नई दिल्ली (हि.स.) । सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ की रिलीज पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। जस्टिस सुधांशु धुलिया की अध्यक्षता वाली वेकेशन बेंच ने कन्हैया लाल हत्या मामले के एक आरोपित मोहम्मद जावेद को तत्काल कोई भी राहत देने से भी इनकार कर दिया।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि सुप्रीम कोर्ट ग्रीष्मावकाश के बाद 14 जुलाई से शुरु हो रही है। आप उस समय जल्द सुनवाई की मांग कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि इस बीच फिल्म को रिलीज किया जाए। ये फिल्म 11 जुलाई को रिलीज होने वाली है। इसका ट्रेलर 4 जुलाई को रिलीज किया गया था। याचिकाकर्ता का कहना था कि फिल्म में केवल एक पक्ष के हिस्से को ही दिखाया गया है। अगर इस फिल्म को रिलीज किया जाता है, तो इससे निष्पक्ष ट्रायल पर असर पड़ेगा।
हाई कोर्ट के आदेश पर होगी स्पेशल स्क्रीनिंग
वहीं सेंसर बोर्ड ने कहा है कि उसने फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ के आपत्तिजनक हिस्से हटा दिए हैं। सेंसर बोर्ड की इस सूचना के बाद दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय की अध्यक्षता वाली बेंच ने फिल्म और उसके ट्रेलर की याचिकाकर्ता और सेंसर बोर्ड के वकीलों के लिए स्पेशल स्क्रीनिंग करने का आदेश दिया। मामले की सुनवाई कल यानि 10 जुलाई को होगी।
सेंसर बोर्ड ने हटाए आपत्ति वाले दृश्य
आज सुनवाई के दौरान सेंसर बोर्ड की ओर से पेश एएसजी चेतन शर्मा ने कहा कि याचिकाकर्ता ने जिन दृश्यों को लेकर आपत्ति जताई है, उन्हें हटा दिया गया है। इस पर याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर फिल्म ठीक थी, तो हटाने की जरुरत क्यों पड़ी। तब कोर्ट ने फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि आपत्तिजनक दृश्यों को हटाने के बाद फिल्म याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल और एएसजी चेतन शर्मा को दिखाया जाए।
जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने दायर की याचिका
याचिका जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने दिल्ली हाई कोर्ट समेत बांबे और गुजरात हाई कोर्ट में भी याचिका दाखिल की है। जमीयत की ओर से वकील फुजैल अहमद अययुबी ने याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि फिल्म के ट्रेलर में पैगम्बर मोहम्मद और उनकी पत्नियों के खिलाफ अशोभनीय टिप्पणी की गई है। फिल्म के ट्रेलर में नूपुर शर्मा का विवादित बयान भी शामिल है। याचिका में जमीयत ने आरोप लगाया है कि फिल्म के ट्रेलर में पैगम्बर मोहम्मद और उनकी पत्नियों के बारे में की गई आपत्तिजनक टिप्पणी देश के अमन-चैन को बिगाड़ सकती है। फिल्म में देवबंद को कट्टरवाद का अड्डा बताया गया है और वहां के उलेमा के विरुद्ध जहर उगला गया है।
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याचिका में कहा गया है कि यह फिल्म एक विशेष मजहबी समुदाय को बदनाम करती है, जिससे समाज में नफरत फैल सकती है और नागरिकों के बीच सम्मान तथा सामाजिक सौहार्द को गहरा नुकसान हो सकता है। फिल्म में ज्ञानवापी मस्जिद जैसे मामलों का भी उल्लेख है, जो वर्तमान में वाराणसी की जिला अदालत और सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं।
11 जुलाई को होगी रिलीज
फिल्म को सेंसर बोर्ड से प्रमाण पत्र जारी होने के बाद 11 जुलाई को रिलीज किया जाना है। याचिका में केंद्र सरकार, सेंसर बोर्ड, जॉनी फायर फॉक्स मीडिया प्राइवेट लिमिटेड और एक्स कॉर्प्स को पक्षकार बनाया गया है, जो फिल्म के निर्माण और वितरण से जुड़े हैं। याचिका में कहा गया है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का दुरुपयोग करते हुए फिल्म में ऐसे दृश्य दिखाए गए हैं जिनका इस्लाम, मुसलमानों और देवबंद से कोई लेना-देना नहीं है। ट्रेलर से साफ झलकता है कि यह फिल्म मुस्लिम-विरोधी भावनाओं से प्रेरित है।
उदयपुर कन्हैयालाल हत्याकांड पर आधरित है फिल्म
फिल्म का 2 मिनट 53 सेकंड का ट्रेलर जारी किया गया है। फिल्म में 2022 में उदयपुर में हुई एक घटना को आधार बनाया गया है। याचिका में कहा गया है कि ट्रेलर से ही यह स्पष्ट हो जाता है कि फिल्म का मकसद एक विशेष धार्मिक समुदाय को नकारात्मक और पक्षपाती रूप में पेश करना है, जो उस समुदाय के लोगों के सम्मान के साथ जीने के मौलिक अधिकारों का सीधा उल्लंघन है।
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