वाराणसी: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान सर्किट हाउस पहुंचे थे। उन्होंने आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने पर कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि तानाशाही कांग्रेस के डीएनए में है। आपातकाल के लिए कांग्रेस को नाक रगड़ कर माफी मांगनी चाहिए। लोकतंत्र को क्षतविक्षत कर रक्तरंजित करने वाले आपातकाल की भयावहता आज भी लोगों के स्मृतियों में जीवित है।
उन्होंने कहा कि 25 जून 1975 की आधी रात को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आंतरिक अशांति का बहाना बनाकर भारत पर आपातकाल थोप दिया। यह निर्णय किसी युद्ध या विद्रोह के कारण नहीं, बल्कि अपने चुनाव को रद्द किए जाने और सत्ता बचाने की हताशा में लिया गया था। कांग्रेस पार्टी ने इस काले अध्याय में न केवल लोकतांत्रिक संस्थाओं को रौंदा, बल्कि प्रेस की स्वतंत्रता, न्यायपालिका की निष्पक्षता और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को कुचलकर यह स्पष्ट कर दिया कि जब-जब उनकी सत्ता संकट में होती है, वे संविधान और देश की आत्मा को ताक पर रखने से पीछे नहीं हटते।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि आज 50 वर्ष बाद भी कांग्रेस उसी मानसिकता के साथ चल रही है। आज भी सिर्फ तरीकों का बदलाव हुआ है। नीयत आज भी वैसी ही तानाशाही वाली है। तानाशाही का़ग्रेंस के डीएनए में है। कांग्रेस की नई नीति आज सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार फैलाना और देश की छवि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर खराब करना है। कांग्रेस की नई “डिजिटल इमरजेंसी” रणनीति बन चुकी है। जब देश हर मोर्चे पर प्रगति कर रहा है, तब कांग्रेस, केंद्र सरकार की हर उपलब्धि को झुठलाने में लगी है, यह वही नकारात्मक मानसिकता है जिसने 1975 में देश की पीछे खींचा था।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि देश की सुरक्षा, सैन्य कार्रवाई या विदेश नीति पर कांग्रेस जिस तरह सेना पर सवाल उठाती है, वह केवल राजनीतिक अवसरवाद नहीं, बल्कि राष्ट्रहित के विरुद्ध तर्कहीन विरोध है। केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने ना सिर्फ अपनी सत्ता को बचाने के लिए बल्कि वैचारिक एजेंडे थोपने के लिए भी संविधान के साथ खिलवाड़ किया। संविधान में संशोधन कर “धर्मनिरपेक्ष” और “समाजवादी” जैसे शब्द जोड़े गए, ताकि कांग्रेस अपने वैचारिक एजेंडे को राष्ट्र पर थोप सके। इसी संशोधन से आपातकाल की अवधि बढ़ा दी गई और राष्ट्रपति को संसद की पूर्व मंजूरी के बिना भी आपातकाल घोषित करने का अधिकार मिल गया।
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