जर्मनी में स्विमिंग पूल्स में महिलाओं और बच्चियों के साथ आप्रवासियों का दुर्व्यवहार : अब बाहरी लोगों पर लगी रोक
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जर्मनी में स्विमिंग पूल्स में महिलाओं और बच्चियों के साथ आप्रवासियों का दुर्व्यवहार : अब बाहरी लोगों पर लगी रोक

गेलनहाउसेन हेस के स्विमिंग पूल में 9 बच्चों के साथ यौन शोषण, 4 सीरियाई शरणार्थी गिरफ्तार। मीडिया और सरकार की चुप्पी पर उठे सवाल

by सोनाली मिश्रा
Jul 10, 2025, 10:30 pm IST
in विश्व
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यूरोप में जर्मनी ही ऐसा देश था, जहां से आप्रवासियों को देश में बुलाने की मुहिम आरंभ की गई थी और 2015 में तत्कालीन चांसलर मार्केल ने कहा था कि “वे मैनेज कर लेंगे!” वे से तात्पर्य जर्मनी देश से था। मगर उसके बाद से ही जर्मनी में महिलाओं और बच्चों के साथ ऐसी घटनाएं होने लगीं, जो भयावह थीं। उनके साथ बलात्कार और यौन उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ने लगी थीं।

पिछले कुछ वर्षों से जर्मनी में स्विमिंग पूल्स में लड़कियों के साथ शोषण की घटनाएं बढ़ी हैं। और अफगानी, सीरियाई शरणार्थियों द्वारा जर्मनी में स्विमिंग पूल्स में छोटी लड़कियों के साथ यौन शोषण की घटनाएं सामने आई थीं। वर्ष 2023 में जून में अफगानी मुस्लिम शरणार्थियों द्वारा छोटी लड़कियों के शोषण की घटना सामने आई थी।

इस वर्ष फिर से सामने आ रही घटनाएं

अब गेलनहाउसेन हेस, जर्मनी में एक स्विमिंग पूल में 9 बच्चों के साथ यौन शोषण किया गया। अब इसे लेकर 4 सीरियाई शरणार्थियों को हिरासत में लिया गया है। इसे लेकर अब ब्रिटेन के नेता टोनी रॉबिन्सन ने लिखा है कि आपको ऐसा लगेगा कि यह सुर्खियों में आएगा, मगर लीगेसी मीडिया हर बार की तरह इस बार भी अपनी आँखें मूँद लेगी।

यह भी पढ़ें – इस्लाम ने हिन्दू छात्रा को बेरहमी से पीटा : गला दबाया और जमीन पर कई बार पटका, फिर वीडियो बनवाकर किया वायरल

miss Jo नामक यूजर ने लिखा कि 11 से 17 साल की लड़कियां स्विमिंग पूल में गई थीं। वे बस मस्ती करना चाहती थीं। मगर फिर सीरियाई लोगों के एक समूह ने उनपर यौन हमला किया। पुलिस ने तत्काल कोई भी कार्यवाही नहीं की, और कहा कि रविवार को यह करना बहुत कठिन है।

घटनाएं हो रहीं हैं आप्रवासियों द्वारा मगर पोस्टर बन रहे उलटे 

यह भी और हैरान करने वाला तथ्य है कि जहां मामले यह निकलकर आ रहे हैं, कि लड़कियों के साथ या कहें बच्चों के साथ यौन शोषण शरणार्थी कर रहे हैं तो वहीं लोगों को जागरूक करने के लिए जो पोस्टर्स बनाए गए हैं, उनमें यह सामने आ रहा है कि श्वेत लड़के या श्वेत महिलाएं आप्रवासियों का उत्पीड़न कर रहे हैं। DVanLangenhove नामक यूजर ने ऐसी कई तस्वीरों को साझा किया।

उन्होनें लिखा कि हर दिन, [संपादित किया गया है क्योंकि मैं परिवीक्षा पर हूँ] श्वेत लड़कियों और श्वेत लाइफगार्ड्स के साथ दुर्व्यवहार और मारपीट होती है, लेकिन जर्मनी ऐसी हिंसा के खिलाफ इसी तरह अभियान चलाता है। यह कोई मामूली बात नहीं है। यह श्वेत-विरोधी प्रचार ही है जो श्वेतों के खिलाफ बड़े पैमाने पर हिंसा को जन्म दे रहा है।

Every day [redacted because I’m on probation] abuse and assault white girls and white lifeguards, but this is how Germany campaigns against such violence. This is not trivial. It’s anti-white propaganda that is leading to large scale violence against whites. pic.twitter.com/Wz1lkrMCuM

— Dries Van Langenhove (@DVanLangenhove) July 2, 2025

rmx.news के अनुसार पुलिस ने 18 से 28 वर्ष के चार संदिग्धों को पहचाना है। और ये सभी सीरियाई मूल के हैं। सभी को पूल से प्रतिबंधित कर दिया है।

इसी ने अपनी एक्स प्रोफ़ाइल पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि  जर्मन फेमिनिस्ट मैगजीन @EMMA_Magazin के अनुसार “”महिलाएँ, लड़कियाँ और परिवार सार्वजनिक पूल से दूर होने लगे हैं।”

“जो लोग तैराकी का खर्च उठा सकते हैं, वे अपने निजी स्थानों पर तैराकी का आनंद ले रहे हैं और अपने बगीचों में मिनी-पूल लगवा रहे हैं (बिक्री के आंकड़े आसमान छू रहे हैं)”

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पत्रिका में लिखा है कि यौन उत्पीड़न और उत्पीड़न “मुख्यतः प्रवासी पृष्ठभूमि वाले पुरुषों द्वारा” किए जाते हैं।

पत्रिका लिखती है, “और एक बार फिर, महिलाओं के लिए सार्वजनिक स्थान का एक हिस्सा छिन रहा है। ठीक वैसे ही जैसे वे अब शाम को ट्राम नहीं ले सकतीं और अपने गिलासों में डेट रेप ड्रग्स होने के डर से सार्वजनिक रूप से या बार में खुलकर पार्टी करना भी बंद कर दिया है।”

इस पत्रिका की वेबसाइट के अनुसार “2024 में, अकेले हेस्से के स्विमिंग पूल में यौन हिंसा के 74 मामले दर्ज किए गए, जबकि 2023 में यह संख्या 78 थी। कोई कल्पना कर सकता है कि दूसरे संघीय राज्यों से क्या आँकड़े जुड़ रहे होंगे और अघोषित मामलों की संख्या कितनी ज़्यादा होगी।

लड़कियों और महिलाओं के स्तन और जननांग पानी के नीचे खींचे जाते हैं, या उनकी बिकिनी फाड़ दी जाती है। उन्हें नहाते समय परेशान किया जाता है और उनकी वीडियो रिकॉर्डिंग की जाती है। धूप सेंकती महिलाओं पर कूदा जाता है, उनकी तस्वीरें खींची जाती हैं, या उन्हें “वेश्या” कहा जाता है। छोटी बच्चियों को भी परेशान किया जाता है। महिलाओं और लड़कियों को निशाना बनाया जाता है। बहुत कम मामले रिपोर्ट भी किए जाते हैं। क्यों दर्ज किए जाएँ? अपराधियों को तो वैसे भी छोड़ दिया जाता है।“

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इसमें पुलिस के प्रतिनिधि मैन्युल ऑस्टेरमान के हवाले से लिखा है कि “सार्वजनिक आजादी वास्तव में छीनी जा रही है और इसके अपराधी आदमी ही हैं और वह भी मुख्यतः शरणार्थियों के मूल देशों से, और हमें इसका जवाब देना होगा। अगर हम अपराधियों और अपराधियों के समूहों का नाम बताने में विफल रहते हैं, तो यह पीड़ितों के साथ अन्याय होगा। राजनेताओं को कार्रवाई करनी होगी!”

ऐसा भी इस वेबसाइट का कहना है कि यह संदेश कि “लड़कियों तुम लोग सार्वजनिक स्थानों से वापस जाओ! आप घर के भीतर के लिए हो!” कई महिलाओं को साफ तौर पर दिया जा रहा है।

क्या वास्तव में पश्चिम की महिलाओं को उसी तरह घर के भीतर कैद करने का यह सारा षड्यन्त्र है, जैसा कि कट्टर मुस्लिम देशों में मुस्लिम लड़कियां कैद हो चुकी हैं?

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