सीरिया में असद सरकार के गिरने के बाद ईसाई समुदाय पर हमले बढ़े हैं, महिलाओं को लेकर कट्टरपंथी फतवे भी जारी हो रहे हैं। 22 जून को सीरिया की राजधानी दमिश्क में मार एलियास चर्च के अंदर आतंकी ने खुद को बम से उड़ा लिया। इस हमले में 25 लोगों की मौत हुई और 60 से अधिक घायल हो गए।
ग्रीक ऑर्थोडॉक्स चर्च पर इस हमले को लेकर पोप ने भी शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि उन्हें इस हमले के कारण हुए जान-माल के नुकसान पर बहुत दुख है। पीड़ितों को वहां पर शहीद का दर्जा दिया जा रहा है। कसासा जिले के होली क्रॉस चर्च में एंटिओक के पैट्रिआर्क द्वारा ‘लास्ट राइट्स’ किया गया। सभी शवों को प्रोफेट एलियास चर्च में ले जाया गया और फिर उन्हें दफनाया दिया गया।
इस घटना में जान गंवाने वालों को चर्च की ओर से शहीद बताया गया। एंटिओक के पैट्रिआर्क ने कहा था कि आप हमारे प्रिय शहीद, हमसे विदा हो गए हैं और मृतकों में से जी उठे प्रभु की उपस्थिति में अनन्त जीवन के लिए स्वर्ग में चले गए हैं।
परन्तु अब इस बात को लेकर भी कुछ लोगों का कहना है कि ईसाई अपने उन लोगों को शहीद या मार्टीयर नहीं कह सकते हैं, क्योंकि ये शब्द इस्लामिक है। यजीदी अधिकारों के लिए काम करने वाली अजत ने एक्स पर जर्मनी में रह रहे सीरियाई नागरिक मोहम्मद का वीडियो साझा करते हुए लिखा कि चर्च पर बमबारी के शिकार ईसाइयों को शहीद नहीं कहा जा सकता क्योंकि शहादत एक इस्लामी शब्द है जब तक कि चर्च को मस्जिद में नहीं बदल दिया जाता और उनका क्रॉस नहीं हटा दिया जाता।
चर्च पर हुए इस हमले के लिए आईएसआईएस को जिम्मेदार माना जा रहा है। ब्रिटेन के ऐक्टिविस्ट टोनी रॉबिन्सन ने भी एक्स पर लिखा कि हमलावर चर्च में “यू पिग” कहते हुए अंदर घुसा और उसने विस्फोट कर दिया।
इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट से जुड़े सराय अंसार अल-सुन्ना ने ली है। dw न्यूज के अनुसार इस आतंकी समूह ने सोशल मीडिया पोस्ट जारी कर यह दावा किया यह हमला दमिश्क में ईसाइयों द्वारा उकसाने की गतिविधियों का परिणाम है।
मार्च में चर्च में इस बात को लेकर भी विवाद हुआ था जब वहां के निवासियों ने यह शिकायत की थी कि चर्च की इमारत के सामने एक कार से इस्लामिक नारे आ रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि यही समूह अलावी, ईसाई, ड्रूज़ और शिया मुसलमानों को निशाना बनाकर किए गए विभिन्न सांप्रदायिक धमकियों और हमलों के पीछे था। इस पर मार्च में हुए हत्याकांड में शामिल होने का भी आरोप है, जिसके बारे में अधिकार समूहों का कहना है कि इसमें 1,700 से ज़्यादा अलावी नागरिक मारे गए थे।
वहीं, ईसाई रिलीजन से संबंधित पोर्टल्स का कहना है कि सीरिया में पांच चर्चों को कट्टरपंथियों से धमकियां मिल रही हैं। सोशल मीडिया पोस्ट फैलाई जा रही हैं और हिंसा की चेतावनी दी जा रही है। सोशल मीडिया पर कई ऐसे वीडियो भी आ रहे हैं, जिनमें सीरिया के ईसाई समुदाय के लोग सड़कों पर हैं और वे नारे लगा रहे हैं कि क्राइस्ट जाग चुके हैं।
वहां के ईसाई समुदाय के लोग सड़कों पर उतरे और यह दावा किया कि हम सब क्राइस्ट के लिए हैं। ऐसे प्रदर्शनों के कई वीडियो सामे आ रहे हैं, जहां मार्च में अलवाती समुदाय के लोगों की सामूहिक हत्याएं हुई थीं तो वहीं मई में दमिश्क के एक नाइट क्लब में हमला करके उसे बंद कराया गया था और साथ ही एक और स्थान पर एक महिला की हत्या के बाद एक बार बंद करवाया गया था।
रॉयटर्स के अनुसार दमिश्क के ईसाई निवासियों ने उन्हें बताया कि पिछले छह महीनों में मुस्लिम शेख उनके पड़ोस में आये थे और उनसे इस्लाम अपनाने तथा शराब छोड़ने का आग्रह कर रहे थे।
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