भारत की राजनीति में एक बार फिर राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर विवाद सुर्खियों में है। हाल ही में, यूनाइटेड किंगडम (यूके) सरकार ने राहुल गांधी के पासपोर्ट और नागरिकता से जुड़ी जानकारी भारत सरकार और गृह मंत्रालय के साथ साझा की है। यह दावा किया है कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करने वाले व्यक्ति ने। हालांकि इस पर सरकार की ओर से कोई जानकारी साझा नहीं की गई है।
यह घटनाक्रम इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच में दायर एक याचिका के बाद सामने आया है, जिसमें राहुल गांधी की कथित ब्रिटिश नागरिकता और उनकी लोकसभा सदस्यता रद्द करने की मांग की गई है। यह मामला भारतीय राजनीति में एक बड़े विवाद का रूप ले रहा है, क्योंकि भारत में दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं है। आइए, इस मामले को विस्तार से समझते हैं।
मामला कैसे शुरू हुआ?
ऑर्गनाइजर की रिपोर्ट के अनुसार, यह पूरा विवाद एक जनहित याचिका (पीआईएल) से शुरू हुआ, जिसे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सदस्य एस. विग्नेश शिशिर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में 11 जुलाई 2025 को दायर किया। याचिका में दावा किया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है, और इसलिए वे भारत में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हैं। शिशिर ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत यूके सरकार से राहुल गांधी के ब्रिटिश पासपोर्ट और नागरिकता से संबंधित जानकारी मांगी थी।
शिशिर ने दावा किया है कि इसके जवाब में, यूके सरकार ने भारत सरकार के गृह मंत्रालय के विदेशी प्रभाग, नागरिकता विंग को ये विवरण भेजे हैं। यह जानकारी अब कोर्ट में सबूत के तौर पर पेश की जाएगी।
कोर्ट की भूमिका और सरकार की प्रतिक्रिया
इलाहाबाद हाईकोर्ट इस मामले को गंभीरता से ले रहा है। 19 दिसंबर, 2024 को जस्टिस रजन रॉय और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की बेंच ने केंद्र सरकार के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) सूर्यभान पांडे को गृह मंत्रालय से इस मामले में जानकारी जुटाने का निर्देश दिया था। गृह मंत्रालय ने भारतीय दूतावास के जरिए यूके सरकार से राहुल गांधी की नागरिकता और पासपोर्ट की जानकारी मांगी। हालांकि, केंद्र सरकार ने इस मामले में बार-बार समय मांगा, जिसके कारण 14 मई, 2025 को कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी, क्योंकि जांच में देरी हो रही थी। लेकिन अब, यूके सरकार की ओर से जानकारी मिलने के बाद यह मामला फिर से गति पकड़ रहा है।
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कोर्ट में सुनवाई और समय-सीमा
21 अप्रैल, 2025 को हुई सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र सरकार के स्टेटस रिपोर्ट को “अपर्याप्त” बताया और इसे “राष्ट्रीय महत्व का मामला” करार देते हुए सरकार को 10 दिनों के अंदर राहुल गांधी की नागरिकता की स्थिति स्पष्ट करने का आदेश दिया। खास बात यह है कि इन सुनवाइयों में राहुल गांधी की ओर से कोई कानूनी प्रतिनिधि मौजूद नहीं था, जिसने राजनीतिक हलकों में सवाल खड़े किए हैं। कोर्ट का सख्त रुख और यूके सरकार से मिली जानकारी इस मामले को और गंभीर बनाती है।
भारत में दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं
भारतीय कानून के मुताबिक, दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं है। अगर राहुल गांधी के ब्रिटिश नागरिक होने का दावा सही साबित होता है, तो उनकी लोकसभा सदस्यता खतरे में पड़ सकती है। यह मामला न केवल उनकी राजनीतिक छवि को प्रभावित कर सकता है, बल्कि कांग्रेस पार्टी के लिए भी एक बड़ा झटका हो सकता है। विपक्षी दलों और बीजेपी के बीच इस मुद्दे पर तीखी बहस छिड़ने की संभावना है।
याचिकाकर्ता का दावा
याचिकाकर्ता एस. विग्नेश शिशिर का कहना है कि राहुल गांधी की कथित ब्रिटिश नागरिकता का खुलासा राष्ट्रीय हित में जरूरी है। उन्होंने दावा किया कि यह मामला भारत की संप्रभुता और संवैधानिक नियमों से जुड़ा है। उनकी याचिका में मांग की गई है कि कोर्ट इस मामले की गहन जांच करे और अगर दोहरी नागरिकता साबित होती है, तो राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द की जाए।
नागपुर स्थित राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज विद्यापीठ (नागपुर यूनिवर्सिटी) से मॉस कम्युनिकेशन में पोस्ट ग्रेजुएट। बीते एक दशक से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर विशेष रुचि। पत्रकारिता की इस यात्रा की शुरुआत नागपुर नवभारत में इंटर्नशिप से शुरू होती है, तदोपरांत GTPL न्यूज चैनल, लोकमत समाचार, ग्रामसभा मेल, मोबाइल न्यूज 24 और Way2News हैदराबाद के बाद अब पाञ्चजन्य के साथ सफर जारी है।
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