7 अक्तूबर 2023 को इस्राएल पर इस्लामी जिहादी संगठन हमास के औचक हमले के बाद वहां उन इस्लामी जिहादियों ने क्या क्या किया, इसकी समय समय पर जानकारी सामने आती रही है। किस प्रकार अपनी पाषाणयुग की पाशविक सोच पर चलते हुए इस्लाम के कथित झंडाबरदारों ने मासूम इस्राएली नागरिकों के साथ हिंसक व्यवहार किया उसकी कुछ तस्वीरें भी टेलीविजन चैनलों पर दिखाई दी हैं। लेकिन अब एक ऐसी रिपोर्ट सामने आई है जिसे पढ़कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। यह रिपोर्ट बताती है कि किस प्रकार हमास के हमासी इस्लामवादियों ने बर्बरता की सारी सीमाएं लांघ दी थीं। लंदन के अखबार ‘द टाइम्स’ की इस रिपोर्ट में ऐसे खुलासे हुए हैं जो बताते हैं कि कभी फिलिस्तीन और गाजा पट्टी को अपना अभयारण्य बनाकर वहां के लोगों को इंसानी ढाल की तरह प्रयोग करके हमासी दरिंदे इस्राएल को सताते आ रहे थे। उन इस्लामी जिहादियों ने इस्राएल के परिवारों के बीच अचानक पहुंचकर पूरे परिवार को गोलियों से छलनी कर दिया था। नन्हे बच्चों तक को बख्शा नहीं गया। महिलाओं के मरने के बाद उनके शवों के साथ बलात्कार किया गया, जवान लड़कियों को पेड़ या खंभे से बांधकर उनके गुप्तांगों अथवा सिर पर गोली मारी गई थी। इस रिपोर्ट में प्रत्यक्षदर्शियों की बताई हैरतअंगेज दास्तानों को संग्रहित किया गया है।
इस्राएल पर 7 अक्तूबर का वह जिहादी हमला मानवीय मूल्यों और नैतिकता की दृष्टि से बेहद दर्दनाक रहा था। हमास का वह हमला सुनियोजित और व्यापक असर करने वाला था। उस हमले में लगभग 1,200 इस्राएली नागरिक मारे गए थे और 250 से अधिक लोगों को बंधक बना लिया गया था जिसमें जवान लड़के—लड़कियां, महिला—पुरुष, वृद्ध और दुधमुंहे बच्चे तक शामिल थे। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि हमला कथित रूप से इस्राएल और सऊदी अरब के बीच कूटनीतिक संबंधों के पटरी पर आने की संभावनाओं को छिन्न—भिन्न करने की गरज से किया गया था।

द टाइम्स की प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से सामने आई इस रिपोर्ट के अनुसार, हमास के आतंकियों ने महिलाओं और युवतियों के साथ खासतौर पर अत्यंत क्रूरता की थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं के शवों के साथ बलात्कार किया गया। युवतियों को निर्वस्त्र कर पेड़ों से बांधकर उनके गुप्तांगों और सिर में गोलियां मारी गईं। कई मामलों में सामूहिक बलात्कार के बाद शवों को विकृत करके छोड़ दिया गया था। यह हिंसा केवल हत्या नहीं थी, बल्कि यौन हिंसा को एक रणनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया गया था, जैसा कि आईएसआईएस और बोको हरम जैसे इस्लामी आतंकवादी संगठनों द्वारा किया जाता रहा है।
इस तरह की यौन हिंसा न केवल पीड़ितों को शारीरिक रूप से क्षति पहुंचाती है, बल्कि समाज में भय, असुरक्षा और गहरे मानसिक आघात का कारण बनती है। हमास का संभवत: यही मकसद था कि आम जन में ऐसा भय व्याप्त कर दिया जाए कि कोई उसके खिलाफ एक शब्द न बोले। यह युद्ध के नियमों और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों का घोर उल्लंघन था। हमले में मारी गई एक युवती के शव को लगभग नग्न करके गाड़ी में चांर—पांच जिहादियों की निगरानी में पीछे डालकर गाजा में जिस प्रकार प्रदर्शित किया जा रहा था और जिस प्रकार वहां के इस्लामवादी उस शव पर थूक रहे थे, उसने दुनिया को जिहादियों की पाशविकता की एक झलक मात्र दिखाई थी। स्वाभाविक रूप से इस्राएल में इन घटनाओं ने गुस्से और प्रतिशोध की भावना को और भड़काया, जिससे संघर्ष और भी लंबा और जटिल होता गया है।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इन घटनाओं की निंदा की, लेकिन तो भी कई देशों ने इस्राएल की जवाबी कार्रवाई में गाजा पर किए जा रहे हमास विरोधी हमलों के संदर्भ में हमास का ही पक्ष लेने की नीति अपनाई। इस्लामी देशों के चैनलों ने एक ही रट लगा रखी थी कि ‘इस्राएल मासूम महिलाओं और बच्चों को निशाना बना रहा है।’ ऐसा कहते हुए वे 7 अक्तूबर के जिहादी हमले की बर्बरता को जानबूझकर सिरे से अनदेखा करते रहे। सवाल है कि क्या किसी भी राजनीतिक या रणनीतिक उद्देश्य के लिए इस स्तर तक जाकर अमानवीयता करना उचित कहा जा सकता है? हमास की रिपोर्ट में इन घटनाओं को “दुर्घटनावश” हुईं बताया गया, लेकिन प्रत्यक्षदर्शियों और पीड़ितों की दास्तानें इसे योजनाबद्ध और सोच—समझकर किया अत्याचार बताती हैं।
इस्राएल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेत्यनाहू ने कसम खाई हुई है कि जब तक हमास को जड़—मूल से खत्म नहीं कर देंगे, वे चैन से नहीं बैठेंगे। इस्राएल के हमास द्वारा अगवा किए गए और अब भी बंदी लोगों के आहत परिवारों को छोड़ दें तो देश की आमतौर पर नेत्यनाहू की इस कसम के साथ खड़ा है और कह रहा है कि धरती से इस्लामी आतंक के नासूर को खत्म करने की इस लड़ाई में वे पूरी तरह साथ हैं। हमास के ज्यादातर बड़े नेता ढेर हो चुके हैं, उसका आतंकी ताना—बाना बहुत हद तक ध्वस्त हो चुका है। इस्राएल अपने मकसद में कामयाब होता दिख रहा है।
टिप्पणियाँ