कांग्रेसी सांसद शशि थरूर ने योग के लेकर एक बेहद भद्दी और आपत्तिजनक तस्वीर पोस्ट की है। कांग्रेस मोदी सरकार के विरोध के चक्कर में श्री राम, गाय और योग सबका अपमान कर चुकी है
हर बार मोदी विरोध में कांग्रेस इतनी आगे निकल जाती है कि उसे पता ही नहीं चलता कि कब वो प्रधानमंत्री मोदी या मोदी सरकार की जगह देश और हिन्दू धर्म के विरोध में खड़ी दिखाई दे रही है। केरल में सड़क पर गाय का बछड़ा काटने के बाद अब केरल कांग्रेस के बड़े नेता और तिरुअनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने योग का उपहास करते हुए एक तस्वीर ट्वीट की है। इस तस्वीर में एक महिला लाल गद्दे पर पेट के बल हल्के लेटी हुई है। उसके पीछे का हिस्सा ऊपर उठा है और वह पीछे की तरफ देख रही है। पीछे एक व्यक्ति कम कपड़ों में असहज रूप से खड़ा है। साथ ही तस्वीर में कैप्शन लिखा हुआ है, “ये कौन सी पोजीशन है ?” शशि थरूर ने तस्वीर के साथ लिखा कि जब भाजपा सत्ता में हो तो हर दिन ‘राष्ट्रीय योग दिवस’ है। इस तरह उन्होंने मोदी सरकार के विरोध के चक्कर में योग का उपहास उड़ाया है।
कांग्रेस या शशि थरूर को ये बताना चाहिए कि क्या विश्व को योग भाजपा, मोदी या संघ की देन है ? भगवान शिव को आदियोगी कहा जाता है और ये माना जाता है कि योग उनसे ही शुरू हुआ है। उन्होंने ही महर्षि पतंजलि को योग सिखाया था जिसे उन्होंने सूचिबद्ध किया था। इसके अतिरिक्त भगवान कृष्ण को योगेश्वर कहा गया है। योग का अर्थ कुछ आसन या प्राणायाम नहीं है। योग के लिए कहा गया है कि जीवात्मा का परमात्मा के साथ एकाकार होने का नाम ही योग है। जिस तरह पानी और चीनी आपस में मिलने से एक हो जाते हैं और मिलने के बाद दोनों का अलग अस्तित्व नहीं रहता है, उसी तरह साधना के माध्यम से साधक परमात्मा के साथ मिलकर एक हो जाता है और उस समय ‘मैं’ और परमात्मा के बोध का कोई अस्तित्व नहीं रहता। ये ही योग है।
एक तरफ तो शशि थरूर, मैं हिन्दू क्यों हूं” इस नाम से पूरी किताब लिखते हैं दूसरी तरफ हिन्दू धर्म के एक ऐसे पवित्र विचार और चिंतन को शशि थरूर अपनी सेकुलरवादी प्रगतिशील राजनीति के चक्कर में उपहास का विषय बना देते हैं। किसी भी दूसरे पंथ के पांथिक और आध्यात्मिक मान्यताओं से जुड़े विचार पर सारे सेकुलर नेता कितने संभल—संभल कर बोलते हैं, लेकिन जहां बात हिन्दू धर्म से जुड़ी मान्यताओं की आती हैं, उन्हें उपहास का विषय बना दिया जाता और इसके बाद भी हिन्दू समाज से वोट मांगे और लिए जाते रहते हैं।
बात सिर्फ योग की नहीं है; ऐसे ही अगर गोहत्या को देखें तो गाय के प्रति प्रेम और उसकी रक्षा करना ये संघ या भाजपा द्वारा शुरू किया गया विचार नहीं है। हिन्दू धर्म ग्रन्थों में महर्षि वशिष्ट और विश्वामित्र का झगड़ा गाय पर था। भगवान परशुराम और सहस्त्रबाहु का झगड़ा गाय पर शुरू हुआ था। विराट नरेश और कौरवों का झगड़ा गाय पर हुआ था। कर्ण को श्राप गाय की वजह से मिला था। शिवाजी ने गोहत्या करने वालों को दंड दिया था। अंग्रेजों के क्रांति के पहले बलिदान मंगल पांडे ने गाय की चर्बी को मुंह लगाने से मना कर दिया था।
गाय संघ भाजपा से नहीं है। गाय की पवित्रता हिन्दू धर्म का मूल है, लेकिन संघ और भजपा का विरोध करते हुए गाय, गोबर, गोमूत्र, गोबर पट्टी कहकर उपहास करने से भी कांग्रेस और कांग्रेस के नेता पीछे नहीं हटते।
शशि थरूर ने जो योग को लेकर ट्वीट किया, कई लोग इसे ग्रेटा थनबर्ग की टूलकिट से भी जोड़ कर देख रहे हैं। क्योंकि उसमें भी लिखा था कि भारत की ‘योग और चाय’ वाली छवि को नुकसान पहुंचाना है। मोदी सरकार के प्रयासों के चलते ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 21 जून योग दिवस घोषित हुआ था। अब कमाल की बात ये है कि कांग्रेस खुद तो चाहती है कि सारा देश पं नेहरू के जन्मदिन को बाल दिवस के तौर पर मनाए लेकिन वो योग दिवस का सिर्फ इसलिए उपहास करती है क्योंकि ये मोदी सरकार के प्रयासों से शुरू हुआ है।
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