Balochistan के खौफ में घिरे जिन्ना के देश की सरकार का नया हुक्म, 'रात के वक्त बलूचों के इलाके में न जाएं'
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Balochistan के खौफ में घिरे जिन्ना के देश की सरकार का नया हुक्म, ‘रात के वक्त बलूचों के इलाके में न जाएं’

जिन्ना के देश पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत बलूचिस्तान प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है, लेकिन दशकों से उपेक्षा और दमन का शिकार रहा है। स्थानीय समुदाय लंबे समय से राजनीतिक अधिकारों, संसाधनों पर स्वामित्व और सांस्कृतिक पहचान की मांग करते आ रहे हैं

by Alok Goswami
Jul 23, 2025, 02:55 pm IST
in विश्व, विश्लेषण
पाकिस्तान सरकार बलूच विद्रोहियों के बढ़ते प्रभाव को नकार नहीं पा रही है  (File Photo)

पाकिस्तान सरकार बलूच विद्रोहियों के बढ़ते प्रभाव को नकार नहीं पा रही है (File Photo)

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जिन्ना के देश की सरकार और सेना के सिर पर बलूच विद्रोहियों का भय सिर चढ़कर बोल रहा है। इस्लामाबाद और पंजाब सूबे के ताजे फरमान इस ओर संकेत करते हैं। फरमान यह है कि ‘पाकिस्तान के इस हिस्से, खासकर पंजाब में रहने वाले बलूचिस्तान जाने से बचें। न कोई अपनी कार लेकर जाए, न कोई सरकारी गाड़ी से वहां जाए।’ जो सरकार अपने नागरिकों को सुरक्षा देने में नाकामयाब साबित हुई है अब उस सरकार को इस प्रकार का आदेश देना पड़ा है। इसके मायने यही हैं कि वह अपने नागरिकों से कह रही है कि अपनी जान की स्वयं रक्षा करें, इस्लामाबाद या पंजाब की सरकारों के सुरक्षा इंतजामों के भरोसे न रहें।

जिन्ना के देश की फौज बलूचिस्तान में सक्रिय विद्रोही गुटों से थर थर कांपती है। पड़ोसी पंजाब सूबे के लोगों में तो काफी भय है। ​उस इस्लामी देश की फौज में बहुतायत पंजाब के जवानों की है इसलिए सैकड़ों जवान तो बलूचिस्तान के इलाके में जाने से कन्नी काट चुके हैं। कई तो चौकियां तक छोड़ के भाग खड़े हुए हैं। रात के समय इस्लामाबाद के प्रति आक्रोश में उबल रहे बलूचिस्तान में लोग अपनी या सरकारी गाड़ी से जाने में पहले से कतराने लगा हैं। अब सरकारी फरमान के बाद तो और सन्नाटा पसर जाएगा। बलूचिस्तान लिबरेशन फोर्स पाकिस्तान की फौज के पसीने छुड़ाने में लगी ही हुई है।

लेकिन यह तो तय बात है कि पाकिस्तान सरकार द्वारा बलूचिस्तान में रात के समय यात्रा पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय वहां पनप चुकी एक गहरी सुरक्षा चिंता और राजनीतिक अस्थिरता की ओर इशारा करता है। यह कदम न केवल बलूचिस्तान में बढ़ते विद्रोह का सुराग देता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि पाकिस्तान की सेना और प्रशासन वहां की स्थिति को नियंत्रित करने में असमर्थ साबित हो रहे हैं।

बलूचिस्तान में रात में यात्रा पर प्रतिबंध पाकिस्तान सरकार की कमजोरी और बलूच विद्रोहियों की ताकत का प्रतीक है    (File Photo)

जिन्ना के देश का सबसे बड़ा प्रांत बलूचिस्तान प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है, लेकिन दशकों से उपेक्षा और दमन का शिकार रहा है। स्थानीय समुदाय लंबे समय से राजनीतिक अधिकारों, संसाधनों पर स्वामित्व और सांस्कृतिक पहचान की मांग करते आ रहे हैं। इसी असंतोष ने बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) और बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट (BLF) जैसे विद्रोही संगठनों को जन्म दिया। अब तो वहां ‘पाकिस्तान के बर्बर शासन से आजादी’ का आंदोलन जोर पकड़ता जा रहा है।

हाल ही में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने “ऑपरेशन बाम” नामक अभियान शुरू किया है, जिसके तहत सिर्फ तीन दिनों में 84 हमले बोले गए हैं। इन हमलों में पाकिस्तानी सेना के 50 से अधिक जवान मारे जा चुके हैं। कई फौजी चौकियों पर कब्जा कर लिया गया और संचार प्रणाली को नुकसान पहुंचाया गया है। अब अगर हालात रात में उस सूबे की यात्रा पर प्रतिबंध लगाने तक आ पहुंची है तो साफ है कि सरकार अब अपने ही नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में नाकाम हो चली है।

सरकार ने ग्वादर, झोब, नोशकी, मुसाखेल जैसे जिलों में सार्वजनिक परिवहन पर रात में रोक लगा दी है। बसों में CCTV, GPS और पैनिक अलार्म जैसे सुरक्षा उपाय अनिवार्य कर दिए गए हैं।
डेरा गाजी खान प्रशासन ने भी शाम 5 बजे के बाद बलूचिस्तान में प्रवेश पर रोक लगा दी है। पाकिस्तान सरकार अब बलूच विद्रोहियों के बढ़ते प्रभाव को नकार भी नहीं पा रही है। सेना की चौकियों को खाली करना और सैनिकों का पीछे हटना इस बात का प्रमाण है कि बलूचिस्तान में अब सरकार की पकड़ कमजोर हो चुकी है।

बलूच विद्रोही संगठनों ने हाल के महीनों में अपने हमलों को तेज करते हुए संपूर्ण आजादी का आह्वान किया है। जाफर एक्सप्रेस ट्रेन का अपहरण हुआ था जिसमें 26 बंधकों की मौत हुई थी।सड़कों पर बसों से यात्रियों को उतारकर हत्या की गई, विशेषकर पंजाबी नागरिकों को निशाना बनाया गया। सैन्य वाहनों पर IED हमलों में दर्जनों सैनिक मारे जा चुके हैं। इन घटनाओं से साफ है कि बलूच विद्रोही अब केवल छिटपुट हमलों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि उन्होंने एक संगठित और रणनीतिक विद्रोह छेड़ दिया है।

कुछ दिन पहले, सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने दावा किया था कि 1500 आतंकवादी देश का भविष्य नहीं बदल सकते। लेकिन ऑपरेशन बाम और लगातार हो रहे हमलों ने इस दावे को खोखला साबित कर दिया है। सैनिकों के भाग खड़े होने और लापता होने की खबरें सामने आई हैं।

कहना न होगा, बलूच संगठनों की एकजुटता और उनकी सैन्य रणनीति ने पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा को गंभीर संकट में डाल दिया है। बलूचिस्तान में रात की यात्रा पर प्रतिबंध केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं है, बल्कि यह पाकिस्तान सरकार की कमजोरी और बलूच विद्रोहियों की ताकत का प्रतीक है। यह स्थिति दर्शाती है कि बलूचिस्तान अब केवल एक अशांत क्षेत्र नहीं, बल्कि एक राजनीतिक और सैन्य चुनौती बन चुका है। यदि पाकिस्तान सरकार ने जल्द ही राजनीतिक समाधान नहीं खोजा, तो यह विद्रोह और अधिक व्यापक और खतरनाक रूप ले सकता है।

Topics: gwadarblaबलूचिस्तानbalochistanबलूचपाकिस्तानPakistan
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