अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में बढ़ते मोटापे को लेकर लोगों को आगाह किया। उन्होंने देश से खाने में तेल का कम से कम इस्तेमाल करने की अपील की। प्रधानमंत्री ने कहा कि मोटापा इस वक्त पूरे विश्व के लिए एक चुनौती बना हुआ है। इसे कम करने के लिए काम करना पड़ेगा।
इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने लोगों को खाने में 10 फीसदी तक तेल की मात्रा को कम करने का चैलेंज दिया है। मैं मोटापे की तरफ आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूं। साथ ही प्रधानमंत्री ने ये भी कहा कि दुनिया में योग का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। योग शांति की ओर लेकर जाता है। ये ग्लोबल पार्टनरशिप का माध्यम बना हुआ है।
क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि आज आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 लाख लोगों के साथ योग किया। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज दुनिया किसी न किसी तनाव से गुजर रही है। कई क्षेत्रों में तनाव और अशांति बढ़ रही है। ऐसे में योग से हमें शांति मिलती है। इस वर्ष योग का थीम “योग फॉर वन अर्थ, वन हेल्थ” रहा, जो व्यक्तिगत और वैश्विक कल्याण के बीच सामंजस्य को दर्शाता है।पीएम मोदी ने अपने संबोधन में प्राचीन संस्कृत वाक्य “सर्वं विश्वेन संनादति” का उल्लेख करते हुए कहा कि योग विश्व को एकता और शांति के सूत्र में पिरोता है। उन्होंने योग को न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण बताया।
इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि जब व्यक्ति अपने हित से ऊपर उठकर समाज की सोचता है, तभी पूरी मानवता का हित होता है। भारत की संस्कृति हमें सिखाती है- सर्वे भवंतु सुखिनः यानी सभी का कल्याण ही मेरा कर्तव्य है। मैं से हम की यात्रा ही सेवा, समर्पण और सह-अस्तित्व का आधार है।
जब हुई अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों को संबोधित करते हुए 2014 के उस अविस्मरणीय क्षण को भी याद किया, जब दुनिया ने योग को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में स्वीकारा। उन्होंने कहा कि 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मान्यता मिले और तब कम से कम समय में दुनिया के 175 देश हमारे इस प्रस्ताव के साथ खड़े हुए थे। ऐसा समर्थन हासिल करना कोई सामान्य घटना नहीं थी। प्रधानमंत्री कहते हैं कि ये केवल एक प्रस्ताव को समर्थन नहीं, बल्कि मानवता की भलाई के लिए दुनिया का सामूहिक प्रयास था।
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