नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण रोस्टर निर्धारण के खिलाफ दायर विभिन्न याचिकाओं की सुनवाई मुख्य न्यायधीश की अध्यक्षता वाली खण्डपीठ में शुक्रवार को भी हुई। आज हुई सुनवाई के बाद कोर्ट ने चुनाव पर लगी रोक हटा दी है और चुनाव आयोग से पूर्व में जारी चुनाव कार्यक्रम को तीन दिन आगे बढ़ाते हुए चुनाव कार्यक्रम जारी करने को कहा है।
सरकार से तीन सप्ताह में मांगा जबाव
साथ ही सरकार को याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाये गए मुद्दों पर तीन हफ्ते के भीतर जबाव देने को कहा है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर किसी प्रत्याशी को इसमे आपत्ति है तो वह कोर्ट में अपना पक्ष रख सकता है। आज हुई सुनवाई में ब्लॉक प्रमुख सीटों का आरक्षण निर्धारित करने व जिला पंचायत अध्यक्ष सीटों का आरक्षण निर्धारित न करने पर भी गम्भीर सवाल उठाए गए। कोर्ट को बताया गया कि ब्लॉक प्रमुख व जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव एक ही तरह से होता है।
एक याची ने कोर्ट को बताया कि देहरादून के डोईवाला ब्लॉक में ग्राम प्रधानों के 63 फीसदी सीटें आरक्षित की गई हैं। शुक्रवार को मुख्य न्यायधीश जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खण्डपीठ के समक्ष याचिकाकर्ताओं की ओर से आरक्षण रोस्टर में कई सीटों के लंबे समय से एक ही वर्ग को प्रतिनिधित्व मिलने का उल्लेख करते हुए इसे संविधान के अनुच्छेद 243 व सुप्रीम कोर्ट द्वारा समय समय पर दिए आदेशों के खिलाफ बताया।
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महाधिवक्ता व मुख्य स्थायी अधिवक्ता ने सरकार का पक्ष रखते हुए बताया कि पिछड़ा वर्ग समर्पित आयोग की रिपोर्ट के बाद आरक्षण रोस्टर को शून्य घोषित करना व वर्तमान पंचायत चुनाव को प्रथम चरण माना जाना आवश्यक था। महाधिवक्ता एस एन बाबुलकर ने कहा कि माननीय कोर्ट ने जो दिशा निर्देश दिए उसके अनुसार चुनाव प्रक्रिया शुरू कराए जाने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।
उधर बीजेपी पार्टी अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा है कि विपक्ष के आरोप बेबुनियाद साबित हुए है कि सरकार चुनाव टालना चाहती है। उन्होंने कहा कि कल कोर्ट ने भी कहा था कि उच्च न्यायालय की मंशा चुनाव पर रोक या टालने की नहीं है। आज जो कोर्ट ने कहा है उसके बाद से पार्टी ने पंचायत चुनावों की तैयारी शुरू कर दी है।
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