Suprime Court
सुप्रीम कोर्ट की एक पांच जजों वाली संविधान पीठ जल्द ही राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा उठाए गए 14 अहम संवैधानिक सवालों पर विचार करने जा रही है। यह सवाल संविधान के अनुच्छेद 143(1) के तहत उठाए गए हैं। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 8 अप्रैल 2024 को एक फैसले में कहा था कि राज्यपाल को राज्य विधानसभा से पारित किसी भी विधेयक पर निर्णय लेने की कोई समयसीमा तय होनी चाहिए। इस फैसले में अदालत ने यह भी कहा कि राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सलाह से बंधे होते हैं और उनके पास कोई व्यक्तिगत विवेकाधिकार नहीं होता। राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर कई सवाल उठाए हैं। ये सवाल इस बात से जुड़े हैं कि क्या न्यायालय राज्यपाल और राष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पदों की शक्तियों और कर्तव्यों में हस्तक्षेप कर सकता है या उनकी समयसीमा तय कर सकता है।
संविधान के अनुच्छेद 143(1) का क्या अर्थ है- संविधान का अनुच्छेद 143(1) राष्ट्रपति को यह अधिकार देता है कि यदि उन्हें किसी कानूनी या संवैधानिक सवाल पर अदालत की राय चाहिए, तो वे उस सवाल को सुप्रीम कोर्ट के पास भेज सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट उस विषय पर सुनवाई कर राष्ट्रपति को अपनी राय देता है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट से पूछे ये सवाल-
सुप्रीम कोर्ट ने 8 अप्रैल 2024 को अपने फैसले में कहा था कि राज्यपाल किसी विधेयक को अनिश्चितकाल तक रोक नहीं सकते। उन्हें मंत्रिपरिषद की सलाह के अनुसार कार्य करना होता है और यह एक संवैधानिक बाध्यता है। कोर्ट ने यह भी साफ कहा कि अगर राज्यपाल किसी विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजते हैं और राष्ट्रपति उसे मंजूरी नहीं देते, तो राज्य सरकार सीधे सुप्रीम कोर्ट जा सकती है।
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