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‘सोशल मीडिया पर कट्टरपंथी विचारों का प्रसार UAPA के दायरे में’, दिल्ली HC ने आतंकी फिरोज को जमानत देने से किया इनकार

अहेंगर आतंकवादी मेहरान यासीन शल्ला का करीबी था। उसने न केवल आतंकी की तस्वीरें पोस्ट कीं, बल्कि लोगों को आतंकवादी गतिविधियों के लिए उकसाया भी।

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सुनीता मिश्रा

दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार (15 जुलाई) को आतंकवादी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) से जुड़े आतंकी अरसलान फिरोज अहेंगर को जमानत देने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद व न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ ने आरोपी को राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि साक्ष्यों से छेड़छाड़ की प्रबल संभावना है और उसके खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य मिले हैं। कट्टरपंथी विचारधारा के प्रसार के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करना गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के दायरे में आता है। पीठ ने आतंकी कृत्यों की साजिश, प्रयास, उकसावे के लिए दंड का प्रावधान करने वाली यूएपीए की धारा-18 का विश्लेषण करने के बाद कहा कि 20 वर्षीय आरोपी के खिलाफ पर्याप्त सुबूत पाए गए हैं। अहेंगर ने न केवल आतंकी की तस्वीरें पोस्ट कीं, बल्कि लोगों को आतंकवादी गतिविधियों के लिए उकसाया भी। वह मारे गए आतंकवादी मेहरान यासीन शल्ला का करीबी था और उसने स्वयं आतंकवादी गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लिया था।

हाई कोर्ट से भी नहीं मिली राहत

निचली अदालत ने सितंबर 2024 में अहेंगर की जमानत याचिका कर दी थी, जिसके बाद उसने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन वहां से भी उसे कोई राहत नहीं मिली।

एनआईए ने अहेंगर को 2021 को गिरफ्तार किया

रिपोर्ट्स के मुताबिक, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने आरोपी को 30 दिसंबर 2021 को गिरफ्तार किया था। एनआईए ने आरोप लगाया कि संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने की पृष्ठभूमि में लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों ने अल्पसंख्यकों, सुरक्षा बलों, राजनीतिक नेताओं और अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों पर लक्षित हमलों की साजिश रची जा रही थी।

अंसार गजवात-उल-हिंद और शेखू नाइकू जैसे कुछ ग्रुप बनाने का आरोप

आरोपी अहेंगर तैयबा से जुड़े मेहरान यासीन शल्ला का खास था। अहेंगर उससे काफी प्रभावित था। जांच एजेंसी के मुताबिक, 24 नवंबर 2021 को शल्ला दो अन्य व्यक्तियों के साथ एक मुठभेड़ में मारा गया था। इसके बाद से ही अहेंगर कट्टरपंथी सामग्री साझा की जाने वाली विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर डिजिटल रूप से सक्रिय था। अहेंगर पर अंसार गजवात-उल-हिंद और शेखू नाइकू जैसे कुछ ग्रुप बनाने और कई जीमेल आईडी बनाने का भी आरोप है। इनके जरिये कट्टरपंथी विचारों को व्यक्त किया जाता था और भोले-भाले युवाओं को आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के लिए उकसाया जाता था।

 

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