गत 5 जून को नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कार्यकर्ता विकास वर्ग (द्वितीय) संपन्न हुआ। समापन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम। इस दौरान अपने उद्बोधन में उन्होंने वनवासी समाज के सामने आ रहे संकटों समाज के सामने रखा। प्रस्तुत हैं वक्तव्य के संपादित अंश:
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मुझे कार्यकर्ता विकास वर्ग के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया, यह मेरे लिए बड़े सम्मान की बात है। मैं दो दिन से नागपुर में हूं और संघ के कार्यक्रम को नजदीक से देखने का मौका मिल रहा है। यहां आकर बहुत कुछ जानने, सीखने को मिला है।
संघ का यह शताब्दी वर्ष है। संघ एक लंबी यात्रा तय करके यहां तक पहुंचा है। मैं मानता हूं कि संघ ने देश सेवा, देश की अखंडता और सामाजिक समरसता के लिए जो काम किया, वह अद्भुत है। आज देश में वनवासी समाज एक बहुत कठिन दौर में गुजर रहा है और यह समस्या बढ़ती जा रही है।
वनवासी समाज के सामने सबसे बड़ी समस्या है कन्वर्जन। इसे किसी भी सरकार ने गंभीरता से नहीं लिया। वर्तमान और पिछली सरकारों ने सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप ही किए। इस दिशा में जो ठोस काम होना चाहिए, वह नहीं हुआ। मैं मानता हूं कि संघ इस पर जरूर कुछ करेगा और कुछ रास्ता दिखा सकता है। मैं यह भी जानता हूं कि संघ इस दिशा में बहुत पहले से काम कर रहा है। लेकिन इस विषय की गंभीरता को देखते हुए संघ से मेरा अनुरोध है कि अपनी रफ्तार को तेज करे। मैं मानता हूं कि संघ कन्वर्जन को गंभीरता से समझता है।
मैं बस्तर से आता हूं और यह इलाका दो प्रमुख समस्याओं से जूझ रहा है। पहला, नक्सलबाद और दूसरा, कन्वर्जन। इन दोनों समस्याओं की स्थिति बहुत विकट है। मैं चाहता हूं कि इसमें वनवासी समाज और संघ, दोनों मिलकर कुछ न कुछ करे। मैं इस बात के लिए प्रयासरत हूं कि संघ और समाज के बीच जो वैचारिक फासला है, वह कैसे कम हो, ताकि समाज को सही दिशा और मार्गदर्शन मिल सके।
आज वनवासी समाज में कन्वर्जन के बारे में काफी चर्चा हो रही है। इस विषय में हम सभी समाज को एकजुट करने की कोशिश में लगे हुए हैं। मैं समझता हूं कि इस कार्य में संघ के सहयोग के बिना कुछ नहीं किया जा सकता। इसलिए मैं इस मंच से संघ से निवेदन करना चाहूंगा कि विषय की गंभीरता को देखते हुए हमारी मदद करिए। दूसरी समस्या है नक्सली।
मैं भारत सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूं कि बहुत हद तक इसका समाधान बस्तर में हो गया है। पर मैं संघ को आगाह करना चाहता हूं कि अगर समस्या खत्म हो रही है तो उसके बाद क्या? इस पर भी गहनता से विचार करने की जरूरत है। इस पर सरकार को एक कार्य योजना के साथ देश के सामने आना चाहिए।
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