झारखंड में ईसा—मूसा दोनों हिंदुओं का कन्वर्जन कराने में लगे हैं। इस कारण कई स्थानों पर तनाव की स्थिति बन रही है। इसके साथ ही जागरूक हिंदू समाज ऐसे ईसाई या मुसलमान बने लोगों का सामाजिक बहिष्कार कर रहे हैं। उनका हुक्का—पानी बंद कर रहे हैं। इसे देखते हुए कई परिवार फिर से अपने मूल धर्म की ओर लौट रहे हैं। एक ऐसा ही मामला 17 जून को गुमला जिले में सामने आया। इस दिन यहां के सिसई प्रखंड के कुदरा गांव में ग्रामीणों की एक बैठक हुई। इसमें निर्णय लिया गया कि जो परिवार ईसाई बने हैं, उनका सामाजिक बहिष्कार किया जाए। इसका असर भी हुआ और चार परिवार घरवापसी के लिए तैयार हो गए।
बता दें कि लगभग एक वर्ष से रांची से एक पादरी रोजाना कुदरा जाता है। वहां वह चंगाई सभा करता है और उसकी आड़ में लोगों को उनके मूल धर्म से दूर कर उन्हें ईसाई बनाता है। देखते ही देखते गांव के 14 परिवार ईसाई बन गए। इससे चिंतित ग्रामीणों ने बैठक बुलाई और ऐसे लोगों का सामाजिक बहिष्कार करने का निर्णय लिया।
बैठक में ‘हिंदू जागरण’ के कार्यकर्ता संजय कुमार वर्मा ने कहा कि झारखंड में 2017 में धर्मांतरण निषेध कानून बना है। इसके बावजूद लोगों को छल—कपट से ईसाई बनाया जा रहा है। इसके लिए चंगाई सभा की आड़ ली जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि चंगाई सभा में बीमारियों का इलाज संभव है, तो फिर सरकार बड़े—बड़े अस्पताल क्यों बनवाती है! सरकार चंगाई सभाओं को रोके। ‘हिंदू जागरण’ के एक अन्य कार्यकर्ता उदय कुशवाहा ने कहा कि सिसई प्रखंड के कई गांवों में सरकारी जमीन पर चर्च बनाए जा रहे हैं। इसकी जांच होनी चाहिए।
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