इस्लाम और शरीयत के नाम पर ईरान में इस्लामी शासन ने असहमति में उठने वाले स्वर को लगातार दबाया है। लेकिन, अब इजरायल के साथ युद्ध के मध्य एक बार फिर से वही आवाजें एक बार फिर से उठ सकती हैं। इस बात का डर ईरान के सर्वोच्च नेता अय़ातुल्लाह खामेनेई को सताने लगा है। खामेनेई को देश के अंदर ही विद्रोह की आशंकाएं पनपती दिख रही हैं, जिसे दबाने के लिए अब कार्रवाई शुरू कर दी गई है। इसी कदम के तहत ईरानी सुरक्षा बलों ने सैकड़ों लोगों को हिरासत में लिया है, जिन पर सरकार विरोधी गतिविधियों और इजरायल से संबंधित जासूसी का आरोप है।
विद्रोह की आहट को देखते हुए खामेनेई औऱ उनकी सरकार ने देशव्यापी अभियान छेड़ दिया है। इसके तहत आपातकाल की स्थिति की तरह की उन सभी लोगों को पकड़ा जा रहा है, जिनको लेकर सरकार को शक है कि वो उनके खिलाफ बगावत कर सकते हैं। देश के सबसे अशांत कहे जाने वाले कुर्द क्षेत्र में तो ईरानी सेना को तैनात कर दिया गया है।
ईराक, पाकिस्तान, अफगानिस्तान की सीमाएं सील
लाइव हिन्दुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार, विद्रोह की आशंका के चलते ईरान ने पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईराक व अजरबैजान से लगती सीमाओं को सील कर दिया है। वहां सेना को तैनात किया गया है, ताकि किसी भी घर से असहमति की कोई आवाज उठ न सके।
700 से अधिक गिरफ्तारियां
अमेरिकी मानवाधिकार संगठन HRNA ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि अब तक 705 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। कथित तौर पर सरकार को इन पर इजरायल समर्थक होने का शक है। ये वही लोग हैं, जो गाहे-बगाहे सरकार के खिलाफ आवाज उठाते हैं।
इजरायल ने बताया अपना मकसद
पिछले हफ्ते इजरायल द्वारा ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर किए गए हवाई हमलों ने दोनों देशों के बीच तनाव को चरम पर पहुंचा दिया है। इजरायली सेना ने दावा किया है कि उनके हमलों का मकसद ईरान की परमाणु क्षमता और मिसाइल कार्यक्रम को कमजोर करना है। दूसरी ओर, ईरान ने जवाबी कार्रवाई में तेल अवीव और हैफा जैसे इजरायली शहरों पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए, जिनमें कई लोग मारे गए। इस संघर्ष ने मध्य पूर्व में व्यापक युद्ध की आशंका को बढ़ा दिया है।
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