देहरादून । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपना जन्मदिवस देहरादून में मनाया, उन्होंने आज सुबह राष्ट्रपति निकेतन परिसर के समीप शिव मंदिर में पूजा अर्चना की और राष्ट्रपति निकेतन को उत्तराखंड की जनता के लिए खोले जाने के लिए कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
दृष्टिबाधित दिव्यांगजनों बच्चों के बीच पहुंची राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि आप सब के बीच आकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। दृष्टिबाधित लोगों को शिक्षण तथा प्रशिक्षण प्रदान करने और उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने के साथ-साथ समाज को उनके प्रति जागरूक बनाने में योगदान के लिए मैं इस संस्थान से जुड़े सभी लोगों की सराहना करती हूं।
उन्होंने कहा कि किसी देश या समाज की प्रगति का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि उस समाज के लोगों द्वारा दिव्यांगजनों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है। भारत का इतिहास संवेदनशीलता एवं समावेशिता के प्रेरक प्रसंगों से भरा पड़ा है। हमारी संस्कृति और सभ्यता में मानवीय करुणा एवं प्रेम के तत्व हमेशा रहे हैं।
राष्ट्रपति ने कहा राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 में दिव्यांग बच्चों को अन्य बच्चों के समान अच्छी शिक्षा के अवसर प्रदान करने का प्रावधान है। सुगम्य भारत अभियान के माध्यम से सरकार दिव्यांगजनों के सशक्तीकरण और समान भागीदारी के लिए प्रयत्नशील है। यह अभियान सुगम्य भौतिक वातावरण, परिवहन, सूचना एवं संचार पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने पर बल देता है।
उन्होंने कहा कि सरकार का यह प्रयास रहा है कि दिव्यांगजनों की पहुँच सरकारी भवनों, संस्थानों आदि में सुगम्य बनाई जाए। राष्ट्रपति भवन द्वारा भी दिव्यांगजनों के हित में अनेक कदम उठाए जा रहे हैं। आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि राष्ट्रपति भवन परिसर में एक ऐसा कैफे है जिसे दिव्यांग लोग चलाते हैं।
श्रीमती मुर्मू ने कहा इसी वर्ष, मार्च महीने में दिव्यांगजनों की प्रतिभा, उपलब्धियों और आकांक्षाओं का उत्सव मनाने के लिए राष्ट्रपति भवन के अमृत उद्यान में ‘पर्पल फेस्ट’ का आयोजन किया गया था। उस आयोजन का उद्देश्य विभिन्न विकलांगताओं और लोगों के जीवन पर पड़ने वाले उनके प्रभाव के बारे में जागरूक करना था। साथ ही, दिव्यांगजनों को समझने, उन्हें स्वीकार करने तथा समाज में समावेश को बढ़ावा देना भी था। मेरा मानना है कि दिव्यांगजनों को जीवन के हर क्षेत्र में प्रोत्साहित करने के प्रयास समाज द्वारा अवश्य किए जाने चाहिए।
उन्होंने कहा कि आज का युग विज्ञान और तकनीक का युग है। उन्नत तकनीक की सहायता से दिव्यांगजन भी मुख्यधारा में अपना योगदान देने में सक्षम हो सकते हैं। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि इस संस्थान द्वारा समावेशी शिक्षा प्रणाली एवं नवीनतम तकनीकी संसाधनों के माध्यम से विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास पर विशेष बल दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि शिक्षा, सशक्तीकरण का एक शक्तिशाली साधन है। शिक्षा के माध्यम से कोई भी व्यक्ति अपने सपनों को साकार कर सकता है और राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभा सकता है। मुझे यह जानकर बहुत खुशी हो रही है कि इस संस्थान के आदर्श विद्यालय के विद्यार्थी कंप्यूटर, गणित, विज्ञान, संगीत, नृत्य और खेलकूद जैसे विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हैं। छोटे-छोटे बच्चों द्वारा प्रस्तुत मनोरंजक सांस्कृतिक कार्यक्रम में हम सब ने उनकी प्रतिभा देखी है।
राष्ट्रपति ने कहा कि मैं सभी विद्यार्थियों को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं देती हूँ। आप अपने निर्धारित लक्ष्य को पाने के लिए पूरी लगन, मेहनत और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ें, आपको सफलता अवश्य मिलेगी। मुझे विश्वास है कि आप न केवल इस संस्थान का, बल्कि पूरे देश का गौरव बनेंगे। इस अवसर पर राज्यपाल पूर्व लेफ्ट जर्नल गुरमीत सिंह, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आदि मौजूद रहे।
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