मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु के पूर्व मंत्री और डीएमके के वरिष्ठ नेता के. पोनमुडी के विवादास्पद बयान पर सख्त नाराज़गी जताई है। दरअसल, पोनमुडी का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें उन्होंने हिंदू धार्मिक प्रतीकों को अश्लील मज़ाक से जोड़ दिया था।
अदालत ने इस पर स्वतः संज्ञान लेते हुए टिप्पणी की कि नेताओं को यह भ्रम हो गया है कि उन्हें संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत कुछ भी कहने की खुली छूट है, लेकिन यह आज़ादी असीमित नहीं है।
न्यायमूर्ति वेलमुरुगन ने सुनवाई के दौरान दो टूक कहा कि देश में सभी धर्मों और संस्कृतियों के लोग रहते हैं, ऐसे में सार्वजनिक मंच से कुछ भी बोलना पूरी आज़ादी नहीं हो सकती। नेता माइक पकड़ते ही खुद को राजा समझने लगते हैं, लेकिन कोर्ट ऐसे बर्ताव को नजरअंदाज़ नहीं कर सकता।
कोर्ट ने चेतावनी दी कि यदि पुलिस इस मामले में उचित कार्रवाई नहीं करती है, तो सीबीआई जांच के आदेश देने पड़ेंगे।
बात उस वायरल वीडियो की करें तो उसमें पोनमुडी एक ‘चुटकुला’ सुनाते हैं जिसमें वे एक व्यक्ति और एक सेक्स वर्कर के संवाद के बहाने शैव और वैष्णव परंपराओं के तिलक और पवित्र प्रतीकों को आपत्तिजनक ढंग से यौन मुद्राओं से जोड़ते हैं।
पोनमुडी बयान के बाद भारी आलोचना हुई और पोनमुडी ने माफी भी मांगी, लेकिन कोर्ट ने साफ कर दिया कि माफी से बात खत्म नहीं हो सकती — धार्मिक आस्था का मज़ाक उड़ाना गंभीर अपराध है।
न्यायमूर्ति ने यह भी कहा कि यह मामला दर्शाता है कि राजनीतिक भाषणों में संयम और गरिमा किस कदर गिर चुकी है। अदालत अब इस मामले की निगरानी कर रही है और पुलिस की कार्रवाई की समीक्षा करेगी।
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