प्रतीकात्मक तस्वीर
केरल में भाजपा ने अपने भविष्य की राजनीति का बड़ा आगाज करने का संकेत दे दिया है। भाजपा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि की आगामी 2026 के विधानसभा के चुनाव में केरल में मजबूती के लिए नहीं वरन सरकार बनाने के लिए चुनाव लड़ेगी। इस क्रम में गृह मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता अमित शाह ने केरल में वार्ड स्तरीय बैठक को सम्बोधित किया। वार्ड स्तरीय बैठक भाजपा का केरल के प्रति अपने मंशा को जाहिर करता है।
भाजपा ने केरल में दो स्तर पर अपने को मजबूत करने की रूपरेखा को तैयार किया है। इसमें पहले इस साल के अंत में होने वाले स्थानीय निकायों के चुनाव में भाजपा अपने को मजबूत करेगी फिर अगले साल होने वाले विधानसभा के चुनाव में अपने को सत्ता पाने के लिए ताल ठोकेगी। भाजपा की इस सोच के पीछे ठोस कारण भी हैं।
केरल में कांग्रेस पार्टी नीत यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) दिनों दिन जनता से कटती जा रही है। भाजपा की नज़र यूडीएफ के टूटते जनाधार को अपने पाले में करने पर टिकी हुई है। भाजपा इसमें सफल होती हुई दिख रही है। विगत 2020 के केरल स्थानीय चुनाव में भाजपा नीत एनडीए ने ग्राम पंचायत, ब्लॉक पंचायत, नगर पालिका और नगर निगम के चुनावों में एनडीए ने अपने 2015 के प्रदर्शन में काफी सुधार किया था। एनडीए इस बार केरल के स्थानीय चुनाव में सीधा माकपा नीत लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) को टक्कर देने की स्थिति में अपने को पा रही है। यूडीएफ का गिरता जनाधार एनडीए के लिए राह और भी आसान करता दिख रहा है।
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भाजपा की नजर इस साल के स्थानीय चुनाव के बाद अगले साल के विधानसभा चुनाव पर टिक गई है। भाजपा त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, असम, हरियाणा के अपने प्रदर्शन को केरल में दोहराना चाह रही है। त्रिपुरा में 2018 में माकपा की सरकार थी और कांग्रेस पार्टी मुख्य विपक्षी दल थी। 2018 से पूर्व त्रिपुरा में भाजपा ने कभी भी कोई सीट नहीं जीता था, केवल एक कदमतलाकुर्ती सीट पर अपना जमानत बचने में सफल हो पाई थी। मगर 2018 में त्रिपुरा में भाजपा ने 36 सीट लेकर स्पष्ट बहुमत की सरकार बनाने में सफल हुई। केरल में भी त्रिपुरा वाले राजनीतिक हालात हैं। केरल में माकपा नीत एलडीएफ सरकार में है और कांग्रेस पार्टी विपक्ष की भूमिका में है। मगर विधानसभा के बाहर भाजपा मुख्य विपक्षी दल की भूमिका निभा रही है।
भाजपा ने अपने केरल के राजनीतिक लक्ष्य की शुरुआत 2024 के लोकसभा चुनाव से शुरू कर दी थी। पार्टी ने थ्रिसूर लोकसभा पर जीत दर्ज़ करने के साथ ही तिरूवनन्तपुरम लोकसभा की सीट पर दूसरे पायदान पर रही थी। भाजपा ने इस क्रम में 11 विधानसभा की सीटों पर प्रथम पायदान पर रही और 9 सीटों पर दूसरे पायदान पर रहकर कुल 20 विधानसभा की सीटों पर सीधे मुकाबले में रही थी।
पार्टी का केरल की राजनीति में अगला लक्ष्य मुख्यमंत्री पी विजयन और सोनिया गाँधी के परिवारों के बीच साठगांठ को उजागर करने का है, जिस पर वो आगे बढ़ती दिख रही है। इस तथ्य के स्पष्ट प्रमाण हैं कि दोनों परिवार एक दूसरे को राजनीतिक मदद कर रहे हैं। इस साठगांठ में गांधी परिवार को वायनाड लोकसभा की सीट और केरल से ज्यादा लोकसभा की सीट जिताना है। राहुल गांधी द्वारा राय बरेली और वायनाड लोकसभा दोनों सीटों से चुनाव जीतने के बाद बिना किसी विशेष सोच के गांधी परिवार ने वायनाड की सीट को प्रियंका के लिए खाली किया, जबकि इस परिवार के लिए रायबरेली ज्यादा पारंपरिक सीट थी। गांधी परिवार के विश्वस्त ओमान चांडी के निधन के बाद गांधी परिवार का केरल की राजनीति में केवल अधिक लोकसभा की सीट जीतने और वायनाड की सीट को बनाये रखने भर का दबदबा रह गया है।
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी कमजोरी से चुनाव लड़कर पी विजयन को मुख्यमंत्री बने रहने में मदद करेगी जैसा कि कांग्रेस पार्टी ने विगत 2021 के विधानसभा के चुनाव में किया था। कई अन्य तथ्य भी हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि दोनों परिवारों के बीच आपसी साठगांठ है। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 96 विधानसभा की सीटों पर बढ़त बनाई थी। वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 84 विधानसभा सीटों पर बढ़त बनाई, लेकिन 2021 के विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस महज 21 सीट ही जीत सकी थी। लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में इतना अंतर काफी आश्चर्यजनक है।
केरल में 60 ऐसी विधानसभा के सीटें हैं, जिन पर एलडीएफ ने 2021 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की, जबकि 2024 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस/यूडीएफ ने बढ़त हासिल किया था। इन 60 विधानसभा का यह आकड़ा दर्शाता है कि कांग्रेस विधानसभा का चुनाव कमजोरी से लड़कर विजयन को मदद करती है, वहीं लोकसभा चुनाव में विजयन कमजोरी से लड़कर कांग्रेस पार्टी नीत यूडीएफ को सपोर्ट करते हैं।
पी विजयन को केंद्र में कोई व्यक्तिगत दावा नहीं बनता है। वे (पी विजयन) और गाँधी परिवार अपने परिवार को राजनीति में आगे बढ़ाने के मुद्दे पर एका हैं। जहाँ सोनिया गांधी को अपने संतानों को राजनीति में आगे बढ़ाना है, वहीं पी विजयन को अपने दामाद मोहम्मद रियास को राज्य का अगला मुख्यमंत्री बनाना है। वर्तमान में मोहम्मद रियास पी विजयन मंत्रिमंडल में पर्यटन मंत्री हैं।
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