भारत को एक और गर्व का पल मिला है। भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला 18 दिन अंतरिक्ष में बिताने के बाद सुरक्षित धरती पर लौट आए हैं। वे “एक्सिओम-4” मिशन का हिस्सा थे। इस मिशन में उनके साथ तीन और अंतरिक्ष यात्री भी थे।
शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम आज दोपहर 3 बजकर 1 मिनट पर अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य के पास प्रशांत महासागर में सुरक्षित रूप से उतरे। इस प्रक्रिया को ‘स्प्लैशडाउन’ कहा जाता है। अंतरिक्ष स्टेशन से धरती तक की यह यात्रा पूरी करने में उन्हें लगभग 22 घंटे 30 मिनट का समय लगा।
#WATCH ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और ड्रैगन अंतरिक्ष यान पर सवार एक्सिओम-4 चालक दल, अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर 18 दिनों के प्रवास के बाद पृथ्वी पर लौटे।#AxiomMission4
(वीडियो सोर्स: एक्सिओम स्पेस/ यूट्यूब) pic.twitter.com/I8AlhsafEO
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 15, 2025
क्या है स्प्लैशडाउन?- जब कोई अंतरिक्ष यान अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से लौटता है, तो उसे समुद्र में उतारा जाता है। इसे “स्प्लैशडाउन” कहा जाता है। इसके बाद रेस्क्यू टीम नाव या हेलिकॉप्टर से वहां पहुंचती है और यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकालती है। शुभांशु शुक्ला ने ISS पर 18 दिन बिताए। अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण नहीं होता, जिसे “जीरो ग्रैविटी” कहते हैं। इससे शरीर पर कई असर होते हैं- मांसपेशियाँ और हड्डियाँ कमजोर हो सकती हैं, दिल की धड़कन व ब्लड प्रेशर में बदलाव आ सकता है।
जब अंतरिक्ष यात्री जैसे शुभांशु शुक्ला धरती पर लौटते हैं, तो उन्हें सीधे घर नहीं भेजा जाता। क्योंकि अंतरिक्ष में ज़ीरो ग्रैविटी के कारण उनका शरीर कमजोर हो जाता है।धरती के गुरुत्वाकर्षण में फिर से ढलने में थोड़ा समय लगता है। इसलिए शुभांशु और उनके साथी अंतरिक्ष से लौटने के बाद नासा के एक विशेष केंद्र (आइसोलेशन सेंटर) में ले जाए जाते हैं। वहां डॉक्टर उनकी पूरी जांच करते हैं – जैसे दिल की धड़कन, मांसपेशियां, हड्डियां, आंखें और सुनने की शक्ति। अंतरिक्ष से लौटने पर थकान, चक्कर आना और खड़े होने में परेशानी हो सकती है। इसलिए उन्हें पूरा आराम दिया जाता है, ताकि वे धीरे-धीरे फिर से अपनी सामान्य जिंदगी में लौट सकें।
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