19 जून को जब ईरान ने इज़राइल पर मिसाइल दागी, तो उसमें लोड था ‘क्लस्टर बम’, जिसे कई देश ‘इनह्यूमन’ कह चुके हैं। ईरान द्वारा क्लस्टर बम के इस्तेमाल की पुष्टि इजरायली सेना (IDF) ने की है। यह पहली बार है जब इस विवादास्पद हथियार का प्रयोग दोनों देशों के बीच संघर्ष में देखा गया है। आइए जानते हैं कि यह हथियार कितना खतरनाक है और इसे वैश्विक स्तर पर क्यों प्रतिबंधित करने की कोशिश की गई।
क्या होता है क्लस्टर बम..?
क्लस्टर बम एक ऐसे हथियार के रूप में जाना जाता है, जो एक बड़े बम से सैकड़ों छोटे-छोटे बमों को एक विशाल क्षेत्र में छोड़ता है। यह बम हवा में ही विस्फोट होकर अपने छोटे-छोटे उप-बमों को बिखेरता है, जो जमीन पर गिरने के बाद फटते हैं। इनका मकसद लक्ष्य को सीमित करना नहीं, बल्कि पूरे इलाके को तबाह करना है।
क्लस्टर बम के अन्दर कई छोटे छोटे बम होते हैं, इसलिए इसे बमों का गुच्छा भी कहा जाता है। यह किसी एक जगह जाकर नहीं फटता, बल्कि हवा में ही फटकर दर्जनों, कभी-कभी सैकड़ों (आकार पर निर्धारित) छोटे बम गिराता है। इनमें से कई बम तुरंत फट जाते हैं और कोई फटते नहीं, जो बाद में आम लोगों की ज़िंदगी के लिए खतरा बन जाते हैं। बच्चों के खिलौने जैसे दिखने वाले ये विस्फोटक सालों तक ज़मीन पर पड़े रह सकते हैं और अनगिनत जिंदगियां तबाह कर सकते हैं।
इजरायली सेना के अनुसार, ईरान का यह बम जमीन से सात किलोमीटर की ऊंचाई पर फटा, जिससे आठ किलोमीटर के दायरे में लगभग 20 छोटे बम बरस पड़े। इस घटना के बाद इजरायली होम फ्रंट कमांड ने आम नागरिकों को सतर्क करते हुए कहा कि किसी भी संदिग्ध वस्तु को छूने से बचें और तुरंत 100 नंबर पर सूचना दें।
क्यों विवादास्पद हैं क्लस्टर बम..?
क्लस्टर बम की सबसे बड़ी खामी यह है कि इनके कई छोटे बम युद्ध के दौरान फटे बिना ही जमीन पर पड़े रह जाते हैं। ये बम बाद में, जब कोई नागरिक या राहत कार्यकर्ता उनके संपर्क में आता है, तो विस्फोट कर देते हैं। इसी वजह से ये आम लोगों, खासकर बच्चों के लिए घातक है, जो जिज्ञासावश इनके पास जाते हैं। इसके अलावा, यह बम किसी खास लक्ष्य को निशाना बनाने के बजाय पूरे क्षेत्र में तबाही मचाता है, जिससे गैर-लड़ाकू आबादी को भारी नुकसान होता है।
2008 में लगाया गया बैन
यही कारण है कि इसे मानवाधिकार संगठनों ने लंबे समय से खतरनाक और अनैतिक माना है। इसके चलते ही 2008 में एक अंतरराष्ट्रीय संधि के तहत 111 देशों और 12 अन्य संस्थाओं ने एक संधि (क्लस्टर म्यूनिशन कन्वेंशन) पर हस्ताक्षर कर क्लस्टर बमों पर बैन लगाया। लेकिन जिन देशों के पास असली सामरिक शक्ति है— अमेरिका, रूस, चीन, भारत, ईरान और इज़रायल सहित 16 देशों ने भी राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर इस संधि पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया है।
क्या भारत करेगा इस्तेमाल.?
भारत ने अब तक आधिकारिक रूप से क्लस्टर बम के इस्तेमाल की पुष्टि नहीं की है, लेकिन भारत उन देशों में शामिल है जिन्होंने क्लस्टर म्यूनिशन कन्वेंशन पर हस्ताक्षर नहीं किए। भारत ने भी सुरक्षा कारणों का हवाला देकर इससे दूरी बनाई है, जिससे यह साफ है कि भविष्य में भारत अपनी सुरक्षा के लिए इनका उपयोग कर सकता है।
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