उत्तराखंड

हरिद्वार: निधि पासवान हत्याकांड में हैदर अली को फांसी, रिहान को उम्रकैद की सजा

हरिद्वार के रुड़की में निधि पासवान की हत्या के मामले में मुख्य आरोपी हैदर अली को फांसी और रिहान को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। एक तरफा प्यार में की गई इस हत्या में पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की। पीड़ित परिवार ने वकील संजीव वर्मा के निशुल्क सहयोग की सराहना की।

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उत्तराखंड ब्यूरो

हरिद्वार:  रुड़की की गंगनहर कोतवाली क्षेत्र के कृष्णानगर में अप्रैल 2021 में हैदर अली ने एक तरफा प्यार में अपने साथियों के साथ मिलकर एक घर में घुसकर निधि नाम की एक वंचित समुदाय की युवती की गला रेतकर हत्या करने वाले हैदर अली को फांसी की सजा सुनाई गई है। इसके साथ ही उसके साथी रिहान को उम्र कैद हुई है।

क्या है पूरा मामला

वंचित समुदाय की युवती की हत्या करने के मामले में पुलिस ने हैदर अली और उसके साथी रिहान को 4 साल पहले ही गिरफ्तार कर लिया था। इसके साथ ही एक नाबालिग को भी पुलिस ने हिरासत में लिया था। अपर जिला एवं सत्र न्यायधीश रुड़की की अदालत में हैदर अली को फांसी और रिहान को उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही दोनों पर 50-50 हजार का आर्थिक दंड भी लगाया है।

इसके साथ ही तीसरे आरोपी का मामला अभी अदालत में विचाराधीन है। बता दें कि सफरपुर गांव निवासी हैदर अली कृष्णानगर निवासी निधि नाम की एक दलित युवती से एक तरफा प्यार करता था। निधि के भाई दिनेश सिंह का आरोप है की हैदर अली निधि पर जबरन शादी का दबाव बना रहा था। लेकिन निधि ने इनकार कर दिया था। जिसके बाद हैदर अली ने शाहपुर गांव निवासी रिहान और एक अन्य नाबालिग साथी के साथ मिलकर घर में घुसकर निधि की गला रेतकर हत्या कर दी थी।

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मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने हैदर अली और रिहान को गिरफ्तार कर लिया था। इसके साथ ही पुलिस ने हैदर अली के एक नाबालिग साथी को भी हिरासत में ले लिया था। जिसके बाद हरिद्वार की अदालत ने हैदर अली को फांसी और रिहान को उम्र कैद की सजा सुनाई है। इसके साथ ही 50–50 हजार का आर्थिक दंड भी लगाया है। वहीं इस मामले में एक नाबालिग आरोपी का मामला अभी अदालत में विचाराधीन है।

अदालत के फैसले के बाद निधि के परिवार में खुशी का माहौल देखने को मिल रहा है। मुख्य आरोपी हैदर अली को फांसी की सजा मिलने के बाद पीड़ित परिवार ने अदालत के फैसले को सही बताया है। निधि की माता अनीता का कहना है कि हैदर अली को फांसी की सजा सुनाई गई है। मुझे तब और अच्छा लगेगा जब मैं अपनी आंखों से उसको फांसी पर लटका हुआ देखूंगी।

पीड़ित परिवार ने इस केस में उनके वकील रहे संजीव वर्मा को भी धन्यवाद दिया है। परिवार का कहना है कि एडवोकेट संजीव वर्मा के द्वारा पूरे केस में उनसे ₹1 भी नहीं लिया गया है। बल्कि पूरा केस पूरी तरह से निशुल्क लड़ा गया है। अनीता के भाई दिनेश सिंह ने कहा कि दोषियों को सजा दिलाने में एडवोकेट संजीव वर्मा ने अहम भूमिका निभाई है।

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