जलगांव में विश्व हिंदू परिषद की केंद्रीय प्रबंध समिति की दो दिवसीय बैठक में हुए निर्णयों की जानकारी देते हुए विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष व वरिष्ठ अधिवक्ता श्री आलोक कुमार ने कहा कि हिंदू समाज का संकल्प है कि अब मंदिर सरकारी कब्जे में नहीं रहेंगे। समाज अब उन्हें मुक्त कराके ही रहेगा।
हिंदू एकता पर प्रहारों का देंगे करारा जवाब
इसके साथ ही बैठक में जाति, भाषा, प्रांत, क्षेत्र व लिंग इत्यादि के आधार पर हिंदू समाज के विविध घटकों को अलग-अलग करने की विभाजनकारी मानसिकता के विरुद्ध एक प्रस्ताव भी पारित किया गया जिसमें सभी कार्यकर्ताओं, पूज्य संतों व सामाजिक संगठनों के साथ संपूर्ण हिंदू समाज से आह्वान किया गया कि वह समाज को तोड़ने वाली इन शक्तियों को पहचान कर अपने अंतर्निहित भेदभावों को दूर कर, संगठित रहें तो हमें ना कोई तोड़ सकेगा और ना ही मिटा सकेगा।
विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष ने यह भी कहा कि कभी पीडीए तो कभी मीम-भीम, कभी आर्य-द्रविड़ तो कभी महिषासुर-दुर्गा, कभी भाषा-जाति तो कभी राज्य व क्षेत्रवाद, तो कभी ओआरपी जैसे मुद्दों के माध्यम से कुछ हिंदू—द्रोही शक्तियां हिंदू समाज की एकजुटता को तोड़ने में लगी हैं। हमने 1969 में ही संकल्प लिया था कि ‘हिन्दवा: सोदरा सर्वे, ना हिंदू पतित भवेत्’ अर्थात् हिंदू हम सब भाई हैं। कोई ऊंचा नीचा नहीं है। हम हिंदू—द्रोहियों के विभाजनकारी षड्यंत्रों को फलीभूत नहीं होने देंगे।
इस सम्बन्ध में, विहिप की इस केंद्रीय प्रबंध समिति बैठक में, ‘संगठित एवं सशक्त हिंदू ही समाज विखंडन के षड्यंत्रों का एकमेव समाधान’ नाम से पारित एक प्रस्ताव में कहा गया है कि ‘इन विघटनकारी प्रवृत्तियों के पीछे विस्तारवादी चर्च, कट्टरपंथी इस्लाम, मार्क्सवाद, धर्मनिरपेक्षतावादी तथा बाजारवादी शक्तियां तीव्रगति से सक्रिय हैं। इसके लिए विदेशी वित्त पोषित, तथाकथित प्रगतिशीलतावादी, धर्मांतरणकारी शक्तियां और भारत विरोधी वैश्विक समूह भी सक्रिय हैं। इनका अंतिम लक्ष्य हिंदू समाज को तोड़ना और भारत की जड़ों पर प्रहार करना है।’ प्रस्ताव में हिंदू समाज से आह्वान करते हुए कहा गया है कि वो ‘विखंडनकारी शक्तियों को पहचान कर अपने अंतर्निहित भेदभावों को जड़मूल से समाप्त करें।’ इसमें सरकारों से भी ‘नैतिक शिक्षा को पाठ्यक्रम में समाविष्ट’ करने का आह्वान किया गया है।
मंदिर स्वाधीनता आंदोलन:
श्री आलोक कुमार ने कहा कि बैठक में मंदिरों की सरकारी नियंत्रण से मुक्ति हेतु एक व्यापक कार्ययोजना भी बनाई गई है। इसके अंतर्गत हिंदू समाज के प्रतिनिधि आगामी 7 से 21 सितंबर के बीच राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मिलकर इस संबंध में ज्ञापन देंगे। प्रत्येक महानगर में प्रबुद्ध जनों की सभा करके इसके प्रति समर्थन बढ़ाया जाएगा। दूसरे चरण में, देश की सभी बड़ी विधानसभाओं के सत्र के दौरान विधायकों से व्यापक संपर्क करेंगे जिससे वे अपनी राज्य सरकारों पर इस हेतु उचित दबाव बना कर, मंदिरों को स्वाधीन करा सकें।
महाराष्ट्र के जलगांव स्थित बलाणी रिसॉर्ट में संपन्न हुई इस बैठक में विहिप के केंद्रीय महामंत्री श्री बजरंग लाल बागड़ा ने संगठन की छमाही प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत कर पिछली बैठक की कार्यवाही का अनुमोदन भी सदन से कराया। इसमें विहिप के संगठन महामंत्री श्री मिलिंद परांडे, सह संगठन महामंत्री श्री विनायकराव देशपांडे, वरिष्ठ उपाध्यक्ष व श्री रामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के महा सचिव श्री चंपत राय, कोषाध्यक्ष श्री रमेश गुप्ता के अतिरिक्त बजरंगदल, दुर्गावाहिनी, मातृशक्ति, गोरक्षा, सेवा, समरसता, सत्संग, धर्मप्रसार, मठ मंदिर जैसे आयामों के राष्ट्रीय व क्षेत्रीय प्रमुख भी उपस्थित थे। इसमें देशभर के सभी प्रांतों के 265 विहिप पदाधिकारियों तथा नेपाल से पधारे संगठन के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
टिप्पणियाँ