आप कभी यह सोच सकते हैं कि किसी मस्जिद के किसी काम में किसी हिंदू को शामिल किया। शायद नहीं, क्योंकि ऐसा होने पर जबर्दस्त हंगामा हो सकता है। लेकिन दूसरी तरफ कोई मुसलमान किसी मंदिर या ‘धाम’ का प्रसाद भी बना सकता है और इसके लिए उसे सरकारी खजाने से पैसे भी मिलते हैं। ऐसा पश्चिम बंगाल में हो रहा है। बता दें कि गत अप्रैल महीने में पश्चिम बंगाल के पूर्वी मेदिनीपुर जिले के दीघा में ‘जगन्नाथ धाम’ बना है।
हालांकि इसके नाम का ओडिशा सरकार ने लिखित विरोध किया था। इस धाम के निर्माण के लिए पश्चिम बंगाल सरकार ने लगभग 250 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। इसका उद्घाटन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किया था। उसी समय उन्होंने कहा था कि धाम का प्रसाद राज्य के घर-घर तक पहुंचाया जाएगा। माना जा रहा है कि राज्य में भाजपा के बढ़ते जनाधार को कम करने के लिए ममता बनर्जी ने इस धाम का निर्माण करवाया है और राम मंदिर की तरह घर-घर प्रसाद भेजने की घोषणा की है।
उस समय लोगों को लगा था कि ‘धाम’ की रसोई में प्रसाद बनेगा और उसी को हर घर तक पहुंचाया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब जो हो रहा है, वह बहुत ही अपमानजनक है। इस ‘धाम’ का ‘प्रसाद’ बनाने का ठेका अलग-अलग स्थानों पर कुछ मिठाई दुकानदारों को दिया गया है। ये ठेकेदार मिठाई बनाकर पैकेट में डालते हैं और उन्हें ही प्रसाद के नाम पर ‘दुआरे राशन योजना’ के अंतर्गत घर-घर तक पहुंचाया जा रहा है। पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुवेंदु अधिकारी कहते हैं, ‘‘भगवान को बिना भोग लगाए प्रसाद के नाम पर मिठाई वितरण करना हिंदुओं का अपमान है। राज्य सरकार हिंदुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ कर रही है।’’
मजेदार बात यह है कि मिठाई बनाने वाले अधिकतर दुकानदार मुसलमान हैं। मुर्शिदाबाद के इस्लामपुर में ‘प्रसाद’ बनाने का ठेका चार दुकानदारों को दिया गया है। इनमें से तीन मुसलमान और एक हिंदू है। ये हैं-सबीरुल्लाह इस्लाम, राजू शेख, रजब अली और रामप्रसाद। इस्लामपुर रानी नगर प्रखंड में पड़ता है। रजब अली ने बताया कि वे और अन्य दुकानदार मिठाई का पैकेट तैयार कर प्रखंड विकास पदाधिकारी यानी बी.डी.ओ. के कार्यालय में पहुंचा देते हैं। इसके बाद उन पैकेटों को वेस्ट बंगाल हाउसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (हिडको) के माध्यम से घर-घर तक पहुंचाया जा रहा है। हिडको ने ही ‘जगन्नाथ धाम’ का निर्माण कराया है।
रजब अली ने यह भी बताया कि एक पैकेट मिठाई के लिए उसे 17 रुपए मिलते हैं। रजब अली से पूछा कि आप तो मुसलमान हैं और मांस भी खाते होंगे। फिर आप मंदिर का प्रसाद बनाने में शुद्धता का पालन कैसे करते हैं! इस पर उन्होंने कहा कि दुकान मेरी है, पर मिठाई बनाने वाले सारे कारीगर हिंदू हैं। श्री सनातन धर्म प्रतिनिधि सभा, दिल्ली के संरक्षक भूषणलाल पाराशर उनकी इस दलील से सहमत नहीं हैं। वे कहते हैं, ‘‘केवल हिंदू होने से कोई कारीगर प्रसाद बनाने का अधिकार प्राप्त नहीं कर सकता। प्रसाद में शुद्धता सबसे बड़ी बात है। क्या बाजार की किसी दुकान में प्रसाद बनाने की शुद्धता संभव है! इसका उत्तर नहीं के अलावा कुछ और नहीं हो सकता।
प्रसाद बनाने की एक शास्त्रोक्त प्रक्रिया है, जिसका कड़ाई से पालन किया जाना आवश्यक है। प्रसाद शुद्ध तन से, पवित्र मन से और अंतर्मन से समर्पित होकर, सात्विक भाव से उचित खाद्य सामग्रियों के समुचित अनुपात के साथ बनाया जाता है। ऐसी अपेक्षा रहती है कि प्रसाद बनाते समय व्यक्ति का मन-मस्तिष्क भगवत भाव से ओतप्रोत होना चाहिए। प्रसाद बनने के बाद सर्वप्रथम उसे भगवान को अर्पित किया जाता है। इसके बाद ही उस सामग्री को प्रसाद कहा जाता है, लेकिन ऐसा लगता है कि पश्चिम बंगाल सरकार को इस बात से कोई मतलब नहीं है। वह हिंदुओं का अपमान करने में ही अपनी सरकार की ‘बहादुरी’ मानती है।”
निकाले गए 114 मुस्लिम कर्मचारी
गत दिनों महाराष्ट्र के प्रसिद्ध शनि शिंगणापुर मंदिर ट्रस्ट ने 167 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया है। इनमें से 114 मुसलमान हैं। ट्रस्ट ने कहा है कि इन कर्मचारियों को अनुशासनहीनता के दंड स्वरूप निकाला गया है। ये लोग कुछ दिनों से काम पर नहीं आ रहे थे। बता दें कि कुछ दिन पहले ही ‘सकल हिंदू समाज’ नामक एक संगठन ने मांग की थी कि शनि शिंगणापुर मंदिर में कार्यरत मुसलमान कर्मचारियों को निकाला जाए। इस संगठन का तर्क था कि मंदिर हिंदुओं का है, तो यहां मुसलमानों को नौकरी क्यों दी गई है!
पश्चिम बंगाल, भाजपा का कहना है कि अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए ममता बनर्जी प्रसाद के नाम पर हिंदुओं को लुभा रही हैं, लेकिन राज्य के हिंदू ममता की इस चाल को समझ रहे हैं। वहीं हिडको के अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल के नगर विकास मंत्री फिरहाद हकीम का कहना है, “प्रसाद के पैकेट जगन्नाथ मंदिर के ही हैं। इसे प्रत्येक मत-मजहब के लोगों के बीच बांटा जा रहा है।” लेकिन विश्व हिंदू परिषद ने पश्चिम बंगाल सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि सरकार प्रसाद बनाने वाले सभी ठेकों को तुरंत निरस्त करे, नहीं तो विहिप कानून का रास्ता अपनाएगी।
विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल कहते हैं, “पश्चिम बंगाल सरकार केवल हिंदुओं का अपमान नहीं कर रही है, वह भगवान जगन्नाथ को भी अपमानित कर रही है। बिना भोग लगाए मिठाई को प्रसाद बताना, बहुत ही आपत्तिजनक है। इसके लिए ममता बनर्जी हिंदुओं से माफी मागें, नहीं तो उन्हें इसका नुकसान उठाना पड़ेगा।”
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