गत 13-15 जून को भाग्यनगर (हैदराबाद) में भारतीय शिक्षण मंडल के प्रांत प्रमुखों की बैठक आयोजित हुई। इसमें मणिपुर, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, जम्मू- कश्मीर, लद्दाख, झारखंड सहित देश के सभी राज्यों से 274 कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। इनमें विभिन्न विश्वविद्यालयों के 30 से अधिक कुलगुरु, राष्ट्रीय महत्व के शैक्षिक संस्थानों के निदेशक व प्रमुख शिक्षाविद् भी शामिल थे।
बैठक के उद्घाटन सत्र में त्रिपुरा के राज्यपाल एन. इंद्रसेना रेड्डी ने भारत केंद्रित व मूल्य आधारित शिक्षा प्रणाली को भारतीय शिक्षा प्रणाली में समाहित करने के लिए भारतीय शिक्षण मंडल द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि किसी भी राष्ट्र के विकास के लिए प्रौद्योगिकी और सांस्कृतिक मूल्य समान रूप से आवश्यक हैं।
भारतीय शिक्षण मंडल की अनुसंधान, प्रबोधन, प्रशिक्षण, प्रकाशन एवं संगठन पर आधारित कार्य-प्रणाली भारत के लिए उपयुक्त शैक्षिक संरचना की नींव है। विशिष्ट अतिथि और डी.आर.डी.ओ. के पूर्व अध्यक्ष डॉ. जी. सतीश रेड्डी ने कहा कि यह वह युग है, जब भारत वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में एक आत्मनिर्भर और सशक्त राष्ट्र के रूप में उभर रहा है। तकनीक किसी भी राष्ट्र के विकास का प्रमुख संकेतक होती है, और इसकी आधारशिला देश की शिक्षा व्यवस्था होती है।
भारतीय शिक्षण मंडल के अध्यक्ष डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि शिक्षण मंडल युवाओं को बौद्धिक योद्धाओं के रूप में तैयार कर राष्ट्र निर्माण की दिशा में निरंतर कार्य कर रहा है। अच्छे शिक्षकों के बिना उत्तम समाज की कल्पना नहीं की जा सकती। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में भारतीय शिक्षण मंडल के 70 प्रतिशत सुझावों को सम्मिलित किया गया है। बैठक में कुछ अन्य विषयों पर भी चर्चा हुई।
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