उत्तर प्रदेश

श्रावस्ती में भी छांगुर नेटवर्क! झाड़-फूंक से सिराजुद्दीन ने बनाया साम्राज्य, मदरसा बना अड्डा- कहां गईं 300 छात्राएं..?

सिराजुद्दीन का ससुराल बलरामपुर के उतरौला में है। वहीं उसके छांगुर से संबंध जुड़े, इससे उतरौला आना-जाना बढ़ा। अवैध मदरसा, विदेशी फंडिंग और झाड़-फूंक की आड़ में रचा गया षड्यंत्र!

Published by
SHIVAM DIXIT

बलरामपुर के उतरौला से पकड़े गए मतांतरण गिरोह छांगुर के तार अब उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती ज़िले से जुड़ते नजर आ रहें है। यहां के मौलाना सैयद सिराजुद्दीन हाशमी को मौलाना छांगुर जलालुद्दीन का एजेंट बताया जा रहा है। फिलहाल कन्जर्वन कराने वाला संगठित गिरोह का सरगना बलरामपुर जनपद का जलालुद्दीन उर्फ छांगुर, उसका बेटा महबूब और गिरोह के नवीन घनश्याम रोहरा उर्फ जमालुद्दीन और उसकी पत्नी नीतू रोहरा उर्फ नसरीन फिलहाल जेल में हैं।

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बता दें कि पाञ्चजन्य ने वर्ष 2022 में ही छह उंगलियों वाले जलालुद्दीन के कन्वर्जन सिंडिकेट, अवैध जमीन कब्जे और विदेशी पैसे के गोरखधंधे का भंडाफोड़ अपनी रिपोर्ट के माध्यम से किया था। ठीक इसी तरह श्रावस्ती के सैयद सिराजुद्दीन हाशमी का पैटर्न भी छांगुर की तरह ही नजर आया है। सिराजुद्दीन ने अपना सफर छांगुर की तरह मजहबी झाड़ – फूंक से शुरू किया।

झाड़ फूंक से कोठी तक का खेल!

गुजरात के वडोदरा जिले के धोबोई निवासी सिराजुद्दीन पहले झाड़-फूंक, ताबीज और टोने-टोटके के धंधे में जुटा था। फिर उसने किराए के मकान से निकलकर अवैध ज़मीन कब्जा की और वहां आलीशान कोठी खड़ी कर ली। लेकिन असली खेल यहां खत्म नहीं हुआ।

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2019 में सिराजुद्दीन ने श्रावस्ती के इकौना देहात के रहमान पुरवा गांव में ‘जामिया नूरिया फातिमा लिल बनात’ नाम से एक बालिका मदरसा खड़ा कर दिया। इस मदरसे में 300 छात्राएं आवासीय रूप से रह रही थीं, लेकिन न तो इस मदरसे की कोई वैध मान्यता थी और न ही संचालन से संबंधित कोई कागज़ात।

अवैध मदरसा, संदिग्ध फंडिंग

सिराजुद्दीन ने मदरसे के बगल में दो बीघा ज़मीन और खरीद ली और वहां भव्य भवन निर्माण शुरू कर दिया। 1 मई को एसडीएम की जांच में मदरसे से जुड़े कोई वैध दस्तावेज नहीं मिले। डीएम अजय कुमार द्विवेदी ने बताया कि जो अभिलेख मिले भी, वे उर्दू में हैं। उनका अनुवाद कर जांच की जा रही है।

छांगुर से लिंक और बलरामपुर का कनेक्शन!

सिराजुद्दीन का ससुराल बलरामपुर के उतरौला में है। वहीं उसके छांगुर से संबंध जुड़े। उतरौला आना-जाना बढ़ा और अब टीम पता लगाने में जुटी है कि सिराजुद्दीन और छांगुर के बीच क्या गहरा रिश्ता है.?

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छापेमारी में सिराजुद्दीन के तीन बैंक खातों का खुलासा हुआ — एक स्थानीय और दो गुजरात के। अब इन खातों की जांच बैंक और ट्रेजरी विभाग कर रहा है ताकि फंडिंग का सारा सच सामने आ सके।

300 छात्राएं, कहां से आईं? कहां गईं?

प्रशासन अब यह भी पता लगा रहा है कि ये 300 छात्राएं कहां से लाई गई थीं..? कहीं ये भी मतांतरण के जाल में तो नहीं फंसी थीं..? या इन्हें किसी राष्ट्रविरोधी गतिविधि का हिस्सा तो नहीं बनाया गया और अभी वे कहां हैं, इसकी गहन पड़ताल जारी है।

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बता दें कि बलरामपुर से मजहबी झाड़ फूंक को आड में विदेशी फंडिंग और मतांतरण का एक बहुत बड़ा खेल चल रहा था।

फिलहाल सिराजुद्दीन और छांगुर के इस नेटवर्क का पूरी तरह खुलासा होना बाकी है, लेकिन इस साजिश ने ये साफ कर दिया है कि राष्ट्र को कमजोर करने की चालें अब बहुत ही संगठित और योजनाबद्ध तरीके से खेली जा रही हैं।

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