चंडीगढ़ देश का ब्यूटीफुल सिटी कहलाता है और इससे भी ज्यादा खूबसूरत हैं यहां रहने वाले पंजाब पुलिस के सेवानिवृत्त डीआईजी स. इंद्रजीत सिंह, जो 81 वर्ष की आयु में भी खुद सड़कों पर कूड़ा बीनते हैं और उन्हें कूड़ादान में डालते हैं।
अपने पुलिस अधिकारी की सेवाकाल के दौरान देश व समाज से अपराधों की गंदगी साफ करने वाले इंद्रजीत सिंह अब समाज में स्वच्छता का प्रकाश फैला रहे हैं। पंजाब पुलिस से रिटायर्ड डीआईजी इंद्रजीत सिंह सिद्धू चंडीगढ़ के सेक्टर-49 में रहते हैं और सफाई बनाए रखने के लिए रोज सड़कों पर कूड़ा बीनते हैं।
स्वच्छता अभियान के असली सिपाही
इंद्रजीत सिंह सिद्धू को अगर स्वच्छता अभियान का असली सिपाही कहा जाए तो कुछ गलत नहीं है। उन्होंने पिछले 3-4 सालों से अकेले ही सफाई का बीड़ा उठा रखा है। उनका कहना है कि, उन्हें साफ-सफाई पसंद है, हर जगह सफाई बनी रहे, ये उन्हें अच्छा लगता है।
लेकिन उन्हें दुख होता है, जब वह चंडीगढ़ जैसे शहर के पढ़े-लिखे लोगों को कहीं भी चलते-फिरते कूड़ा फेंकते हुए देखते हैं। कई लोग तो उन्हें देखकर उनके सामने ही कूड़ा फेंक देते हैं। वे सोचते हैं कि ये उठा ही लेगा। लोग वीडियो बनाते हुए जाते हैं और उन्हें पागल समझते हैं।
सफाई एक मिशन, एक सोच
इंद्रजीत सिंह सिद्धू के लिए सफाई एक मिशन बन चुका है। उनका कहना है कि चंडीगढ़ हमेशा ही अपनी सफाई और सुंदरता के लिए जाना जाता है। चंडीगढ़ को खूबसूरत शहर कहते हैं। वहीं, इस बार स्वच्छ सर्वेक्षण में चंडीगढ़ दूसरे नंबर पर आया है। लेकिन दूसरे नंबर के स्वच्छ शहर के अंदर हाल क्या हैं? ये देखा जा सकता है।
इंद्रजीत सिंह सिद्धू ने कहा कि वह चाहते हैं कि लोग खुद से सफाई की जिम्मेदारी निभाएं और यह कोशिश करें कि चंडीगढ़ पूरे देश में पहले नंबर पर रहे।
विदेश में संभव तो भारत में क्यों नहीं.?
इंद्रजीत सिंह सिद्धू से जब पूछा गया कि उनके मन में कैसे यह ख्याल आया कि उन्हें सफाई की इस सेवा में लगना चाहिए, तो इस पर उन्होंने सबसे पहली बात जो कही, वह यह कि सफाई उन्हें अच्छी लगती है और हर किसी को अच्छी लगनी चाहिए।
इसके अलावा उन्होंने एक किस्सा सुनाया। उन्होंने बताया कि कुछ साल पहले वह यूएसए गए हुए थे। वहां वह एक युवक के साथ गाड़ी में जा रहे थे। इस बीच उन्होंने एक कागज गाड़ी से बाहर फेंकने की कोशिश की तो युवक ने उनका हाथ पकड़ लिया और कहा कि चालान करवाओगे क्या?
इंद्रजीत सिंह सिद्धू ने कहा कि जिस युवक ने हाथ पकड़ा, वह उनका जानकार था और उनका बहुत सम्मान करता था, लेकिन उसने उनका हाथ पकड़ लिया। इससे उन्हें यह एहसास हुआ कि उन्होंने वाकई गलती की है। इसके बाद उनके मन में और ज्यादा यह दृढ़ संकल्प हो गया कि उन्हें सार्वजनिक रूप से भी सफाई का ध्यान रखना है और सफाई करनी भी है। इस तरह से वह चंडीगढ़ में साफ-सफाई के काम में लग गए।
इंद्रजीत सिंह सिद्धू ने कहा कि जब विदेश की सड़कों और जमीनों को बहुत साफ रखा जा सकता है, तो भारत में ऐसा क्यों नहीं हो सकता?
शिक्षा नहीं, सेवा का संकल्प
इंद्रजीत सिंह सिद्धू से जब कहा गया कि वह सफाई के लिए प्रेरणा बन रहे हैं, तो इस पर उन्होंने कहा कि वह किसी को भी सफाई के लिए शिक्षा नहीं देना चाहते। वह किसी से कहेंगे तो वह कहेगा कि “तू ही कर ले, क्या मैं तेरे जैसा घटिया हूं?” इसलिए वह किसी से न कहकर खुद ही लोगों का कूड़ा उठा रहे हैं और अपना काम करते जा रहे हैं।
बस वह लोगों से यह अपील करेंगे कि लोग सफाई का ध्यान रखें। मन में सफाई की भावना लाएं। इंद्रजीत सिंह सिद्धू ने कहा कि कूड़ा बीनने पर कई लोग उनका मजाक उड़ाते हैं, पागल कहते हैं, लेकिन इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता।
दिनचर्या और सेवा भाव
इंद्रजीत सिंह सिद्धू सेक्टर-49 स्थित आईएएस/आईपीएस सोसाइटी में रहते हैं। वह सुबह 5 बजे उठते हैं और घर से निकलकर कूड़ा बीनने लगते हैं। वह सेक्टर 49 में अपनी सोसाइटी और आसपास साफ-सफाई करते हैं। सड़कों पर या मैदान में जहां भी उन्हें कूड़ा दिखता है, वह उसे उठाते हैं और किसी कट्टे में इकट्ठा कर या रेहड़ी में डालकर ले जाते हैं।
इंद्रजीत सिंह सिद्धू का कहना है कि जब तक शरीर साथ देता रहेगा, यह काम वह करते रहेंगे।
जीवन परिचय : सेवा, संघर्ष और समर्पण
इंद्रजीत सिंह सिद्धू पंजाब के संगरूर जिले के मूल निवासी हैं। वह पंजाब में आतंकवाद के दौरान अमृतसर में एसपी सिटी भी रहे हैं। उसके बाद वह 1986 में चंडीगढ़ आ गए। प्रोमोशन के साथ वह डीआईजी बने। इसके बाद वह 1996 में रिटायर हो गए।
उनकी पत्नी का निधन हो चुका है। एक बेटा है जो परिवार के साथ विदेश में सेटल है। इंद्रजीत पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं।
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