अभी कुछ ही दिन पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक्स पर लिखा, “मुझे बताते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि जगत-जननी मां जानकी की जन्मस्थली पुनौराधाम, सीतामढ़ी को समग्र रूप से विकसित करने हेतु भव्य मंदिर सहित अन्य संरचनाओं का डिजाइन अब तैयार हो गया है, जिसे आपके साथ साझा किया जा रहा है।” उन्होंने आगे लिखा, “इसके (मंदिर) लिए एक ट्रस्ट का भी गठन कर दिया गया है, ताकि निर्माण कार्य में तेजी आ सके। हम लोग पुनौराधाम, सीतामढ़ी में भव्य मंदिर निर्माण शीघ्र पूरा कराने हेतु कृतसंकल्पित हैं। पुनौराधाम में मां जानकी के भव्य मंदिर का निर्माण हम सभी बिहारवासियों के लिए गौरव और सौभाग्य की बात है।”
इसके बाद बिहार सहित पूरे भारत में पुनौराधाम की चर्चा होने लगी। सच में, यह खबर बिहार के लोगों के लिए बहुत बड़ी थी। जब से अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बना है, तब से लोग यह आस लगाए बैठे थे कि सीतामढ़ी में भी दिव्य मंदिर बने। अब वह आस पूरी होती दिख रही है। इसके लिए पुनौराधाम के आसपास लगभग 50 एकड़ जमीन चाहिए। इस कार्य को तेजी से किया जा रहा है। राज्य सरकार ने इसके लिए आवश्यक राशि भी आवंटित कर दी है।
पुनौराधाम एक अत्यंत पवित्र और ऐतिहासिक स्थल है, जिसे माता सीता की जन्मस्थली माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, राजा जनक को यहीं भूमि जोतते समय सीता जी मिली थीं। हालांकि सीता के जन्म के संबंध में देश-विदेश में अनेक कथाएं प्रचलित हैं, किंतु इस तथ्य से सभी सहमत हैं कि वे अजन्मा थीं। वे किसी सामान्य नारी के गर्भ से नहीं, पृथ्वी से उत्पन्न हुई थीं।
भगवती सीता के जन्म के संबंध में यह कथा प्रचलित है कि मिथिला में अनावृष्टि के कारण भयंकर अकाल पड़ा। प्रजा दाने-दाने के लिए बिलखने लगी। प्रजावत्सल राजा जनक प्रजा के इस कष्ट को दूर करने के लिए व्यग्र हो उठे। उनकी विह्वलता तथा व्यग्रता को देखकर ऋ षि-मुनियों ने परामर्श दिया कि यदि मिथिलेश स्वयं हल चलाएं तो वर्षा होगी और अकाल दूर हो जाएगा।
महाविष्णुपुराण के अनुसार मिथिलेश जनक ने अपनी राजधानी जनकपुर की सीमा से 3 योजन दूर एक निश्चित स्थान पर यज्ञादि करके हल चलाया। उसी दौरान सीता प्रकट हुईं। बच्ची के प्रकट होते ही संपूर्ण मिथिला क्षेत्र धन-धान्य से परिपूर्ण हो गया। हल के सीत (फाल) से उत्पन्न होने के कारण इस बच्ची का नाम सीता पड़ा।
इसी कारण माता की इस हृदय स्थली का नाम ‘सीतामही’ पड़ा, जिसका अपभ्रंश शब्द सीतामढ़ी है। सीतामढ़ी शहर से पांच किलोमीटर पश्चिम में पुनौरा गांव में जानकी मंदिर है। यही स्थल पुनौराधाम के नाम से दुनिया भर में प्रसिद्ध है।
(लेखिका एम.के.एस. कॉलेज, त्रिमुहान, दरभंगा में इतिहास विभाग की अध्यक्ष हैं)
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