प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्षों पहले जिस वैश्विक बदलाव की आहट को पहचाना था, वह अब साकार होता दिख रहा है। वैश्विक राजनीति के मंच पर एक ऐसा बड़ा मोड़ आ चुका है, जिसने न केवल चीन बल्कि रूस तक को चिंतित कर दिया है। नाटो (NATO) देशों ने अपने रक्षा बजट में 5% तक की वृद्धि का निर्णय लिया है, जिससे वैश्विक स्तर पर अत्याधुनिक हथियारों की होड़ शुरू हो चुकी है।
इन अमीर देशों के लिए यह निर्णय अरबों डॉलर के रक्षा सौदों का मार्ग खोलेगा। लेकिन सवाल उठता है—वे हथियार खरीदेंगे कहां से..? चीन और रूस को ये देश रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी मानते हैं, इसलिए उनसे हथियार खरीदना न तो व्यावहारिक है और न ही स्वीकार्य। ऐसे में भारत एक भरोसेमंद, सस्ता और असरदार विकल्प बनकर उभर रहा है।
भारत के पास सुनहरा अवसर
भारत में निर्मित हथियार अब सिर्फ घरेलू इस्तेमाल तक सीमित नहीं हैं। ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल, आकाश मिसाइल सिस्टम, पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर, तेजस फाइटर जेट और स्वदेशी ड्रोन जैसे अत्याधुनिक हथियार अब वैश्विक मंच पर अपनी श्रेष्ठता सिद्ध कर चुके हैं। ये न केवल तकनीकी रूप से अत्याधुनिक हैं, बल्कि रखरखाव की लागत में भी किफायती हैं और जंग के मैदान में परीक्षणित हो चुके हैं।
नाटो की नई रणनीति से भारत का फायदा
रक्षा बजट में इजाफा करने वाले नाटो देश परंपरागत रूप से अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस जैसे अपने सहयोगी देशों से हथियार खरीदते आए हैं। लेकिन बीते वर्षों में बढ़ी कीमतें और आपूर्ति में देरी ने उन्हें नए विकल्पों की तलाश पर मजबूर कर दिया है। रूस और चीन भले ही बड़े हथियार उत्पादक हों, लेकिन वर्तमान भू-राजनीतिक हालात में इनसे खरीदारी नाटो के लिए असंभव है। ऐसे में भारत न केवल एक व्यावहारिक विकल्प बनता है, बल्कि रणनीतिक रूप से भी उपयुक्त है।
आत्मनिर्भर भारत से वैश्विक निर्यातक तक
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ जैसी पहलों के जरिए भारत को रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में वर्षों पहले ही ठोस कदम उठा दिए थे। आज उसी का परिणाम है कि भारत अब सिर्फ हथियारों का उपभोक्ता नहीं, बल्कि विश्वस्तरीय निर्यातक बन चुका है।
यूरोप और एशिया के देश भारत की कतार में
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, यूरोप के कई देश भारत से हथियार खरीदने की दिशा में आगे बढ़ चुके हैं। फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइल की पहली खेप भेजने के बाद वियतनाम, इंडोनेशिया, ब्राजील और अन्य यूरोपीय देशों से बातचीत जारी है। भारत की रक्षा कंपनियों ने अब यूरोप, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा ली है।
आएगी आर्थिक क्रांति होगी रोजगार की बौछार
यदि नाटो देश भारत से बड़े पैमाने पर हथियार खरीदते हैं, तो इससे न केवल अरबों डॉलर का विदेशी मुद्रा लाभ होगा, बल्कि रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में नई क्रांति आएगी। इससे लाखों नौकरियां प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से पैदा होंगी — चाहे वह फैक्ट्रियों में हो, लॉजिस्टिक्स में, रिसर्च एंड डेवलपमेंट में या सप्लाई चेन से जुड़े अन्य क्षेत्रों में।
अब भारत तय करेगा वैश्विक रणनीति
जैसे अमेरिका और रूस ने हथियारों की ताकत से वैश्विक राजनीति में अपनी जगह बनाई, वैसे ही अब भारत की बारी है। भारत एक बड़े रक्षा निर्यातक के रूप में उभरकर वैश्विक संतुलन में अहम भूमिका निभाने को तैयार है — और इसकी नींव प्रधानमंत्री मोदी की रणनीति और दूरदृष्टि ने वर्षों पहले रख दी थी।
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