सिविल सेवकों का उद्देश्य जनजीवन में बदलाव हो : ओम बिड़ला
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सिविल सेवकों का उद्देश्य जनजीवन में बदलाव हो : ओम बिड़ला

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने एलबीएसएनएए मसूरी में सिविल सेवकों से समाज में करुणा, नवाचार और न्याय के साथ बदलाव लाने का आह्वान किया।

by उत्तराखंड ब्यूरो
Jun 12, 2025, 10:24 pm IST
in उत्तराखंड
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मसूरी । लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज कहा कि जनजीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाना ही सिविल सेवकों का मार्गदर्शक उद्देश्य होना चाहिए। उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे शासन में नवाचार और पारदर्शिता को प्रभावी उपकरण के रूप में अपनाएं, ताकि समाज की बेहतरी सुनिश्चित हो सके और आमजन की अपेक्षाओं की पूर्ति की जा सके।

लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए), मसूरी में 127वें इंडक्शन प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित करते हुए श्री बिरला ने कहा कि विशेषकर वंचित और हाशिए पर खड़े लोग प्रशासन से आशा रखते हैं और अधिकारियों का दायित्व है कि वे करुणा, निष्पक्षता और कर्तव्यबोध के साथ उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरें।

लोकसभा अध्यक्ष  ने एलबीएसएनएए को लोकतांत्रिक मूल्यों, सादगी और ईमानदारी का प्रतीक बताते हुए कहा कि यह संस्था राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। उन्होंने प्रशिक्षु अधिकारियों को “कर्मयोगी” संबोधित करते हुए उनसे आग्रह किया कि वे देश की प्रगति और जनकल्याण के लिए सक्रिय और संवेदनशील भूमिका निभाएं।

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि लोकतंत्र के तीन प्रमुख स्तंभों में कार्यपालिका की भूमिका बेहद अहम है। नीतियों के निर्माण के बाद उन्हें जमीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू करना अधिकारियों की जिम्मेदारी है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री का उल्लेख करते हुए कहा कि उनका जीवन, सादगी और विचार आज भी लोकसेवकों को प्रेरित करते हैं।

भारत की विविधता का उल्लेख करते हुए – भाषाई, सांस्कृतिक, भौगोलिक और सामाजिक – उन्होंने कहा कि देश ने इन विविधताओं के बावजूद सामूहिक भागीदारी पर आधारित एक मजबूत लोकतांत्रिक एवं प्रशासनिक व्यवस्था विकसित की है, जो विश्व भर में एक उदाहरण है।

उन्होंने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों का दायित्व केवल नीतियों का क्रियान्वयन नहीं, बल्कि समाज के सबसे कमजोर तबकों के जीवन में ठोस और सकारात्मक बदलाव लाना भी है। एक संवेदनशील और सहानुभूति से परिपूर्ण अधिकारी समाज की मानसिकता, व्यवहार और स्थानीय प्रशासन में गहरा परिवर्तन ला सकता है।

उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे स्वयं को केवल योजनाओं के क्रियान्वयनकर्ता न समझें, बल्कि वे समाज में बदलाव लाने वाले प्रतिनिधि बनें, जो विशेषकर आपदा या संकट की घड़ी में जनता की सेवा में अग्रणी भूमिका निभाएं। उन्होंने यह भी कहा कि न्याय और सेवा की भावना से प्रेरित कार्य करने वाले अधिकारी जनता के हृदय में बस जाते हैं और उनका सम्मान वर्षों तक बना रहता है।

लोकसभा अध्यक्ष ने अनुभव साझा करते हुए बताया कि कैसे जनसामान्य ने कई बार ऐसे अधिकारियों का समर्थन किया, जिनके तबादले राजनीतिक दबाव में किए गए थे। उन्होंने कहा कि हर छोटे-बड़े कार्य में आमजन की मदद करना, एक-एक आंसू पोंछना, लोक सेवा को सार्थकता प्रदान करता है। यदि प्रशासनिक कार्य ईमानदारी और संवेदनशीलता के साथ हो, तो नागरिकों को अपने जनप्रतिनिधियों के पास शिकायत लेकर जाने की आवश्यकता नहीं रह जाती।

उन्होंने सतत सीखने और प्रशिक्षण की महत्ता पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि बदलती तकनीकों, सामाजिक अपेक्षाओं और वैश्विक परिवर्तनों के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए अधिकारियों को निरंतर आत्ममंथन और उन्नयन की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रशिक्षण के दौरान अनुभवों का आदान-प्रदान, प्रशासनिक सोच को समृद्ध करता है और नई कार्यप्रणालियों को जन्म देता है।

अंत में लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि एक सच्चा लोकसेवक वही है, जिसकी सेवा का भाव हर नागरिक को यह महसूस कराए कि वह सुना और समझा गया है। उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे हर समस्या को व्यक्तिगत दायित्व मानते हुए समाधान सुनिश्चित करें और न्याय के माध्यम से समाज के अंतिम व्यक्ति तक सेवा पहुंचाएं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि सच्ची संतुष्टि व्यक्तिगत उपलब्धियों में नहीं, बल्कि दूसरों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में है।

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