाले में महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों के बैंक अधिकारियों को भी आरोपी बनाया गया.
कैसे लगाया सहकारी बैंकों को चूना
इस मामले में आरोप है कि राज्य सहकारी बैंक में सैकड़ों करोड़ रुपये का घोटाला हुआ. यह भी आरोप है कि यह सारा फर्जीवाड़ा संचालक मंडल द्वारा लिए गए गलत फैसलों की वजह से संभव हो पाया है. राज्य सहकारी बैंक से चीनी मिलों और कपड़ा मिलों को बेहिसाब कर्ज बांटे गए. इसके अलावा कर्ज वसूली के लिए जिन कर्जदारों की सपंत्ति बेची गई उसमें भी जान बूझकर बैंक को नुकसान पहुंचाया गया. यह खुलासा नाबार्ड की रिपोर्ट में हुआ था. अब आप समझ सकते हैं कि एक हजार करोड़ रुपये का चूना लगा देने के बाद राज्य के सहकारी बैंकों की क्या हालत हुई होगी. अलबत्ता शरद पवार की चीनी मिलें माला-माल हुईं.
भतीजा भी घोटालों से माला-माल
अजित पवार के ऊपर सिंचाई घोटाले का आरोप है. 28 नवंबर 2018 को महाराष्ट्र भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने अजित पवार को 70 हजार करोड़ के कथित सिंचाई घोटाले में आरोपी बनाया था. अजित पवार एनसीपी के उन मंत्रियों में शामिल रहे, जिनके पास महाराष्ट्र में 1999 से 2014 के दौरान कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन सरकार में सिंचाई विभाग का प्रभार था. अभी भी यह मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है.इसके अलावा अजित पवार महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक एमएससीबी घोटाले में आरोपी हैं। यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में है. 24 सितंबर 2019 को ईडी ने एमएससीबी घोटाले में अजित पवार समेत 70 लोगों पर मामला दर्ज किया था. ये घोटाला करीब 25 हजार करोड़ रुपये का है. जिस समय ये घोटाला हुआ, अजित पवार बैंक के डायरेक्टर थे. शरद पवार की विरासत को आगे बढ़ाने का दावा करने वाले अजित ने सिंचाई मंत्री रहते अपने विभाग के तय नियमों का उल्लंघन करते हुए तमाम ठेकों के भुगतान को मंजूरी दी. पवार ने 1999-2009 में बतौर सिंचाई मंत्री ठेकेदारों को अग्रिम भुगतान देने का आदेश दिया. यह अग्रिम भुगतान बांध और नहरों के निर्माण के संबंध में अधिकतर विदर्भ क्षेत्र में दिया गया. सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक अग्रिम भुगतान के जरिये ठेकेदारों को मुनाफा कमवाया गवाया.
बेटी सुप्रिया सुले भी कम नहीं
बात 18 अक्टूबर 2012 की है. पूर्व आईपीएस अधिकारी और आरटीआई एक्टिविस्ट वाई.पी. सिंह ने शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले को लेकर सनसनीखेज खुलासा किया. ये शरद के खास प्रोजेक्ट लवासा सिटी से जुड़ा था. यह महाराष्ट्र का पहला प्राइवेट हिल स्टेशन था.
उनका आरोप था कि शरद पवार ने अपने भतीजे अजीत पवार के साथ मिलकर 348 एकड़ जमीन 2002 में निजी कंपनी लेक सिटी कारपोरेशन (अब लवासा कारपोरेशन) को मात्र 23 हजार रुपये महीने की दर पर 30 साल की लीज पर दिला दी. अजीत पवार तब महाराष्ट्र सरकार में सिंचाई मंत्री और महाराष्ट्र कृष्णा वैली डेवलपमेंट कारपोरेशन के चेयरमैन भी थे. यह जमीन इसी कारपोरेशन की थी. जमीन सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए आवंटित कर दी गई. सिंह के मुताबिक लवासा कारपोरेशन में शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले और दामाद सदानंद सुले के करीब 21 फीसदी शेयर थे. लेकिन उन्होंने 2006 में अपनी हिस्सेदारी बेच दी. सिंह का आरोप था कि 2008 में एक्सिस बैंक ने लवासा कारपोरेशन को दस हजार करोड़ रुपये की कंपनी माना था. इस हिसाब से सुप्रिया को शेयरों की बिक्री से करीब 240 करोड़ रुपये मिले होंगे, लेकिन 2009 के चुनाव में दायर हलफनामे में सुप्रिया ने शेयरों की बिक्री से हुई इस आमदनी को छिपाया था. उन्होंने अपनी संपत्ति 15 करोड़ रुपए ही बताई थी.
प्रफुल्ल पटेल ने लूटा इंडियन एयरलाइंस को
अगस्त 2012 को एनसीपी के कोटे से यूपीए सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री रहे प्रफुल्ल पटेल के घोटालों की पोल खुल गई. मंत्री रहते हुए पटेल ने इंडियन एयरलाइंस को भिखारी बना डाला. इंडियन एयरलाइंस (एआइ) के पूर्व प्रमुख संजीव अरोड़ा ने वर्ष 2005 में तत्कालीन कैबिनेट सचिव बीके चतुर्वेदी को चिट्ठी लिखकर प्रफुल्ल पटेल की शिकायत की थी. उन्होंने पटेल पर आरोप लगाया है कि उन्होंने एआइ की वित्ती हालत को नुकसान पहुंचाने वाले कई फैसले लेने के लिए उन्हें और एआइ बोर्ड को मजबूर किया था. यह चिट्ठी सामने आने के बाद अब लोकसभा में विपक्ष के दो सांसद प्रबोध पांडा (सीपीआइ) और निशिकांत दुबे (भाजपा) ने सीवीसी से संजीव अरोड़ा के आरोपों की जांच कराने को कहा है. पटेल मंत्री तो सरकार के थे, लेकिन काम प्राइवेट एयरलाइंस के लिए कर रहे थे. इसके लिए उन्होंने इंडियन एयरलाइंस की लाभ वाले रूट पर उड़ानों को ही बंद करा दिया. इसके अलावा अरोड़ा ने यह भी आरोप लगाया है कि प्रफुल्ल के कार्यकाल में जरूरत से ज्यादा ही विमान खरीदे गए. जाहिर है, इन कंपनियों के साथ मोटा मुनाफा कमाया गया. इसी तरह का घोटाला इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट में किया गया. 2010 के कॉमनवेल्थ खेल से पहले टी-3 टर्मिनल के निर्माण के लिए जीएमआर ग्रुप की कंपनी डायल पर सारी नेमत लुटाई गई. उसे तीस की जगह 60 साल तक संचालन का ठेका दे दिया गया. सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक डायल को मात्र 1813 करोड़ रुपए की इक्विटी पर 24 हजार करोड़ की जमीन तो दी गई. साथ ही भविष्य में 1.63 लाख करोड़ की कमाई की खुली छूट दे दी गई. इतना ही नहीं उसे नाजायज तरीके से एयरपोर्ट विकास शुल्क वसूलने का अधिकार भी दे दिया गया.
प्रफुल्ल पटेल के भ्रष्टाचार के कारनामे तो विदेश तक पहुंचे. कनाडा की सुपीरियर कोर्ट का सनसनीखेज फैसला आया कि यूपीए सरकार के दौर में पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल को एयर इंडिया के ठेके के लिए कई लाख डॉलर की रिश्वत दी गई थी. फैसले में गवाहों के बयानों का जिक्र है जिसमें साफ लिखा है कि फेशियल रिकॉगनिशन यानि चेहरे से व्यक्ति की पहचान के सॉफ्टवेयर का ठेका एयर इंडिया से हासिल करने के लिए दलाली और रिश्वत का खेल खेला गया. कोर्ट ने फैसले में गवाहों के बयान का जिक्र किया है, साफ लिखा है कि कनाड़ा की एक कंपनी ने भारत के तत्कालीन उड्डयन मंत्री पीएफ यानि प्रफुल्ल पटेल को और कई बड़े अफसरों को साढ़े चार लाख डॉलर यानि करीब 3 करोड़ रुपए की रिश्वत दी.
सूची बहुत लंबी है. छगन भुजबल, जो कि 26 महीने तक जेल में रहे. जब वे गृहमंत्री थे तब उन्होंने आर्थर रोड जेल में अंडा सेल बनवाया. उसी अंडा सेल में गिरफ्तारी के बाद उन्हें भी रखा गया. भ्रष्टाचार के कीर्तिमान बनाने वाले भुजबल पर अब्दुल करीम तेलगी के स्टांप घोटाले समेत कई भ्रष्टाचार के मामलों में शामिल होने के आरोप लगे. कारपोरेटर लेकर तमाम स्तर पर जिस तरीके के आरोप हैं, उससे साफ नजर आता है कि पार्टी में भ्रष्टाचार को लेकर एक अलग किस्म की स्वीकार्यता है. ऐसे में आप अनिल देशमुख पर किसी कार्रवाई की उम्मीद करते हैं, तो ये बेमानी है.
टिप्पणियाँ