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मोदी सरकार की रणनीति से समाप्त होता नक्सलवाद

भारत सरकार की ठोस रणनीति और विकास केंद्रित नीतियों के चलते नक्सलवाद तेजी से समाप्ति की ओर बढ़ रहा है। 400+ नक्सली मारे गए, 800+ ने आत्मसमर्पण किया, मोबाइल टावर, सड़क और शिक्षा से विकास को गति मिली...

by अभय कुमार
Jul 23, 2025, 10:03 pm IST
in भारत, विश्लेषण
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केंद्र सरकार की ठोस रणनीति के कारण नक्सलवाद अब देश से समाप्ति की ओर बढ़ रहा है। भारत सरकार ने नक्सलवाद उन्मूलन के लिए समग्र तैयारी कर ली है। गृह मंत्री अमित शाह ने 31 मार्च 2026 तक देश से वामपंथी उग्रवाद समाप्त करने की अपनी नीति बनाई है। भारत सरकार और छत्तीसगढ़ सरकार के अनुसार 2024 से लेकर अब तक कम से कम 400 से ज्यादा नक्सलियों को मारा गया है। इसके अलावा करीब 800 से अधिक नक्सलियों ने आत्मसमर्पण भी किया है।

वित्तीय स्रोतों पर रोक और रसद आपूर्ति बाधित

नक्सलवाद की समाप्ति के लिए सरकार द्वारा कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। इसमें सर्वप्रथम उनके मदद के लिए जो वित्तीय जरिया था, उस पर नकेल कसी गई है। उनके लिए खाने या रसद की आपूर्ति पर भी रोक लगाई गई है। इससे नक्सलियों की कमर लगभग टूटती जा रही है।

मोबाइल टावर और संचार व्यवस्था का विस्तार

सरकार ने नक्सलियों के खिलाफ केवल इन्हीं चंद कदमों तक अपने को सीमित नहीं रखा है बल्कि नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास के काफी काम किए जा रहे हैं। नक्सलवाद के खिलाफ अपने जंग में भारत सरकार ने कई कदम एक साथ उठाए हैं।

विगत कुछ समय में लगभग 1000 से ज्यादा मोबाइल टावर लगाए गए हैं। पहले मोबाइल टावर नहीं होते थे। सरकार की योजना के अनुसार 10,505 मोबाइल टावर लगाए जाने हैं, जिसमें से तकरीबन 7500 मोबाइल टावर लगाए जा चुके हैं। लगभग 2500 मोबाइल टावर अभी और भी लगाए जाने हैं। सरकार की योजना के अनुसार इस साल के अंत तक शेष मोबाइल टावर भी लगा दिए जाएंगे।

मोबाइल टावर लगाने से गांव वालों को सिर्फ संचार की सुविधा ही नहीं मिलती, बल्कि अन्य कई प्रकार के फायदे भी होते हैं। संचार के वजह से उनका विकास होता है। इससे शिक्षा में भी सुविधा मिलती है। इन इलाकों में स्कूलों को फिर से शुरू किया जा रहा है, जो पहले बंद हो गए थे। शिक्षकों को भी नियुक्त किया जा रहा है। इन सभी कदमों से इन इलाकों में समग्र विकास होता दिख रहा है।

सड़क निर्माण में आई तेजी

पहले इन इलाकों में सड़क बिछाना बहुत मुश्किल था, मगर अब सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति और सुरक्षा बलों के कारण सड़क का निर्माण पहले की अपेक्षा काफी आसान हुआ है। सड़क निर्माण के लिए पहले सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) को जिम्मेदारी दी गई थी।

बीआरओ ने करीब 150 कि.मी. का सड़क बनाया था। उनके अच्छे काम को देखते हुए बीआरओ को अतिरिक्त 125 कि.मी. सड़क, जिसमें 30 पुल भी बनाने का प्रावधान है, का कार्य सौंपा गया।

सड़क के निर्माण के कारण लोगों को आवागमन का साधन मिल जाता है। इससे आमजन को स्वास्थ्य देखभाल, स्कूल, कॉलेज और अन्य सुविधा प्राप्त करने में काफी मदद मिल रही है। सड़क अच्छा होने से बस और आवागमन के अन्य साधन भी अब पहले से अधिक और समय के अनुसार उपलब्ध हो रहे हैं।

पिछले 06 वर्षों में वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं का राज्यवार विवरण

गढ़चिरौली : विकास की नई इबारत

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नक्सलियों के खिलाफ अपनी प्रतिबद्धता के साथ ही विकास को भी अमलीजामा पहनाने के लिए गढ़चिरौली में कई विकास कार्यों की आधारशिला रखी।

महाराष्ट्र, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ की सीमा के बीच रणनीतिक रूप से स्थित गढ़चिरौली एक खनिज समृद्ध जिला है। गढ़चिरौली के जंगलों में नक्सली आंदोलन विकास में बाधा बन गया था। लेकिन पिछले 10 वर्षों में केंद्र और राज्य के संयुक्त प्रयासों के परिणामस्वरूप इस आदिवासी बहुल क्षेत्र का समग्र विकास हुआ है।

मुख्यमंत्री फडणवीस ने गढ़चिरौली में इस्पात उद्योग में निवेश आकर्षित करके इसे एक इस्पात नगरी बनाने का संकल्प लिया है। उन्होंने आश्वासन दिया कि अगले कुछ वर्षों में यहां के नागरिकों की प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि गढ़चिरौली को भारत का स्टील हब बनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

नक्सलियों का सफाया और आत्मसमर्पण

पिछले वर्ष महाराष्ट्र में 24 माओवादी मारे गए और 18 गिरफ्तार किए गए। पिछले कुछ महीनों में कट्टर माओवादी भी मुख्यधारा में शामिल हुए हैं। अनेकों नक्सलियों का सफाया किया गया है। नक्सली कमांडर बसवा राजू मई 21 को बीजापुर में ढेर किया गया है।

भारत सरकार की नक्सलवाद के उन्मूलन के प्रति प्रतिबद्धता का यह भी प्रमाण है कि गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मानसून आएगा, तो भी कार्रवाई जारी रहेगी। पहले मानसून के समय यह कार्रवाई रोक दी जाती थी। सरकार की इस चौतरफा कार्रवाई के कारण नक्सलियों की समस्या कई गुना बढ़ गई है। उन्हें अब छुपने का स्थान नहीं मिल पा रहा है।

जिसकी वजह से वे भागदौड़ में लगे हुए हैं और सुरक्षाबलों को सूत्रों के माध्यम से उनकी गतिविधियों की जानकारी मिल जाती है, जो नक्सलियों के लिए काफी घातक सिद्ध हो रहा है। सरकार की इन्हीं कार्रवाइयों के कारण 1 करोड़ के इनामी नक्सली हिडमा और 10 लाख रुपये का इनामी नक्सली सौदी कन्ना मारा गया।

नक्सल प्रभावित क्षेत्र और उनकी घटती संख्या

नक्सली सफाए की बात करें तो उनका सबसे मजबूत गढ़ छत्तीसगढ़ के दक्षिणी भाग बस्तर डिवीजन है, जिसमें बीजापुर, कोंडागांव, दंतेवाड़ा, सुकमा जैसे जिले आते हैं।

उन क्षेत्रों में अब नक्सली सफाए की प्रक्रिया अंतिम मुकाम पर पहुंचती दिख रही है। कुल नक्सलवाद प्रभावित जिलों में से सर्वाधिक प्रभावित जिलों की संख्या 12 से घटकर 6 हो गई है, जिनमें छत्तीसगढ़ के चार जिले (बीजापुर, कांकेर, नारायणपुर और सुकमा), झारखंड का एक जिला (पश्चिम सिंहभूम) और महाराष्ट्र का एक जिला (गढ़चिरौली) शामिल हैं।

समर्पण करने वाले नक्सलियों के लिए पुनर्वास योजना

सरकार सिर्फ नक्सलियों के खात्मे के लिए ही काम नहीं कर रही है बल्कि जो समर्पण कर रहे हैं, उनके लिए भी प्रोत्साहन योजना दी जा रही है।

प्रत्येक समर्पण करने वाले नक्सली को ₹10,000 दिए जा रहे हैं। इसके अलावा उन्हें मकान और कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे वे अपने पैरों पर खड़े होकर समाज में योगदान कर सकें।

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