देहरादून । फिलॉस्फी एंड एक्शन ऑफ आरएसएस फॉर द हिंद सुराज पुस्तक के विमोचन के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय जी होसबाले ने कहा कि स्वतंत्र भारत के निर्माण में महात्मा गांधी के हिंद सुराज की परिकल्पना को नेहरू ने म्यूजियम में भेज दिया।
पुस्तक विमोचन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर कार्यवाह दत्तात्रेय जी होसबाले ने पुस्तक के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि इसे संघ के पच्चीस वर्ष पूरे होने पर प्रकाशित किया गया था, उस समय लेखक पादरी एंथोनी ने संघ को भविष्य के भारत के राष्ट्रवादी संगठन के रूप में काम करने वाला ,देश की सांस्कृतिक धरोहर को संजोने वाला, समाज सेवा करने वाला बताया था जबकि उस समय संघ का केवल एक मात्र सहयोगी संगठन विद्यार्थी परिषद का गठन हो पाया था।
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सरकार्यवाह ने कहा कि ये पुस्तक केवल संघ के प्रचार मात्र के लिए नहीं है बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को समझने के लिए 75 साल पहले लिखी गई एक कृति है जोकि एक ईसाई व्यक्ति द्वारा जोकि संघ का स्वयंसेवक भी नहीं था उसके द्वारा भारत के उत्थान के लिए काम करने वाले संगठन के लिए एक भविष्यवाणी भी इस पुस्तक में दर्ज की गई है। उन्होंने बताया कि इस पुस्तक की 75 साल से
पहले जमुना लाल मेहता ने प्रस्तावना लिखी थी जोकि कांग्रेस के नेता थे।
हिंद सुराज का जिक्र करते हुए सरकार्यवाह जी ने कहा मूलतः ये गांधी जी परिकल्पना थी और उन्होंने इसके बारे में नेहरू को पत्र लिखा था कि आजाद भारत का विकास हिंद सुराज के सिद्धांत पर होना चाहिए जिसके जवाब में नेहरू ने लिखा था कि मैने इसे पहले पढ़ा था वो तब भी मुझे बेतुका लगा था, इसके बाद हिंद सुराज भारत के म्यूजियम में चला गया।
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सरकार्यवाह जी ने कहा कि संघ ने रजत जयंती वर्ष जब मना रहा था तब भी प्रतिबंधित था जब स्वर्ण जयंती वर्ष मना रहा था तब भी इस को बैन किया हुआ था, लेकिन जब हीरक जयंती वर्ष मना रहा था और जब शताब्दी वर्ष मना रहा है देश में उसके स्वयंसेवक प्रधान मंत्री है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि वर्ष 1951 में कैथोलिक पादरी फादर एंथोनी द्वारा लिखी गई, पुस्तक “फिलॉसोफी एंड एक्शन ऑफ़ आरएसएस फॉर हिन्द स्वराज” में न केवल संघ की विचारधारा, संगठनात्मक संरचना और कार्यपद्धति का गहन अध्ययन प्रस्तुत किया, बल्कि “हिंद स्वराज” की मूल आत्मा को भी समेकित रूप से समझाने का काम किया।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि मुझे पूर्ण विश्वास है कि यह पुस्तक हमारी आने वाली पीढ़ियों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रारंभिक संघर्षों, त्याग और तपस्या से परिचित कराते हुए उन्हें हमारी वैचारिक परंपरा और कार्यशैली से जोड़ने में सहायक सिद्ध होगी।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि फादर एंथोनी ने यह पुस्तक उस समय में लिखी जब “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ” को लेकर समाज में अनेकों प्रकार की भ्रांतियां और गलत धारणाएं फैलाई जा रही थीं। उस चुनौतीपूर्ण कालखंड में फादर एंथोनी ने निष्पक्षता और ईमानदारी के साथ लिखा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कोई सांप्रदायिक संस्था नहीं, अपितु राष्ट्र निर्माण के लिए समर्पित एक अनुशासित और आध्यात्मिक चेतना से ओतप्रोत संगठन है। उन्होंने संघ के कार्यकर्ताओं के जीवन में अनुशासन, सेवा, समर्पण और देशभक्ति को निकटता से देखा और दुनिया को अवगत कराया कि ये संगठन भारत के पुनर्निर्माण की वास्तविक आधारशिला है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि फादर एन्थोनी ने लिखा कि संघ न केवल हिन्दू धर्म की खोई हुई प्रतिष्ठा को पुनर्स्थापित करने की दिशा में कार्य कर रहा है बल्कि समाज में व्याप्त कुप्रथाओं का अंत कर संपूर्ण भारतवर्ष को एक सूत्र में पिरोने के कार्य में भी जुटा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आद्य सरसंघचालक परम श्रद्धेय डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी ने जब वर्ष 1925 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की थी, तब भारत न केवल राजनीतिक दृष्टि से पराधीन था, बल्कि मानसिक, सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से भी खंडित हो चुका था। आज, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपनी सौ वर्षों की तपोमयी यात्रा के माध्यम से भारत में सांस्कृतिक पुनर्जागरण, सामाजिक समरसता, आत्मगौरव और राष्ट्रनिष्ठ सेवा की ऐसी दिव्य धारा प्रवाहित की है, जिसने देश के कोने-कोने में राष्ट्रीय चेतना की अखंड ज्योति प्रज्वलित कर दी है।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में हमारी सरकार भी देवभूमि उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु अपने “विकल्प रहित संकल्प” के साथ निरंतर कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में सरकार द्वारा चलाए जा रहे लैंड जिहाद, थूक जिहाद, अतिक्रमण ,धर्मांतरण जैसे विषयों को भी रखा और कहा कि उनकी सरकार देवभूमि का सांस्कृतिक स्वरूप नहीं बदलने देगी।
फिलॉस्फी एंड एक्शन ऑफ आरएसएस फॉर द हिंद सुराज पुस्तक की प्रस्तावना लिखने वाले प्रज्ञा प्रवाह के संयोजक व आरएसएस के चिंतक जे. नन्द कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ शताब्दी वर्ष मना रहा है, इस पुस्तक को जब लिखा जा रहा होगा तब संघ का देश में एक छोटा सा स्वरूप रहा होगा और उस समय जब विभाजन हुआ ,देश आजाद हुआ उस दौरान जो भी इस देश में हुआ उसमें संघ के द्वारा देखी अथवा महसूस की गई सेवाओं को देखते हुए लेखक एंथोनी ने भविष्य के भारत को संघ के हाथों में सुरक्षित बताया। उन्होंने कहा कि देश में आज जिस भूमिका में आरएसएस है इसके बारे में लेखक ने कई विषय पूर्व में लिख दिए थे ,इसलिए ये पुस्तक पुनः प्रकाशित किए जाने पर विचार किया गया ।
प्रभात प्रकाशन के स्वामी प्रभात कुमार ने इस अवसर पर सभी अतिथियों से पुस्तक का विमोचन करवाते हुए पाठकों को समर्पित किया।
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