जिसे दुनिया छोड़कर श्मशान आ जाती है, उसे अपने ललाट पर स्थान देने वाले ही महादेव हैं। सावन, सनातन और शिव हमेशा जोड़ते हैं और सनातनियों का एक ही स्थान है जिसे हिंदुस्थान कहते हैं। जातियों में बंटे हिंदुओं को एक करने के लिए भिक्षा यात्रा पर पग बढ़ाते स्वामी दीपांकर ने पाञ्चजन्य से विशेष बातचीत की। इस दौरान उन्होंने यह भी बताया कि वह करीब एक करोड़ लोगों को इस भिक्षा यात्रा से जोड़ चुके हैं।
सावन, कांवड़ और शिव पर बात करते हुए स्वामी दीपांकर ने कहा कि जैसा हमारा भोला है वैसा हम भी भोले हैं। कांवड़ यात्रा में चलने वाला हर कांवड़िया भोला है। कांवड़ यात्रा हमें जोड़ती है। हर जाति के लोग इसमें होते हैं, लेकिन उनकी पहचान सिर्फ और सिर्फ भोला है। सभी शिव के भक्त हैं।
स्वामी दीपांकर ने कहा कि जिन लोगों का जातियों को बांटकर काम चलता है, उनके लिए यह नसीहत जैसा है। महाकुंभ भी इसका उदाहरण है। करोड़ों लोगों ने संगम में डुबकी लगाई। इनमें से हम जाति नहीं गिन सकते। इसी तरह जगन्नाथ रथ यात्रा है। एक-साथ 20 से 21 लाख लोग जुटे, धरती कांप गई। इनमें से जाति क्या गिनेंगे। कांवड़ यात्रा भी भारत को जोड़ती है। कांवड़िया जप करते हुए भगवान शिव की तरह संयम से आएं। उन्हें हम क्यों अवसर दें जो इस ताक में रहते हैं कि कैसे कांवड़ियों को बदनाम किया जाए। उन्होंने कहा कि जब कांवड़ पर होते हैं तो भोला होते हैं तो जीवन में हिंदू क्यों नहीं।
टिप्पणियाँ