इस समय फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ को लेकर जो हो रहा है, वह देश के लिए चिंता की बात है। इस फिल्म के प्रदर्शन को रोकने के लिए बड़े-बड़े वकील लगे। इन लोगों ने उच्च न्यायालय से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक में फिल्म को ‘भड़काने वाला’ बताने का भरपूर प्रयास किया। अंतत: 10 जुलाई को दिल्ली उच्च न्यायालय ने फिल्म के प्रदर्शन पर अंतरिम रोक लगा दी।
बता दें कि यह फिल्म 28 जून, 2022 को उदयपुर में हुई दर्जी कन्हैयालाल तेली की हत्या पर आधारित है। इस दिन दो जिहादियों-रियाज अत्तारी और गौस मोहम्मद- ने धारदार हथियार से कन्हैयालाल की गला काटकर हत्या कर दी थी। यही नहीं, एक अन्य जिहादी ने उस हत्या का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में साझा किया था। इस हत्याकांड के बाद पूरी दुनिया में बर्बर जिहादी सोच पर चिंता जताई गई थी। उसी सोच को फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ के जरिए दुनिया के सामने लाने का प्रयास किया गया है। फिल्म के निर्देशक भरत एस. श्रीनेत कहते हैं, ‘‘दर्जी कन्हैयालाल की निर्मम हत्या एक ऐसा कांड है, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। इस फिल्म में न केवल उस घटना को यथार्थ रूप में प्रस्तुत किया गया है, बल्कि इसके पीछे की मानसिकता, व्यवस्था की भूमिका और समाज के मौन को भी प्रभावशाली रूप से चित्रित किया गया है।’’
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लेकिन इस फिल्म के प्रदर्शन को रोकने के लिए ‘जमीयत उलेमा ए हिंद’ ने दिल्ली उच्च न्यायालय सहित कुछ और उच्च न्यायालयों में याचिकाएं दायर कीं। इसके साथ इन लोगों ने कन्हैयालाल हत्याकांड के एक अन्य आरोपी जावेद के जरिए सर्वोच्च न्यायालय में भी एक याचिका डलवाई। न्यायमूर्ति सुधांशु धुलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने याचिका पर तत्काल सुनवाई से मना कर दिया। हालांकि पीठ ने कहा कि गर्मी की छुट्टियों के बाद 14 जुलाई को न्यायालय खुलेगा, तब इसे सुनवाई के लिए रखा जा सकता है। इसके साथ ही न्यायालय ने कहा कि अभी फिल्म को प्रदर्शित होने दिया जाए। 9 जुलाई को ही दिल्ली उच्च न्यायालय में भी ‘जमीयत उलेमा ए हिंद’ की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की ओर से वकील कपिल सिब्बल अदालत में पहुंचे और उन्होंने फिल्म को प्रदर्शित न होने देने की मांग की। इस पर मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय की पीठ ने आदेश दिया कि याचिकाकर्ता और उसके वकील कपिल सिब्बल को आज ही फिल्म दिखाई जाए। इस कारण 9 जुलाई की रात को ही संबंधित लोगों को फिल्म दिखाई गई।
वहीं फिल्म के निर्माता अमित जानी कहते हैं, ‘‘फिल्म का विरोध करने वालों का तर्क है कि यह मुसलमानों की भावनाओं के विरुद्ध है। इसके साथ ही वे तर्क देते हैं कि इससे देश का भाईचारा बिगड़ सकता है। ये बेबुनियाद बातें हैं। फिल्म मेें वही दिखाया गया है, जो घटित हुआ है।’’ उन्होंने यह भी कहा, ‘‘जो अरशद मदनी इस फिल्म का विरोध कर रहे हैं, उन्होंने और उनके संगठन ‘जमीयत उलेमा ए हिंद’ ने कमलेश तिवारी के हत्यारों को बचाने के लिए खुलेआम मदद देने की घोषणा की थी। उस समय उन्हें भाईचारा टूटने का डर क्यों नहीं हुआ!’’ अमित ने यह भी आरोप लगाया, “अरशद मदनी और कन्हैयालाल के हत्यारों के बीच संबंध हैं। पूरी दुनिया जानती है कि कन्हैयालाल की हत्या किस बर्बरता से हुई है। इसके बाद भी यदि अरशद मदनी जैसे लोग उनके हत्यारों के पक्ष में खड़े हैं, तो यह उनकी घातक सोच को दर्शाता है। यह सोच देश के लिए ठीक नहीं है। दरअसल, ये लोग फिल्म का विरोध कर उस पाप पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं, जिसका कोई प्रायश्चित नहीं है।’’
कन्हैयालाल के पुत्र के तीन संकल्प
यश तेली
तत्कालीन भाजपा नेता नुपूर शर्मा की एक पोस्ट को सोशल मीडिया में साझा करने पर दर्जी कन्हैयालाल को कुछ जिहादियों ने धमकी दी थी। इसके बाद उन्होंने उस पोस्ट को हटा कर माफी मांग ली थी। इसके बावजूद जिहादी नहीं माने और उन्होंने 28 जून, 2022 को उदयपुर में दर्जी कन्हैयालाल की हत्या उस समय गला रेतकर कर दी, जब वे अपनी दुकान पर काम कर रहे थे। इस हत्याकांड की जांच एन.आई.ए. को सौंपी गई थी। एन.आई.ए. ने कुल 11 जिहादियों को आरोपी बनाया है। इनमें से नौ को गिरफ्तार किया जा चुका है, बाकी दो फरार हैं।
ये दोनों पाकिस्तानी हैं। नौ आरोपियों में से दो को जमानत भी मिल चुकी है। कन्हैयालाल के बेटे यश तेली ने उनकी जमानत का विरोध किया है। यश को शिकायत है कि इतनी बर्बर हत्या को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। मुकदमे की तारीखें भी लंबी पड़ रही हैं। अपने पिता की हत्या के बाद यश ने तीन संकल्प लिए थे—पहला, पिता की अस्थियों का विसर्जन नहीं करना है, दूसरा, नंगे पांव रहना है और तीसरा, बाल नहीं कटवाने हैंं। यश अभी भी अपने संकल्पों पर अडिग हैं। उनका कहना है कि जब तक पिता के हत्यारों को सजा नहीं मिल जाती है, तब तक वे अपने संकल्पों के साथ जिएंगे।
सिनेमाघरों में तोड़फोड़
9 जुलाई की रात को मुंबई में इस फिल्म के विरोध में कुछ तत्वों ने सिनेमाघरों में तोड़फोड़ की। इससे पहले 7 जुलाई को ‘हजरत ख्वाजा गरीब नवाज वेलफेयर एसोसिएशन महाराष्ट्र’ ने मुंबई के 22 सिनेमाघरों को पत्र लिखकर कहा कि वे इस फिल्म को न दिखाएं। यानी इस संगठन ने एक तरह से सिनेमाघरों के मालिकों को धमकाया कि यदि फिल्म दिखाएंगे तो अंजाम बुरा होगा।
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फिल्म के कलाकार
फिल्म में दर्जी कन्हैयालाल की भूमिका में अभिनेता विजय राज हैं। फिल्म के अन्य कलाकार हैं प्रीति झंगियानी, रजनीश दुग्गल, कांची सिंह, मुश्ताक खान, राकेश बिश्नोई, पुनीत वशिष्ठ, कमलेश सावंत, एहसान खान, संदीप बोस, मनोज बक्शी, आधी यादव आदि। फिल्म में कैलाश खेर, पलक मुछाल, अली कुली मिर्ज़ा, नंदिनी श्रीकर, प्रतिभा कुमारी, दिव्य कुमार और सौरभ शाह यादव ने अपनी आवाज का जादू बिखेरा है। हर गीत न केवल कहानी को आगे बढ़ाता है, बल्कि दर्शकों को भीतर तक झकझोरने वाला भावनात्मक अनुभव भी देता है।
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