नैनीताल: उच्च न्यायालय ने हल्द्वानी में रेलवे की, नजूल की और सरकारी वन विभाग की जमीन को पचास सौ रु के स्टाम्प पेपर पर खुर्दबुर्द किए जाने के मामलों का संज्ञान लिया है।
दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ में याचिकर्ता हितेश पाण्डेय ने जानकारी दी कि सरकार की रेलवे की भूमि गफूर बस्ती, रेलवे की भूमि गौलापार ग़ौजाजली की सरकारी भूमि को खुर्दबुर्द करने के काम किया जा रहा है।
याचिकाकर्ता श्री पाण्डेय बताया कि पिछले साल कोर्ट ने इसका संज्ञान लिया था, किंतु सरकार ने कुछ नहीं किया। जमीनों को उन बाहरी व्यक्तियों को बेचा गया जो कि उत्तराखंड निवासी नहीं थे और रोजगार के लिए यहां आए थे उनके निजी प्रमाण पत्र आधार कार्ड आदि सीएससी के जरिए फर्जी तरीकों से बनाए गए और उनके नाम मतदाता सूची में दर्ज करवा दिए गए।
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कोर्ट को बताया गया कि सरकार की तरफ से इस मामले में जवाब पेश नहीं किया, जबकि सरकार की तरफ से बताया गया कि रेलवे अतिक्रमण का मामला सुप्रीम कोर्ट में है। इस पर याचिका कर्ता ने को कोर्ट को बताया कि ये मामला सुप्रीम कोर्ट वाले मामले से अलग है। कोर्ट ने इस मामले की आगे सुनवाई अगली 14 जुलाई को किए जाने की तिथि निर्धारित कर दी है।
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