उत्तर प्रदेश के संभल जिले के खग्गू सराय क्षेत्र में स्थित कार्तिकेय महादेव मंदिर में इस बार सावन की शिवरात्रि बेहद खास रही। 46 साल बाद इस मंदिर में श्रद्धालुओं ने भगवान शिव की पूजा-अर्चना और जलाभिषेक किया। मंदिर के कपाट दिसंबर में 46 वर्षों बाद खोले गए थे, जिसके बाद से वहां नियमित रूप से पूजा प्रारंभ हुई। शिवरात्रि के दिन सुबह से ही भक्तों की भारी भीड़ मंदिर में उमड़ने लगी। हर कोई भगवान शिव के दर्शन और जल चढ़ाने को उत्सुक नजर आया।
मंदिर में एसडीएम विकास चंद्र ने भी श्रद्धालुओं के साथ मिलकर भगवान शिव का जलाभिषेक किया और पूजा-अर्चना की। भीड़ और धार्मिक आयोजन को देखते हुए प्रशासन ने मंदिर क्षेत्र और पास की जामा मस्जिद के आसपास कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की।पूरे जिले में शिवभक्ति का माहौल- केवल खग्गू सराय ही नहीं, पूरे संभल जिले में शिवरात्रि को लेकर विशेष उल्लास और भक्ति देखने को मिला। हरिद्वार और अन्य तीर्थ स्थलों से कांवड़ लेकर आए शिवभक्त (कांवड़िए) मंदिरों में जलाभिषेक कर रहे हैं। प्रशासन ने कांवड़ यात्रा को सफल बनाने के लिए सुरक्षा और सुविधा के विशेष इंतजाम किए हैं। कई जगहों पर मेडिकल टीमें तैनात की गई हैं ताकि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत सहायता दी जा सके। संवेदनशील स्थानों पर पीएसी, आरआरएफ और महिला पुलिसकर्मी भी सुरक्षा में लगे रहे।
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भक्ति गीतों से गूंजा वातावरण- कांवड़ यात्रा के दौरान डीजे पर भक्ति गीतों की गूंज से माहौल और भी भक्तिमय हो गया। रास्ते में जगह-जगह पंडाल और सेवा शिविर लगाए गए हैं, जहां कांवड़ियों के ठहरने, खाने-पीने और आराम करने की नि:शुल्क व्यवस्था की गई है। संभल शहर के प्रमुख चौराहों, मंदिरों और मार्गों पर स्थानीय नागरिकों और स्वयंसेवी संगठनों ने मिलकर जलपान और फल वितरण की व्यवस्था की। यह सेवा भावना कांवड़ियों के बीच उत्साह का कारण बनी। चन्दौसी श्री कांवड़ सेवा समिति के तत्वावधान में सावन के इस पवित्र महीने में मंगलवार को भगवान शिव की भव्य बारात निकाली गई। बारात में कांवड़ियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। चारों ओर “हर-हर महादेव” और “बोल बम” के जयकारे गूंजते रहे। इस दौरान एक खास दृश्य देखने को मिला जब हरिद्वार से लौट रहे कांवड़ियों का एक जत्था सामूहिक रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करने लगा। इस कारण कुछ देर के लिए चौराहे पर यातायात बाधित हुआ। हालांकि, माहौल पूरी तरह भक्तिमय और शांतिपूर्ण रहा। स्थानीय लोग भी शांति से साइड होकर अपने रास्ते निकल गए। पाठ समाप्त होने के बाद कांवड़ियों का जत्था फिर से अपने गंतव्य की ओर रवाना हो गया।
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