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होर्मुज जलडमरूमध्य बंद होने का भारत पर प्रभाव और सरकार की तैयारियां

ईरान-इजरायल युद्ध के बीच होर्मुज जलडमरूमध्य संकट का भारत पर प्रभाव। पढ़ें, भारत कैसे तेल आपूर्ति और आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित कर रहा है।

by Kuldeep Singh
Jun 23, 2025, 07:51 am IST
in विश्लेषण
Iran planning to Shut Hormuz Water trait

प्रतीकात्मक तस्वीर

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इजरायल ईरान युद्ध के बीच अमेरिका ने अपने B-2 बॉम्बर्स के जरिए ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला कर दिया। इससे नाराज ईरान ने अब समूची दुनिया की मुश्किलें बढ़ाने का इशारा कर दिया है। ईरान होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने की तैयारी कर रहा है। इससे व्यापारिक जहाजों की आवाजाही बाधित हो जाएगी, जिससे माल ढुलाई में दिक्कतें होंगी और इसका असर भारत पर भी पड़ेगा ये तय है। लेकिन भारत ने इससे निपटने के लिए क्या तैयारियां की है? होर्मुज जलडमरूमध्य के बंद होने से भारत पर क्या और कितना असर होगा आइए जानते हैं।

क्या है भारत सरकार की तैयारी

इजरायल के साथ युद्ध के बीच अगर ईरान होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद कर देता है तो भारत पर इसका बहुत ही तगड़ा आर्थिक और सामरिक प्रभाव पड़ेगा। लेकिन, भारत सरकार को इस बात का अंदेशा पहले से ही था कि जिस तरह से आईओसी देश आपस में ही कट-मर रहे हैं, ऐसे में एक दिन ऐसा आएगा, जब व्यापार के लिए परिस्थिति प्रतिकूल होगी। उससे निपटने के लिए सरकार बीते कई सालों से तेल आय़ात में विवधता लाने की कोशिश कर रही है। बीते कुछ सालों में भारत ने अभूतपूर्व तरीके से खाड़ी के देशों पर से तेल की निर्भरता को कम करने का काम किया है।

इसे भी पढ़ें: इजरायल-ईरान युद्ध: डोनाल्ड ट्रंप ने दिया ‘मेक ईरान ग्रेट अगेन’ का नारा, ईरान में सत्ता परिवर्तन का इशारा

भारत ने अपनी तेल आपूर्ति के स्रोतों में विविधता लाई है। रूस, अमेरिका, ब्राजील, और पश्चिम अफ्रीका जैसे देशों से तेल आयात किया जाता है, जो होर्मुज जलडमरूमध्य पर निर्भर नहीं हैं। उदाहरण के लिए, रूस से तेल स्वेज नहर, केप ऑफ गुड होप, या प्रशांत महासागर के रास्ते आता है। इसके अलावा भारत सरकार इसी माह से हर दिन रूस से 20-22 लाख बैरल प्रतिदिन तेल का आय़ात करता है। हाल ही में केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने कहा था कि भारत के पास 74 दिनों का तेल का स्टोरेज है। ऐसे में अगर आपातकाल की स्थिति आती भी है तो भारत इस हालात को संभाल लेगा।

  • भारत ने तेल आयात के लिए 40 देशों से स्रोत विकसित किए हैं, जो पहले 27 थे।
  • सरकार तेल की कीमतें 105 डॉलर प्रति बैरल से अधिक होने पर ईंधन पर उत्पाद शुल्क की समीक्षा कर सकती है, ताकि जनता को राहत दी जा सके।
  • भारत ने 2019 में होर्मुज में टैंकरों पर हमले के बाद नौसेना तैनात की थी और कूटनीतिक रास्ते अपनाए थे, जो संकट के समय फिर से उपयोग में लाए जा सकते हैं।

भारत पर क्या होगा असर

वहीं अगर ईरान के द्वारा जलडमरूमध्य को बंद कर दिया जाता है तो निश्चित तौर पर असर तो पड़ेगा। क्योंकि होर्मुज जलडमरूमध्य के जरिए ही भारत अपने कुल कच्चे तेल का 40 फीसदी खाड़ी के देशों से आय़ात करता है। खास तौर पर सऊदी अरब, ईरान और यूएई जैसे देशों से। जानकारों का कहना है कि अगर होर्मुज को बंद किया गया तो तेल की कीमतों में 80 से 120-150 डॉलर तक का इजाफा हो सकता है। हालांकि, भारत सरकार पहले से तैयार है।

Topics: होर्मुज जलडमरूमध्यIndia's oil import diversification strategyStrait of HormuzIran Strait of Hormuz crisisIran Israel WarOil storage capacity in Indiaईरान-इज़रायल युद्धतेल आयातहोर्मुज जलडमरूमध्य बंद होने का भारत पर असरभारत की तेल आयात विविधता रणनीतिईरान होर्मुज जलडमरूमध्य संकटभारत में तेल भंडारण क्षमताOil importsImpact of Strait of Hormuz closure on India
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