15 सदस्यीय भारतीय श्रमिक प्रतिनिधिमंडल 15 जून 2025 को स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा से भारत लौट आया। प्रतिनिधिमंडल ने अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) द्वारा आयोजित 113वें अंतरराष्ट्रीय श्रम सम्मेलन (ILC) में सफलतापूर्वक भाग लिया।
यह 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल निम्नलिखित संगठनों से था : बीएमएस – 5, एआईटीयूसी – 2, एचएमएस – 2, सीआईटीयू -1, यूटीयूसी -1, एआईयूटीयूसी -1, टीयूसीसी -1, एनएफआईटीयू -1, और सेवा -1
इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व बीएमएस के ऑल इंडिया ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी श्री बी. सुरेन्द्रन ने किया, जो “वर्कर डेलीगेट” के रूप में शामिल हुए।
सभी प्रतिनिधियों को चार अलग-अलग समितियों में बाँटा गया था, जो अलग-अलग विषयों पर काम कर रही थीं:
ILC की प्रमुख विशेषताएँ:
• समितियाँ :
जैविक खतरों से सुरक्षा पर समिति : इसका नेतृत्व श्री एस. मल्लेशम (बीएमएस) ने किया। अन्य सदस्य थे: श्री के.एन. उमेश (सीआईटीयू), श्री एस.पी. तिवारी (टीयूसीसी), और डॉ. विराट जायसवाल (एनएफआईटीयू)।
प्लेटफॉर्म इकोनॉमी पर समिति : इसका नेतृत्व श्री के. सोमशेखर (एआईयूटीयूसी) ने किया। अन्य सदस्य थे: श्रीमती देबश्री कलाई (बीएमएस), श्री जयवंत भोसले (एचएमएस), श्रीमती स्मिता पटेल (एचएमएस), श्री विजय जेन (एआईटीयूसी), और श्री दीपक साहा (यूटीयूसी)।
अनौपचारिकता से औपचारिकता की ओर संक्रमण पर समिति : इसका नेतृत्व श्रीमती मणाली शाह (सेवा) ने किया। अन्य सदस्य थे-श्रीमती दसविंदर कौर (एआईटीयूसी), श्रीमती नीलम कुमारी (बीएमएस), और श्री रामनाथ गणेशे।
मानकों के अनुप्रयोग पर समिति : इसका नेतृत्व श्री बी. सुरेन्द्रन (बीएमएस) ने किया।
सभी सदस्य नियमित रूप से बैठकें करते रहे और अपनी-अपनी समितियों एवं कॉमन वर्कर्स ग्रुप की गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेते रहे।
• एकजुटता (सॉलिडैरिटी) : भारतीय श्रमिक समूह ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संघर्षरत श्रमिक वर्गों के प्रति अपनी एकजुटता प्रकट की:
- म्यांमार के श्रमिक, जो सैन्य शासन का सबसे अधिक शिकार हैं।
- फिलिस्तीन के श्रमिक, जो भूख व युद्ध से प्रभावित हैं।
- बेलारूस के श्रमिक, जो अधिनायकवादी शासन के विरुद्ध संघर्ष कर रहे हैं।
- खाड़ी देशों में प्रवासी श्रमिक।
- मलेशिया में भेदभाव झेल रहे श्रमिक।
- नेपाल में कम वेतन व खराब परिस्थितियों में काम कर रहे भारतीय आउटसोर्स्ड श्रमिक।
मानकों के अनुप्रयोग पर समिति में श्री बी. सुरेन्द्रन ने नेपाल मामले में हस्तक्षेप करते हुए ILO कन्वेंशन C.98 (संगठन और सामूहिक सौदेबाजी का अधिकार) के उल्लंघन की ओर ध्यान दिलाया। उन्होंने नेपाल में निजी कंपनियों में कार्यरत भारतीय प्रवासी श्रमिकों की दयनीय स्थिति और एक बड़ी फार्मा कंपनी की मज़दूर विरोधी नीतियों को उजागर किया। भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने बेलारूस के ट्रेड यूनियन नेताओं की गिरफ्तारी के विरोध में ऐतिहासिक ब्रोकन चेयर स्थान पर हुए विशाल प्रदर्शन में भाग लिया।
• मतदान : श्रमिक समूह ने ILC में उठे मुद्दों पर आपसी विचार-विमर्श कर साझा रुख अपनाया। प्रतिनिधियों ने निम्नलिखित प्रस्तावों के पक्ष में मतदान किया:
- समुद्री श्रम संधियों में 8 संशोधनों के समर्थन में।
- ILO की गतिविधियों हेतु सभी देशों द्वारा पर्याप्त बजट सुनिश्चित करने के पक्ष में।
- प्लेटफॉर्म इकोनॉमी पर एक कन्वेंशन की आवश्यकता के समर्थन में।
- जैविक खतरों से सुरक्षा पर कन्वेंशन व सिफारिशें लाने की मांग में।
- फिलिस्तीन पर प्रस्ताव लाने के समर्थन में।
• जैविक खतरों पर नया कन्वेंशन – 2025 : 113वें ILC का ऐतिहासिक परिणाम रहा Convention No. C192 का सर्वसम्मति से अंगीकरण, जिसका शीर्षक है — जैविक खतरों से कार्यस्थल की सुरक्षा संबंधी कन्वेंशन 2025।
• ब्रिक्स देशों की ट्रेड यूनियन बैठक :
बीएमएस की पहल पर 12 जून को ILO मुख्यालय के लाइब्रेरी हॉल में ब्रिक्स देशों की ट्रेड यूनियनों की विशेष बैठक आयोजित हुई। बैठक की अध्यक्षता ब्राज़ील के श्री कार्लोस ने की और संचालन भारत के प्रतिनिधि श्री बी. सुरेन्द्रन ने किया। भारत, ब्राज़ील, रूस, चीन, दक्षिण अफ्रीका के अलावा आमंत्रित देशों ईरान, मिस्र और इथियोपिया के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। कुल 45 प्रतिनिधि उपस्थित थे, जिनमें 8 महिलाएं थीं।
• विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों से बैठक :
Labour20@G20 की सफलता के बाद कई देशों ने बीएमएस के साथ संबंध प्रगाढ़ करने की इच्छा जताई। जिनेवा में भारत के श्रमिक नेताओं की टर्की, सीरिया, ब्राज़ील, मिस्र, चीन, नेपाल, मलेशिया, और मॉरीशस के ट्रेड यूनियन नेताओं से द्विपक्षीय बैठकें हुईं। 11 देशों के ट्रेड यूनियनों ने भारत आने की इच्छा जताई है, जिससे वे BMS व अन्य संगठनों की कार्यपद्धति, सामाजिक सुरक्षा एजेंसियों का कामकाज, और भारत की विविधता के बारे में जान सकें। मिस्र का पहला ट्रेड यूनियन प्रतिनिधिमंडल 4 जुलाई 2025 को भारत आ रहा है ताकि वे धातु, स्टील और इंजीनियरिंग क्षेत्रों का अध्ययन कर सकें।
• श्रम मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया से संवाद :
10 जून को पीएमआई कार्यालय में केंद्रीय श्रम मंत्री डॉ. मांडविया ने श्रमिक प्रतिनिधियों से विशेष भेंट की। उन्होंने प्रतिनिधियों से 10 दिनों की यात्रा में मिले अनुभवों को साझा करने को कहा। श्रीमती देबश्री कलाई (बीएमएस), श्रीमती मणाली शाह (सेवा), श्री के.एन. उमेश (सीआईटीयू), श्री दीपक साहा (यूटीयूसी), श्री जयवंत भोसले (एचएमएस), और डॉ. विराट जायसवाल (एनएफआईटीयू) ने अपने अनुभव साझा किए। श्री बी. सुरेन्द्रन ने मंत्री का धन्यवाद करते हुए उनके समय, रुचि, और प्रतिनिधियों की कठिनाइयों को सुनने के लिए आभार प्रकट किया।
• डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (DPI) पर साइड इवेंट :
11 जून 2025 को भारत के श्रम मंत्रालय द्वारा डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर इन लेबर विषय पर एक साइड इवेंट आयोजित किया गया, जिसमें श्रम मंत्री ने मुख्य वक्तव्य दिया। छह देशों के श्रम मंत्री, कई देशों के श्रम सचिव, ILO के डिप्टी डायरेक्टर जनरल, अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारी, ट्रेड यूनियन नेता और UN अधिकारी मौजूद थे। इस मौके पर मंत्रालय ने दो वीडियो फिल्में जारी कीं— एक “एजुकेशन टू एम्प्लॉयमेंट लाउंज” पर और दूसरी DPI पर।
• वैश्विक शिखर सम्मेलन – सामाजिक न्याय :
12 जून 2025 को Global Summit on Social Justice आयोजित हुआ। भारतीय श्रम मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया इस सम्मेलन के प्रमुख वक्ताओं में शामिल थे। ILO के महानिदेशक श्री एफ. एम. हूंगबो ने अपने उद्घाटन भाषण में भारत की सामाजिक सुरक्षा कवरेज की सराहना करते हुए कहा कि भारत ने 64% जनसंख्या को कवर करके दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा कवरेज सुनिश्चित किया है। उन्होंने अन्य देशों से भारत के अनुभवों को अपनाने की अपील की। इस पर भारतीय प्रतिनिधिमंडल गर्व से उत्साहित हुआ।
• पूर्ण सत्रों में भारतीय वक्तव्य :
श्रमिक प्रतिनिधि श्री बोज्जी सुरेन्द्रन (बीएमएस) ने 6 जून को ILC में भाषण दिया। नियोक्ता प्रतिनिधि श्री के.वी. महादेवा स्वामी (SCOPE अध्यक्ष) ने 9 जून को संबोधित किया। श्रम मंत्री डॉ. मांडविया ने 11 जून को पूर्ण सत्र में भारत की ओर से भाषण दिया। श्रम मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री अजय शर्मा ने तीन विषयों – अनौपचारिकता, प्लेटफॉर्म इकोनॉमी और जैविक खतरे – पर हस्तक्षेप किया। उन्होंने लचीलापन, राष्ट्रीय कानूनों का सम्मान और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के मुद्दों पर जो बातें रखीं, उन्हें व्यापक सराहना मिली।
भारतीय प्रतिनिधियों के वक्तव्यों को सम्मेलन में बहुत प्रशंसा मिली।
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