चीन के किंगदाओ शंघाई सहयोग संगठन (SCO) रक्षा मंत्रियों की बैठक चल रही है। चीन इसका मेजबान है और पाकिस्तान उसका पालतू। दोनों ने मिलकर भारत के खिलाफ एक साजिश रची और उसमें एक ऐसा दस्तावेज जोड़ा गया, जो कि भारत के आतंकवाद के खिलाफ रुख को कमजोर करता था। लेकिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस पर हस्ताक्षर करने से इंकार करते हुए आतंक के खिलाफ देश की प्रतिबद्धता को स्पष्ट किया।
क्या है पूरा मामला
मामला कुछ यूं है कि चीन में चल रहे एससीओ बैठक में आतंकवाद और 7 क्षेत्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर एक प्रस्ताव रखा। लेकिन, इसमें पहलगाम हमले का जिक्र तक नहीं किया गया। इसके बाद जब रक्षा मंत्री हस्ताक्षर के लिए प्रस्ताव लाया गया तो उन्होंने इससे इंकार कर दिया। राजनाथ सिंह ने इसे दोहरा मापदंड करार दिया है।
आतंकवाद शांति और समृद्धि का दुश्मन
रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में राजनाथ सिंह ने आतंकवाद को शांति और समृद्धि का सबसे बड़ा दुश्मन बताया। उन्होंने बिना नाम लिए पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा, “कुछ देश आतंकवाद को अपनी नीति के तौर पर इस्तेमाल करते हैं और आतंकियों को पनाह देते हैं। ऐसे दोहरे मापदंडों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए।” उन्होंने SCO सदस्य देशों से अपील की कि वे आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर दोषियों, उनके वित्तपोषकों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराएं। भारत की इस नीति ने वैश्विक मंच पर उसकी आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।
चीन-पाकिस्तान पर सवाल
सूत्रों के अनुसार, SCO की अध्यक्षता कर रहे चीन और उसके करीबी सहयोगी पाकिस्तान ने संयुक्त बयान में आतंकवाद पर सख्त भाषा को हल्का करने की कोशिश की। बयान में पहलगाम हमले को शामिल न करने और बलूचिस्तान का जिक्र करने को भारत ने पक्षपातपूर्ण माना। इस कारण भारत के विरोध के बाद SCO ने कोई संयुक्त बयान जारी नहीं किया, जो इस मंच के लिए असामान्य है। यह कदम चीन की अध्यक्षता में उसकी तटस्थता पर भी सवाल उठाता है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इशारों में चीन को भी लपेटे में लिया। साथ ही पहलगाम हमले को लेकर उन्होंने कहा कि उस आतंकी हमले की जिम्मेदारी टीआरएफ ने ली है, जो कि पाकिस्तान स्थित लश्कर ए तैयबा का अंग है। इसके साथ ही उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए कहा कि भारत ने केवल अपने रक्षा के अधिकार का प्रयोग किया है।
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