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होम भारत तमिलनाडु

मद्रास हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: “जाति इंसानों की बनाई, भगवान सबके लिए एक”

मद्रास हाई कोर्ट ने अरियालुर के अरुलमिगु पुथुकुडी अय्यनार मंदिर में SC समुदाय को प्रवेश और रथ उत्सव में हिस्सा लेने की अनुमति दी। कोर्ट ने कहा, "जाति इंसानों की बनाई है, भगवान सबके लिए निष्पक्ष हैं।" इस फैसले से धार्मिक बराबरी और संवैधानिक हक मजबूत हुए।

by Kuldeep Singh
Jul 18, 2025, 11:25 am IST
in तमिलनाडु
Mdrass high court SC temple verdict

प्रतीकात्मक तस्वीर

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मद्रास हाई कोर्ट ने हाल ही में एक बड़ा और दिल को छू लेने वाला फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया कि जाति और समुदाय जैसी चीजें इंसानों ने बनाई हैं, लेकिन भगवान हमेशा सबसे ऊपर और निष्पक्ष रहते हैं। इस फैसले के तहत अनुसूचित जाति (SC) समुदाय के लोगों को अरियालुर जिले के अरुलमिगु पुथुकुडी अय्यनार मंदिर में प्रवेश करने और 16 से 31 जुलाई तक होने वाले रथ उत्सव में शामिल होने की पूरी इजाजत दी गई है। यह फैसला न सिर्फ धार्मिक बराबरी को बढ़ावा देता है, बल्कि हमारे संविधान में दिए गए सभी को बराबर मानने के हक को और मजबूत करता है।

क्या है पूरा मामला?

यह मामला अरियालुर जिले के उदयरपलायम तालुक में स्थित पुथुकुडी अय्यनार मंदिर से जुड़ा है। वेंकटेसन नाम के एक व्यक्ति ने कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने मांग की थी कि SC समुदाय के लोगों को इस मंदिर में आने-जाने और उत्सव में हिस्सा लेने की इजाजत दी जाए। याचिकाकर्ता ने बताया कि 2019 में कुछ प्रभावशाली लोगों ने मंदिर प्रशासन पर कब्जा करने की कोशिश की और SC समुदाय को मंदिर में घुसने से रोक दिया। इतना ही नहीं, इस समुदाय ने मंदिर बनाने में पैसे और मेहनत दी थी, फिर भी उनकी बनाई मूर्तियों और संरचनाओं को तोड़ दिया गया। यह सुनकर किसी का भी दिल दुख सकता है।

इसे भी पढ़ें: ‘लव जिहाद का चल रहा आंदोलन, यह देश के लिए खतरा’, कोर्ट ने जताई गंभीर चिंता, शहबाज को भेजा जेल 

कोर्ट ने क्या कहा?

न्यायमूर्ति एन. आनंद वेंकटेश, जो इस मामले को देख रहे थे, ने बहुत साफ और मानवीय तरीके से अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, “जाति और समुदाय जैसी चीजें इंसानों ने बनाई हैं। भगवान तो हमेशा सबके लिए एक जैसे हैं। SC समुदाय के लोगों को प्रार्थना करने से रोकना उनकी इज्जत को ठेस पहुंचाना है। ऐसा उस देश में बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जा सकता, जो कानून के हिसाब से चलता है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर कोई मंदिर सबके लिए खुला है, तो वहां हर किसी को, चाहे वो किसी भी जाति का हो, बिना रोक-टोक के आने-जाने और पूजा करने का हक है। यह सुनकर लगता है कि कोर्ट ने न सिर्फ कानून की बात की, बल्कि दिल से दिल तक बात पहुंचाई।

कोर्ट के आदेश

कोर्ट ने अरियालुर के पुलिस अधीक्षक और उदयरपलायम के राजस्व मंडल अधिकारी (RDO) को साफ निर्देश दिए कि वे यह सुनिश्चित करें कि हर हिंदू, चाहे वो किसी भी जाति से हो, मंदिर में जा सके और उत्सव में शामिल हो सके। अगर कोई SC समुदाय को रोकने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस दौरान कोई कानून-व्यवस्था की समस्या नहीं होनी चाहिए। यानी, सब कुछ शांति और सम्मान के साथ होना चाहिए।

सभी के लिए बराबर हक

कोर्ट ने अपने फैसले में तमिलनाडु मंदिर प्रवेश प्राधिकरण अधिनियम, 1947 का जिक्र किया। इस कानून में साफ लिखा है कि हर हिंदू, चाहे उसकी जाति या समुदाय कुछ भी हो, उसे मंदिर में प्रवेश और पूजा करने का पूरा हक है। यह कानून सालों की मेहनत और संघर्ष का नतीजा है, जो यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी भेदभाव न हो।

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