जलालुद्दीन उर्फ छांगुर कैसे संगठित तरीके से हिंदुओं का कन्वर्जन कराता था। कैसे वह इस गिरोह का मास्टर माइंड बना। पाञ्चजन्य ने वर्ष 2022 में अपनी रिपोर्ट (अस्पताल या कन्वर्जन का अड्डा ? जलालुद्दीन ने दी SC मजदूरों को इस्लाम की दावत) में छह उंगलियों वाले जलालुद्दीन उर्फ छांगुर के कन्वर्जन सिंडिकेट, अवैध जमीन कब्जे और विदेशी पैसे के गोरखधंधे का भंडाफोड़ किया था। आईपीएस अमिताभ यश की अगुआई में यूपी एसटीएफ ने छांगुर और उसके नेटवर्क पर बिना किसी शोर-शराबे के शिकंजा कसा, सबूत जुटाए और उसे धर दबोचा, एसटीएफ की कार्रवाई ने यह साफ कर दिया है कि गजवा-ए-हिंद जैसे खतरनाक कन्वर्जन अभियानों की अब उत्तर प्रदेश में कोई जगह नहीं
कन्जर्वन कराने वाला संगठित गिरोह चलाने के आरोप में बलरामपुर जनपद का जलालुद्दीन उर्फ छांगुर, उसका बेटा महबूब अपने गिरोह के नवीन घनश्याम रोहरा उर्फ जमालुद्दीन और उसकी पत्नी नीतू रोहरा उर्फ नसरीन फिलहाल जेल में हैं। उसके गिरोह के बाकी लोग अभी फरार हैं, लेकिन छांगुर के गिरोह बनाने से लेकर अभी तक कितने लोगों का उसने कन्वर्जन कराया, इसकी कहानी सामने आनी बाकी है। पुलिस अभी भी इस मामले की गहन जांच में जुटी है।
ढहाई गई छांगुर की कोठी
बलरामपुर के उतरौला में स्थित मधपुर गांव में जलालुद्दीन उर्फ छांगुर द्वारा काली कमाई से बनाई गई कोठी को बुलडोजर ने ढहा दिया गया है। सरकारी जमीन पर कब्जा कर वर्ष 2022 में इस कोठी को बनाया गया था। यह कोठी नीतू रोहरा उर्फ नसरीन के नाम पर थी। 12 करोड़ रुपये की लागत से तीन बीघा जमीन में बनी 40 कमरों वाली इस कोठी को गिराने के कई बुलडोजर लगाए गए। छांगुर की कोठी गिराने पहुंची प्रशासन की टीम को उसके बेडरूम से विदेशी तेल और याैन वर्धक दवाइयों का जखीरा मिला है। इसके अलावा, छांगुर और नसरीन के पास से डिजिटल साक्ष्य, बैंक लेन-देन और कन्वर्जन के दस्तावेजी प्रमाण बरामद हुए हैं। गिरोह का नेटवर्क सिर्फ गली-मुहल्लों तक सीमित नहीं था, कॉलेजों और क्लबों में भी इनकी जड़ें थीं।
फेरी लगाने से कन्वर्जन माफिया तक
जलालुद्दीन (80) तकरीबन पंद्रह बरस पहले साइकिल पर फेरी लगाकर टोने-टोटके से संबंधित अंगूठी, नग और ताबीज आदि बेचा करता था। उसके बाद उसने झाड़-फूंक का धंधा शुरू किया। समय के साथ छांगुर बीमारी, आंतरिक समस्या, घरेलू क्लेश, रोजगार में तरक्की एवं जिन्न बाधा से मुक्ति दिलाने के झांसे देने लगा। उसके पास लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई, पैसा आने लगा, वह वर्ष 2015 में ग्राम प्रधान भी निर्वाचित हुआ। प्रधान हो जाने के बाद बलरामपुर जनपद के मधपुर गांव में उसने अपना आलीशान घर बनवाया और वहां से ही बड़े पैमाने पर कन्वर्जन कराना शुरू कर दिया। उसके 40 बैंक खातों में विदेशों से 100 करोड़ रुपए की फंडिंग की गई है। अभी तक मिली जानकारी के अनुसार उसके गिरोह के सदस्य मुस्लिम देशों से यह रकम कन्वर्जन के लिए भेजा करते थे।
पिछले साल हुई थी एफआईआर
यूपी एसटीएफ ने लखनऊ के गोमती नगर थाने में वर्ष 2024 में राजद्रोह की साजिश, मजहब के आधार पर वैमनस्य फैलाने, धोखाधड़ी और उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध मत संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम-2021 के अंतर्गत एफआईआर दर्ज की थी। इसके बाद छांगुर की गिरफ्तारी के लिए गैर-जमानती वारंट जारी हुआ था। उसकी सूचना देने पर 50 हजार रुपए का इनाम भी घोषित किया गया था।
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एटीएस ने गत 5 जुलाई को लखनऊ में छांगुर को गिरफ्तार किया। एसटीएस के इंस्पेक्टर संतोष कुमार सिंह ने ही यह एफआईआर दर्ज कराई थी। एटीएस ने 10 अप्रैल, 2025 को छांगुर के बेटे महबूब और उसके सहयोगी नवीन को गिरफ्तार किया था। महबूब और जमालुद्दीन फिलहाल जेल में हैं।
सामने आने लगे पीड़ित
जैसे ही छांगुर और उसके गिरोह के लोगों पर एसटीएफ और एटीएस ने शिकंजा कसना शुरू किया तो छांगुर के आतंक से पीड़ित लोग एक-एक करके सामने आने लगे हैं। गौतमबुद्ध नगर के सेक्टर-126 थाने में लवजिहाद का शिकार हुई एक हिंदू युवती के बयानों में छांगुर का नाम आया है। मुरादाबाद के थाना भगतपुर में वंचित समाज की एक नाबालिग बच्ची से 4 मुस्लिमों द्वारा सामूहिक दुष्कर्म करने में भी छांगुर का नाम सामने आया है। इस बच्ची ने न्यायालय में दिए अपने बयानों में बताया है कि उसे चार मुस्लिम लड़कों ने अगवा किया। इसके बाद उसके साथ दुष्कर्म किया।
बाद में उन चारों लड़कों ने उसे “शिजर ए तैयबा” किताब दी और वीडियो कॉल पर छांगुर से उसकी बात करवाई। लव जिहाद का शिकार हुई सहारनपुर के कोतवाली देहात क्षेत्र में रहने वाली एक हिंदू युवती ने भी छांगुर के खिलाफ लिखित बयान दिया है। वह बेंगलुरु में ब्यूटीशियन का काम करती थी। इंस्टाग्राम पर गिरोह के एक युवक ने हिंदू नाम से उससे बातचीत शुरू की। वह उसके झांसे में आकर उसके साथ बेंगलुरु से दुबई चली गई। जहां उसकी बात वीडियो कॉल पर छांगुर से कराई गई। उसने युवती पर कन्वर्जन का दबाव बनाया। उसने मना किया तो उसके साथ दुष्कर्म किया गया। किसी तरह वह वहां से बच निकली। अब उसे भी उम्मीद जगी है कि पुलिस उसके मामले में कार्रवाई करेगी।
इसी तरह ओरैया के अजीतमल थाना क्षेत्र में वंचित समुदाय की एक हिंदू लड़की के अपहरण और उससे हुए सामूहिक दुष्कर्म के मामले में भी उसका नाम सामने आया। इस मामले में ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम का जिलाध्यक्ष मेराज अंसारी (अब मृत्यु हो चुकी), उसका पिता सपा नेता रियाज अंसारी, उसकी मां आदि नामजद हैं। पीड़िता को तीन महीने तक बंधक बनाकर रखा गया। इस दौरान उसके साथ कई बार सामूहिक दुष्कर्म किया गया, उसका जबरन कन्वर्जन कराया गया। अब जब छांगुर का अड्डा ध्वस्त हो गया है और वह जेल में है तो पीड़िता को न्याय की उम्मीद जगी है।
हरदोई में तो छांगुर के गुर्गों के डर से मलावां थाना क्षेत्र के निवासी और कस्टम विभाग में तैनात एक इंस्पेक्टर पलायन तक करने को मजबूर हो गया था। उसका घर मुस्लिम बहुल क्षेत्र में था, उस पर लगातार छांगुर के गुर्गे मकान बेचने या फिर कन्वर्जन का दबाव बना रहे थे। पीड़ित इंस्पेक्टर का कहना है कि अभी तक वह छांगुर के गुर्गों के दबाव में था लेकिन अब उसके सलाखों के पीछे जाने के बाद उसके साथ भी न्याय होगा। ये मामले तो केवल बानगी हैं, ऐसे कई मामले हैं, जिनमें छांगुर ने अपने प्रभाव से हिंदू पीड़ितों को दबाने का काम किया था। अब चूंकि मामला उत्तर प्रदेश एसटीएफ और एटीएस के पास है और पूरे मामले की निगरानी खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कर रहे हैं, तो छांगुर से प्रताड़ित सभी पीड़ितों में न्याय की उम्मीद जगी है।
खुद को बताता था पीर
जलालुद्दीन बलरामपुर जनपद के मधुपुर गांव में चांद औलिया दरगाह के बगल में रहता था। वह खुद को ‘पीर’ बताता था। उसने ‘शिजर-ए-तय्यबा’ नाम से एक किताब प्रकाशित करवाई थी जिसके माध्यम से इस्लाम का प्रचार-प्रसार करता था।
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उसके संपर्क में सबसे पहले मुंबई के रहने वाले दंपती नवीन और नीतू आए थे। छांगुर ने उनका कन्वर्जन कराया। नवीन को जमालुद्दीन बना दिया और नीतू को नसरीन बनाया। उनकी एक नाबालिग बच्ची का भी कन्वर्जन करा दिया। दोनों उसके गिरोह में शामिल हो गए और कन्वर्जन कराने में उसका साथ देने लगे।
जाति के आधार पर रकम
छांगुर और उसके गिरोह के सदस्य लगभग 40 बार इस्लामिक देशों की यात्रा कर चुके थे। हिंदू लड़कियों की जाति के हिसाब से कन्वर्जन कराने की रकम तय होती थी। जैसे ब्राह्मण, सरदार और क्षत्रिय समाज से आने वाली लड़कियों का कन्वर्जन कराने पर 15 लाख रुपए दिए जाते थे। तो पिछड़ी जाति की लड़की के लिए 10 से 12 लाख रुपए दिए जाते थे। इसके साथ ही अन्य जाति की लड़कियों के कन्वर्जन पर आठ से 10 लाख रुपए दिए जाते थे। जलालुद्दीन के गैंग को 100 करोड़ की फंडिंग की गई। यह फंडिंग कई वर्षों से की जा रही थी। गिरोह के सदस्य लोगों को दुबई में ले जाकर कन्वर्जन भी कराते थे।
कौन है संगीता देवी?
छांगुर के नेटवर्क से जुड़ा एक और सनसनीखेज नाम सामने आया है, संगीता देवी। बलरामपुर के ‘शारदा निवास’ में रहने वाली संगीता को छांगुर ने महाराष्ट्र के लोनावला में चल रहे करोड़ों के प्रोजेक्ट में लाभांश देने का वादा किया था। यह वही प्रोजेक्ट है, जिसमें 8 जुलाई, 2023 को बाराबंकी तहसील में हुए समझाैते में छांगुर और जमालुद्दीन (पूर्व में नवीन रोहरा) को साझेदार दिखाया गया है। इसमें संगीता देवी का नाम भी है, वह बलरामपुर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में क्लर्क के पद पर तैनात राजेश की पत्नी है। उसका पति छांगुर के लिए कानूनी मामलों में सक्रिय भूमिका निभाता है। सवाल है, आखिर एक हिंदू महिला को विदेशी फंड से चल रहे प्रोजेक्ट में हिस्सा क्यों? कहीं संगीता भी ‘नसरीन मॉडल’ का अगला चरण तो नहीं?
घर वापसी कर रहे लोग
एसटीएफ ने छांगुर गैंग पर शिकंजा कसा तो छांगुर द्वारा कन्वर्ट किए गए लोग घर वापसी करने लगे हैं। 3 जुलाई, 2025 को हिंदू संगठन ने अपने संरक्षण में इस्लाम में कन्वर्ट हो चुके उन 15 लोगों की हिंदू धर्म में वापसी कराई। छांगुर गैंग ने लगभग 1500 लोगों को कन्वर्ट किया है। इनमें अधिकतर हिंदू लड़कियां हैं। इनमें से कई को सऊदी अरब में बेचने की बात भी सामने आई है। इन लड़कियों को नसरीन अपने साथ लेकर जाती थी। हालांकि छांगुर द्वारा प्रताड़ित लोगों की वास्तविक संख्या जांच के बाद ही सामने आएगी।
क्या बोले पीड़ित
बलरामपुर जनपद के रहने वाले रामनरेश मौर्य ने बताया, “जलालुद्दीन ने उन्हें और उनके दोस्तों हरजीत और संचित को कन्वर्जन कराने के लिए 10 लाख रुपए का प्रलोभन दिया था, लेकिन हमने इससे साफ मना कर दिया। इस पर वह हमसे चिढ़ गया, उसने एक महिला को मोहरा बनाया और उसके माध्यम से हम तीनों के खिलाफ दुष्कर्म की झूठी शिकायत देकर बलरामपुर जनपद न्यायालय से एफआईआर दर्ज करने का आदेश पारित कराया।
बलरामपुर जनपद न्यायालय का एक क्लर्क भी जलालुद्दीन के नेटवर्क में शामिल था। उसके माध्यम से ही वह लोगों को फर्जी मुकदमे में फंसाने का षड्यंत्र रचता था। हमें इस आरोप से निजात पाने के लिए काफी पैरवी करनी पड़ी, तब जाकर हमें मुकदमे से निजात मिली।” उन्होंने बताया, “जलालुद्दीन के गिरोह में तमाम ऐसे लोग हैं जो उसके कहा न मानने वालों को फर्जी मुकदमे में फंसा कर जेल भिजवा देते हैं। जो भी कन्वर्जन के काम में अड़ंगा लगाता है, उसको तरह-तरह से प्रताड़ित किया जाता है। उसका नेटवर्क उत्तर प्रदेश समेत देश के कई शहरों में फैला हुआ है।”
बलरामपुर जनपद के रहने वाले हरजीत सिंह ने बताया कि वह जलालुद्दीन के यहां मुंशी थे। दरगाह के बगल में छांगुर का आलीशान मकान बन रहा था, तभी उसने उन्हें कन्वर्जन का प्रलोभन दिया। उन्होंने तब उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन कुछ दिनों बाद उसने फिर से प्रलोभन दिया कि नवीन और नीतू को देखो, ये लोग राजा की जिंदगी जी रहे हैं। तुम कन्वर्जन कर लो, तुम्हारी जिंदगी बदल जाएगी।
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जब उसने हनुमान जी के लिए अपमाजनक शब्द कहे तो उनकी उससे बहस हो गई। उन्होंने उसके यहां काम करना बंद कर दिया। उन्होंने 2 नवंबर, 2022 को बलरामपुर जनपद न्यायालय में एक प्रार्थना पत्र दिया। न्यायालय ने जलालुद्दीन एवं अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया।”
हरजीत ने आगे बताया, “इस पर जलालुद्दीन ने एक महिला के माध्यम से मेरे और मेरे कुछ और मित्रों के खिलाफ दुष्कर्म के आरोप में एफआईआर दर्ज करवा दी। दिसंबर 2024 में नवीन, नीतू, जलालुद्दीन एवं अन्य दो-तीन लोगों ने मुझे रास्ते में एक पेट्रोल पंप के पास रोक लिया और समझौता करने का दबाव बनाने लगे। मेरी जान खतरे में थी, इसलिए मैंने कहा कि समझौता कर लूंगा, लेकिन अगले दिन मैं मुंबई चला गया। 2 जनवरी, 2025 को मैं मुंबई से वापस आया और एसटीएफ कार्यालय, लखनऊ में जाकर अधिकारियों से मिला। मैंने उन्हें सारी बात बताई।”
वंचित-गरीब हिंदू निशाने पर
उत्तर प्रदेश में संगठित स्तर पर कन्वर्जन कराने के मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। पिछले दिनों प्रयागराज जनपद की पुलिस ने एक कन्वर्जन एवं आतंकी ट्रेनिंग सेंटर का खुलासा किया था। एक हिंदू लड़की का अपहरण कर उसे केरल में 49 दिन तक बंधक बनाकर रखा गया था। वहां उसे आतंकवाद की राह पर धकेलने का प्रयास किया जा रहा था। उसे केरल के एक छात्रावास में रखा गया था, जहां सभी को अरबी-फारसी सिखाई जाती थी और भारत के विरुद्ध लोगों को भड़काया जाता था। इस मामले में पीड़िता की मुसलमान दोस्त और कैफ नाम के एक युवक को गिरफ्तार किया जा चुका है। जबकि मुख्य अभियुक्त दिल्ली का ताज मोहम्मद उर्फ ताजुद्दीन फरार है। उसकी तलाश में पुलिस लगातार दबिश दे रही है।
पीड़िता ने पुलिस को बताया, “उसे केरल में त्रिशूर ले जाया गया था। उसके साथ बचपन में पढ़ाई करने वाली मुस्लिम दोस्त ने ही उसे भागकर केरल जाने के लिए उकसाया था, उसने उससे वादा किया था कि वह अच्छे वेतन पर उसकी नौकरी लगवा देगी। वहां जबरन उसका कन्वर्जन कराया गया। वह गत 26 जून को किसी तरह छात्रावास से भागने में सफल हो गई। उसकी सहेली भी पीछा करते हुए रेलवे स्टेशन पहुंच गई। जहां दोनों का झगड़ा होने लगा। झगड़ा होता देख पुलिस आ गई। पुलिस दोनों लड़कियों को थाने ले गई और उसे फिर बाल कल्याण समिति को सौंप दिया गया। बाल कल्याण समिति ने प्रयागराज जनपद के फूलपुर थाने को 28 जून की रात इस मामले की सूचना दी।
मामले की जांच के दौरान पता चला कि पीड़िता के पिता की करीब दस वर्ष पहले मृत्यु हो गई थी। उसकी मां मजदूरी करके जीवन यापन करती है। जिस मुसलमान लड़की ने उसे बरगलाया वह उसके साथ कक्षा तीन से आठ तक साथ पढ़ी। पीड़िता ने बताया, ”वह अपनी सहेली के साथ प्रयागराज रेलवे स्टेशन पहुंची, जहां मोहम्मद कैफ ने उन्हें छोड़ा था। वे दिल्ली पहुंचीं, यहां ताजुद्दीन उर्फ मोहम्मद ताज ने दोनों को केरल जाने वाली ट्रेन पर बैठा दिया। दोनों बिना टिकट यात्रा करके केरल पहुंचीं। ताजुद्दीन ने उन्हें एक पर्ची दी थी, जिस पर एक मोबाइल नंबर लिखा हुआ था। 12 मई को केरल पहुंचने के बाद पीड़िता ने उस नंबर पर कॉल किया। कुछ देर बाद रेलवे स्टेशन पर एक व्यक्ति कार से आया और करीब 3 घंटे का सफर तय कर उन्हें त्रिशूर ले गया।
उमर गाैतम का नेटवर्क
उत्तर प्रदेश एटीएस ने वर्ष 2021 में कन्वर्जन से जुड़ी एक और बड़ी साजिश का खुलासा किया था। उस समय मुख्य अभियुक्त उमर गौतम और उसके सहयोगी जहांगीर काजमी सहित 10 लोगों को एटीएस ने गिरफ्तार किया था। उमर गौतम के कन्वर्जन के गिरोह ने देश के कई राज्यों में एक सुनियोजित नेटवर्क फैलाया था। यह गिरोह विशेष रूप से गरीब, वंचित, असहाय, मानसिक रूप से अस्वस्थ, दिव्यांग और अशक्तजनों को चिह्ति करता था। इन्हें लालच देकर या डरा-धमकाकर कन्वर्जन कराता था। उमर गौतम और उसका गिरोह देश विरोधी ताकतों द्वारा वित्त पोषित था।
उमर गौतम ने लखनऊ में ‘इस्लामिक दावा सेंटर’ की स्थापना की थी। यह संस्था कन्वर्जन की पूरी प्रक्रिया को वैध और कानूनी रूप देने के लिए बनाई गई थी। इस केंद्र के माध्यम से कन्वर्जन के प्रमाण पत्र जारी किए जाते थे। उमर गौतम और जहांगीर काजमी गरीबों को कन्वर्जन के लिए पैसे, नौकरी, शादी, शिक्षा, इलाज और विदेश भेजने का लालच दिया करते थे। कई मामलों में यह पाया गया कि एक ही परिवार के चार-चार लोगों का कन्वर्जन कराया गया था। गिरोह की फंडिंग यूएई, कतर, कुवैत और तुर्किए से हो रही थी। जांच एजेंसियों ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई, जमात-ए-इस्लामी और दावते इस्लामी जैसे संगठनों से इसके रिश्तों की पुष्टि की थी। गिरोह का मास्टरमाइंड उमर गौतम स्वयं भी पहले हिंदू था और बाद में उसने कन्वर्जन किया था। कन्वर्जन के लिए विदेशी फंडिंग प्राप्त करने, राजद्रोह, जबरन कन्वर्जन पांथिक विद्वेष फैलाने जैसे गंभीर धाराओं में अभियोग दर्ज किया गया। न्यायालय ने उमर गौतम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
लवजिहाद से कन्वर्जन
लखनऊ की रहने वाली एक लड़की को जलालुद्दीन के गुर्गे अबू अंसारी ने हिंदू नाम ‘अमित’ रखकर प्रेमजाल में फंसाया और पास की दरगाह पर ले गया। वहां नसरीन और जमालुद्दीन ने पीड़िता का ब्रेनवॉश किया और उसका कन्वर्जन कराकर उसका नाम ‘अलीना अंसारी’ रख दिया। अब लड़की ने घर वापसी कर ली है। औरैया की रहने वाली एक लड़की ने बताया, ”जलालुद्दीन के गिरोह के सदस्य मेराज अंसारी ने खुद को ‘रुद्र शर्मा’ बताया और उसकी मां से मिला। उनको अपनी चिकनी-चुपड़ी बातों में फंसाया और कहा कि छांगुर नाम का एक व्यक्ति दुआ और ताबीज का जानकार है। कैसी भी समस्या हो, वह समाधान कर देता है। मेराज ने लड़की और उसकी मां को 2019 में जलालदुद्दीन से मिलवाया। 2024 में वह लड़की को फतेहपुर मस्जिद लेकर गया और वहां जबरन उससे निकाह कर लिया। उसने वीडियो कॉल पर जलालुद्दीन से बात कराई और उसका नाम ‘जैनब’ रख दिया।”
शौहर-बेगम का ढोंग
गिरफ्तारी से बचने के लिए छांगुर और नसरीन ने अपना ठिकाना लखनऊ के विकास नगर में स्टार रूम्स होटल के कमरा नंबर 104 को बनाया था। 16 अप्रैल, 2025 को दोनों ने पहले 102 नंबर कमरे को चार दिन के लिए बुक किया। छांगुर ने नवीन रोहरा और नसरीन ने नीतू नवीन रोहरा नाम के नाम से आधार कार्ड बनवा रखा था। दोनों ने चार दिन तक होटल और आसपास के माहौल को भांपा और जब उन्हें यकीन हो गया कि यह जगह उनके गिरोह के लिए सुरक्षित है तो दोनों 5वें दिन कमरा नंबर 104 में रहने के लिए चले गए । अगले 70 दिन तक यही उनका ठिकाना बना, जहां वे पति-पत्नी की तरह रहते थे।
न्यायालय से मिली फटकार
छांगुर दो बार नसरीन (नीतू) का सहारा लेकर यूपी एसटीएफ के विरुद्ध इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच भी पहुंचा था, पहली बार वह उसके विरुद्ध चल रही जांच रुकवाने के लिए पहुंचा था और दूसरी बार एफआईआर रद करवाने के लिए। उच्च न्यायालय ने दोनों ही बार उसे फटकार लगते हुए याचिका खारिज कर दी थी। साथ ही, याचिकाकर्ता नसरीन (नीतू) को संदिग्ध मानते हुए उसके खाते में हुए भारी-भरकम लेन-देन पर हैरानी जताई थी।
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छांगुर राजनीति करते-करते कन्वर्जन का मास्टरमाइंड बन गया और उसकी कोठी मतांतरण का अड्डा. फिलहाल मौलाना छांगुर ऊर्फ जलालुद्दीन जेल में है और कन्वर्जन के इस गिरोह में शामिल अन्य लोगों और संस्थाओं की संलिप्तता का खुलासा होना बाकी है। जांच एजेंसियों को यह भी पता लगाना है कि छांगुर ने अभी तक कितनी हिंदू युवतियों का कन्वर्जन कराया है।
– साथ में लखनऊ से सुनील राय
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