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राष्ट्रीय विद्यार्थी दिवस : युवा शक्ति के संगठन ABVP का प्रेरक सफर

राष्ट्रीय विद्यार्थी दिवस पर जानिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) की स्थापना, उद्देश्य और युवाओं को राष्ट्र निर्माण से जोड़ने वाली प्रेरक यात्रा।

Published by
माखन शर्मा

हमारे देश में साल के अनेक दिन विभिन्न प्रकार के उत्सव एवं त्योहार मनाये जाते हैं, यह त्योहार हर वर्ग एवं समाज मिलजुल कर मनाता है और विविधता में एकता के मंत्र को सार्थक करता है, इन्हीं उत्सवों में से एक है हमारा राष्ट्रीय विद्यार्थी दिवस जो देश भर का छात्र समाज एवं शिक्षा क्षेत्र से जुड़ा नागरिक 9 जुलाई को हर्ष एवं उत्साह के साथ रचनात्मक तौर से मनाता है।

9 जुलाई का राष्ट्रीय विद्यार्थी दिवस न केवल अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की स्थापना का स्मरण है, बल्कि यह युवाओं के कर्तव्यबोध, नेतृत्व क्षमता और समाज के प्रति जिम्मेदारी का प्रतीक भी है। यह दिवस हमे याद दिलाता है कि छात्र सिर्फ एक वर्ग नहीं, बल्कि देश का भविष्य हैं। यह दिन केवल अभाविप के लिए ही नहीं, बल्कि देश भर के सभी विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा का दिन बन चुका है।

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माता की सेवा करेंगे’ इस संकल्प के साथ अभाविप की स्थापना हुई। विद्यार्थी केवल अपनी शिक्षा व करियर तक सीमित न रहे, अपितु अपने देश की समृद्धि के संदर्भ में सतत रहकर अपना योगदान दें — इस विचार को लेकर परिषद ने पिछले सात दशकों में भौगोलिक विस्तार करने के साथ-साथ शिक्षा क्षेत्र की सभी शाखाओं के छात्र में कार्य बढ़ाने के साथ ही सामाजिक सहभाग का भी समान रूप से ध्यान रखा और विद्यार्थियों की बदलती अभिरुचि के अनुसार नए आयाम व कार्यक्रमों की योजना करते हुए अपनी मूल वैचारिक प्रतिबद्धता का आभास भी बनाए रखा।

अभाविप वर्ष भर सक्रिय रहने वाला देशव्यापी छात्र संगठन है, मात्र छात्र-छात्राओं के कुछ मुद्दों को लेकर आंदोलन करने वाला नहीं, अपितु समाज व राष्ट्र के सामने आने वाली नीतियों एवं चुनौतियों को लेकर आवाज उठाने का कार्य भी निर्भीक होकर करता है।

किसी देश में छात्र संगठन का उद्देश्य एवं भूमिका क्या होना चाहिए यह विद्यार्थी परिषद ने बताया, युवाओं की सामूहिक शक्ति एवं ऊर्जा को रचनात्मक कार्य में कैसे लगाते हैं यह विद्यार्थी परिषद ने बताया। विद्यार्थी परिषद एक ऐसी सक्षम पीढ़ी का निर्माण करना चाहता है जो देश के भविष्य का निर्णय उसके व्यापक हित को ध्यान में रखकर पूरे सूझबूझ के साथ ले सके। विद्यार्थी परिषद द्वारा स्थापित दोनों ही – संख्यात्मक और गुणात्मक – वृद्धि में संतुलन है, परिषद का प्रत्येक कार्यक्रम वैचारिक भूमिका, सिद्धांत, उद्देश्य, कार्यक्रम एवं कार्यपद्धति से निर्माण होने वाला एक आदर्श कार्यकर्ता है।

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अभाविप कोई साधारण संगठन नहीं, अपितु एक राष्ट्र चेतना का आंदोलन है। यह एक विचार है, जो हमे सिखाता है कि विद्यार्थी होना केवल किताबों तक सीमित रहने का नाम नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण का संकल्प है।

अभाविप हमे यह सिखाता है कि राष्ट्रभक्ति केवल नारों में नहीं, आचरण में होनी चाहिए। विद्यार्थी परिषद परिसर में यह विचार स्थापित करना चाहता है कि अगर किसी विद्यार्थी की आंखों में सपने हैं, तो उसका हृदय भारत माता की सेवा के संकल्प से भी भरा होना चाहिए।

जब आप कक्षा में पढ़ते हैं, तो आपका ज्ञान सिर्फ आपका नहीं, आने वाली पीढ़ियों की संपत्ति है। जब आप संगठन में काम करते हैं, तो आपकी मेहनत सिर्फ एक गतिविधि नहीं, बल्कि भारत के भाग्य को गढ़ने का महान प्रयास है। जब आप सेवा करते हैं, तो आपकी करुणा, आपकी संवेदना इस राष्ट्र की आत्मा को मजबूत करती है।

इस वर्ष अभाविप की स्थापना को 77 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं, इतने लंबे समय तक अपने ध्येय पथ पर बने रहना और देश हित में कार्य करते रहने का अनुपम उदाहरण अभाविप ने प्रस्तुत किया है। एक छात्र संगठन की कल्पना जब लोगों के मन में आती है, तो एक छात्र संगठन से अपेक्षा केवल विद्यालय-महाविद्यालय परिसर व अन्य शिक्षा से जुड़े विषयों को लेकर होती है, अभाविप ने एक छात्र संगठन होते हुए भी शिक्षा क्षेत्र के साथ समाज और देश हित में कई विषयों पर कार्य किया और नए आयाम स्थापित करते हुए एक छात्र संगठन के प्रति लोगों की सोच के दायरे को बढ़ाया है, उसे एक व्यापक पद प्रदान किया है।

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आज विद्यार्थी परिषद के इतने प्रकार के कार्य हैं कि विद्यार्थी जिस क्षेत्र की रुचि रखता हो उस प्रकार का कार्य कर सकता है। विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता ‘SFS’ (Students For Seva) के माध्यम से अपने सामाजिक दायित्व का निर्वहन करते हुए विभिन्न प्रकार के सेवा कार्य कर रहे हैं — चाहे वह कोरोना काल में सेवा का कार्य हो, भोजन की व्यवस्था हो, यहां तक कि मूक पशुओं की चिंता का विषय हो, अभाविप के कार्यकर्ताओं ने सेवा को अपनी कल्पना अनुसार नवाचार एवं रचनात्मक पद प्रदान करते हुए कार्य किया। विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं द्वारा पाँच हजार से अधिक परिषद की पाठशालाएं चलाई जा रही हैं, जहां छात्र-छात्राएं अपने आसपास में गरीब छात्रों को पढ़ाते हैं एवं भविष्य निर्माण में उनकी सहायता करते हैं।

अभाविप का मानना है कि देश में विनाश रहित विकास होना चाहिए, इसी लिए विकास के एक नए मॉडल SFD (Students For Development) को समाज के समक्ष रखा है — एक ऐसी गतिविधि जिसमें पर्यावरण, जल, जंगल, जमीन, जन, जानवर सभी की चिंता हो और उनके प्रति संवेदना का भाव छात्र के मन में हो, साथ ही उनके संरक्षण व संभाल हेतु कई कार्यों में विद्यार्थियों की सहभागिता हो।

कला के क्षेत्र में रुचि रखने के लिए राष्ट्रीय कला मंच, खेल से जुड़े हुए छात्रों के लिए खेलो भारत, मेडिकल के छात्रों के लिए मेडविजन, कृषि के छात्रों के लिए एगविजन, आयुर्वेद के छात्रों के लिए जिज्ञासा — ऐसे अनेक प्रकार के आयाम, कार्य व गतिविधियां विद्यार्थी परिषद द्वारा स्थापित किए गए और आज यह आयाम एवं गतिविधियां भारत की गति में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

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आज पूर्वोत्तर राज्य से पश्चिम के कच्छ तक, देश के दक्षिणी छोर कन्याकुमारी से उत्तर में हिमाचल की लद्दाख तक एवं बंगाल की खाड़ी में स्थित अंडमान द्वीप तक अभाविप की इकाइयों का कार्य चल रहा है और इन स्थानों से भी संगठन का कार्य करने हेतु पूर्णकालिक कार्यकर्ता निकल रहे हैं।

अभाविप में कार्यकर्ता अपने विद्यार्थी जीवन के चार-पांच वर्ष के लिए अवश्य कार्य करता है, परंतु सीखने के बाद अपने शेष जीवन काल में समाज व राष्ट्र के लिए समर्पित होकर कार्य करता है — फिर चाहे वह किसी भी विधा में कार्य करे।

अनेक संगठन किसी कारण से उत्पन्न होते हैं व समाप्त हो जाते हैं, किंतु विद्यार्थी परिषद आज भी अपने मूल विचार को लेकर सतत कार्य करता आ रहा है। दायित्व से नेतृत्व न हो, बल्कि नेतृत्व से दायित्व की शोभा बढ़े, ऐसा दायित्वबोध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद सिखाता है और इसी कार्यपद्धति एवं विचार को लेकर आज दिनांक तक अभाविप राष्ट्र की सेवा में समर्पित 59 लाख से अधिक सदस्यों के साथ विश्व का सबसे बड़ा छात्र संगठन बन कर भारत को विश्व गुरु बनाने के संकल्प को साकार करने का कार्य अडिग होकर कर रहा है।

आज भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जिसके पास सर्वाधिक युवा शक्ति है, नया जोश है, नई ऊर्जा है, नया खून है, नया दिमाग है, नया उत्साह है, 65 प्रतिशत युवाओं के नेतृत्व की ताक़त है और विद्यार्थी परिषद का यह मानना है कि युवा वह शक्ति है, जो असंभव को भी संभव बना सकती है और जिस दिन से इस देश का युवा शिक्षा, चिकित्सा, ज्ञान, विज्ञान, तकनीक, साहित्य आदि के माध्यम से इस देश की उन्नति के लिए योगदान देगा, जिस दिन से युवा अपने आंतरिक कौशल और नवाचारों की क्षमता को पहचान कर भारत के पुनर्निर्माण के लिए दृढ़ संकल्पित हो जाएगा— उस दिन भारत पुनः भू-लोक का गौरव, पृथ्वी का पुण्य स्थल, संसार का सिरमौर अर्थात भारत पुनः विश्व गुरु बन जाएगा।

लेखक – माखन शर्मा, प्रदेश मंत्री, अ.भा.वि.प. महाकौशल, मध्य प्रदेश

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