ब्रिटेन में ग्रूमिंग गैंग्स को लेकर चल रही बहसों के बीच ब्रिटेन से एक बड़ा समाचार आया है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने दबाव के आगे झुकते हुए ग्रूमिंग गैंग्स मामले में अब राष्ट्रीय जांच की घोषणा की है। बीबीसी के अनुसार प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने कहा कि उन्होंने बच्चियों के साथ हुए यौन शोषण के पैमाने और प्रवृत्ति पर प्रमाण और आंकड़ों को लेकर बरोनेस लुइस केसी द्वारा किये गए ऑडिट की सिफारिश को स्वीकार कर लिया है।
लुइस ने यह कहा था कि पूरे देश में जांच कराए जाने की आवश्यकता है। इस जांच में इंग्लैंड और वेल्स शामिल होंगे। ग्रूमिंग गैंग्स को लेकर चल रही जांच की मांग में यह एक बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि कीर स्टार्मर की सरकार बार-बार राष्ट्रीय जांच की मांग को ठुकरा रही थी। इस वर्ष के आरंभ मे ही कीर स्टार्मर की सरकार ने राष्ट्रीय जांच से इंकार किया था।
क्या है ग्रूमिंग गैंग्स का मामला
जब ग्रूमिंग गैंग्स की बात करते हैं तो इसे नकारने वाला एक बड़ा वर्ग भी दिखाई देता है। जबकि यह भी सच है कि इस गैंग्स की पीड़िताए केवल मौजूद ही नहीं हैं, बल्कि वे खुलकर अपनी बातें भी कर रही हैं। मगर यह प्रश्न उठ सकता है कि आखिर ये ग्रूमिंग गैंग्स हैं क्या?
ब्रिटेन में मुस्लिमों का और विशेषकर पाकिस्तानी मुस्लिमों का एक समूह है, जिसने सुनियोजित तरीके से मध्यवर्गीय श्वेत लड़कियों को निशाना बनाया और प्यार और अंतत: देह व्यापार के जाल में फंसाया। वे उन लड़कियों पर निशाना साधते थे, जिनके घरों में कुछ समस्या होती थी। जैसे कोई पारिवारिक समस्या। जिन लड़कियों के घरों में पारिवारिक समस्याएं होती थीं, या फिर माता-पिता ध्यान नहीं देते थे, वे तोहफे या कुछ और चीजों के लालच में फंस जाती थीं और फिर जब वे जाल में पूरी तरह से फंस जाती थीं, तो उन्हें अपने किसी दोस्त या साथी को सौंप देते थे। लड़कियों को नशीली दवाइयों का आदी बनाया जाता था और फिर उनसे और भी अपराध कराए जाते थे। न जाने कितनी लड़कियां इस पूरे जाल में फंसकर बर्बाद हो गईं। असंख्य लड़कियों की हत्याएं भी हुईं। अस्सी के दशक में जब यह सब हो रहा था, उस समय पुलिस और प्रशासन मुस्लिमों पर इसलिए हाथ नहीं डालता था, क्योंकि उन्हें डर था कि उन पर इस्लामोफोबिया का टैग लग जाएगा। पुलिस पर यह आरोप लगेगा कि वह मुस्लिमों पर अत्याचार कर रही है। पुलिस यदि कार्यवाही करती भी थी तो अपराधियों पर नहीं, बल्कि पीड़िताओं को निशाना बनाती थी।
पीड़िताओं को अपराधी ठहरा दिया
कई मामलों में ऐसा हुआ कि लड़कियों को “चाइल्ड प्रोस्टीट्यूड” भी कहा गया। क्या बच्चियां कभी भी शरीर बेचने वाली हो सकती हैं? क्या महज दस या बारह साल की बच्ची शारीरिक संबंधों को लेकर हामी भर सकती है? कभी नहीं! मगर इस पूरे मामले में पीड़िताओं को लेकर यही कहा गया कि जिन लड़कियों ने यह काम किया, उन्होंने अपनी सहमति दी थी अर्थात consent दिया था।
सरकार ही लड़कियों के साथ नहीं थी
श्वेत लड़कियों के साथ दशकों तक शोषण हुआ, जिसमें उनके ही देश के लोग, मीडिया और सरकार उनके साथ नहीं थी। उस देश का कथित लिबरल मीडिया पूरे विश्व में हो रहे महिलाओं के शोषण पर बात करता था। मगर उसके ही अपने देश में लड़कियां कराह रही हैं, यह नहीं देखता था। एक पुलिसकर्मी ने इस गैंग की एक पीड़िता के विषय में कहा था, “वह बलात्कार के योग्य नहीं है!” और वह बच्ची केवल और केवल 13 वर्ष की थी। एक ऐसी धारणा बनाई गई कि जैसे छोटी लड़कियों ने अपने से बड़ी उम्र के आदमियों के साथ पैसे , ड्रग्स या फिर फ्राइड चिकन के लिए अपने से बहुत बड़ी उम्र के आदमियों के साथ सोना पसंद किया।
मैगी ओलिवर ने हार नहीं मानी
मैगी ओलिवर ने हार नहीं मानी थी और वे डटी रही थीं, ऐसे ही अनेक पत्रकार और अन्य लोग भी डट गए थे और उन लड़कियों की कहानी सामने लाने के लिए हर नतीजा भुगतने के लिए तैयार थे, जो इस पाकिस्तानी ग्रूमिंग गैंग्स का शिकार हो रही थीं। ऐसे भी नेता थे, जिन्होंने कथित डाइवर्सिटी के नाम पर इस कुकृत्य के विरोध मे आवाज नहीं उठाई थी। ग्रूमिंग गैंग्स के खिलाफ आवाज उठाने वाले टॉमी रॉबिन्सन ने एक्स पर ऐसी ही एक मुस्लिम सांसद का उल्लेख किया।
This is what guilt panic looks like.
Naz Shah promoted a tweet telling rape gang victims to "shut up for the sake of diversity".
Yvette Cooper stopped an inquiry.
Both here fighting to get me removed from YouTube.
Their time is coming.
pic.twitter.com/ktpsk0Jp1K— Tommy Robinson 🇬🇧 (@TRobinsonNewEra) June 16, 2025
उन्होंने लिखा कि नाज़ शाह ने एक पोस्ट किया था, जिसमें लिखा था कि रेप गैंग की पीड़िताओं को डाइवर्सिटी अर्थात विविधता के लिए अपना मुंह बंद रखना चाहिए। सांसद रूपर्ट लो ने इन पीड़िताओं के पिताओं का दर्द एक्स पर एक पोस्ट में साझा किया। उन्होंने लिखा कि मैं अक्सर इन लड़कियों के पिताओं के विषय में सोचता हूं। उन्होनें जो पीड़ा और कष्ट झेला है, वह इसलिए और बढ़कर है कि वे कुछ कर नहीं सकते। ये लड़कियां अक्सर अपने ही परिवार के विरोध में खड़ी हो जाती थीं।
I often think about the fathers of the raped girls. The pain and suffering those men must have gone through knowing what was being inflicted on their little girls, but being unable to act. Indescribable.
Brainwashed is the word that has come up in our inquiry.
The girls were…
— Rupert Lowe MP (@RupertLowe10) June 16, 2025
उन्होंने लिखा कि तोहफों, शराब, ड्रग और लालच के चलते वे मनोवैज्ञानिक और शारीरिक ऐसे जाल में फंसती थीं, जो बहुत बड़े स्तर पर फैला हुआ था। अब ऐसे में अपनी बेटियों की कल्पना करें। उनसे ऐसी बेटियों के पिताओं ने बात की और बताया कि जब उन्होंने अपनी बेटियों को बचाने का प्रयास किया तो उन्हें ही जेल जाना पड़ा। लोग अब कह रहे हैं कि अगर जांच हो तो अपराधियों को सजा मिले।
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