भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर 8 जून से 14 जून तक करीब एक सप्ताह के लिए यूरोप के दौरे पर हैं। वे यूरोप के प्रमुख देशों फ्रांस, ब्रूसेल्स और बेल्जियम की यात्रा में जगह जगह भारत का पक्ष रखते हुए समर्थन जुटा रहे हैं और उन देशों के नेता खुलकर आतंकवाद के विरुद्ध खड़े हो रहे हैं। बेशक, यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब भारत ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में ऑपरेशन सिंदूर नाम से जिन्ना के देश में पल रहे आतंकवाद के विरुद्ध सैन्य अभियान शुरू किया है। इस ऑपरेशन के तहत भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू कश्मीर में स्थित आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया है।
यूरोपीय संघ और यूरोपीय आयोग के मुख्यालय वाले, ब्रूसेल्स में जयशंकर ने एक इंटरव्यू के दौरान दो टूक शब्दों में कहा, “अगर आतंकी ठिकाने पाकिस्तान के भीतर मौजूद हैं तो हम पाकिस्तान में भीतर जाकर ही हमला करेंगे।” उनका यह बयान भारत की आतंकवाद के प्रति ज़ीरो टॉलरेंस नीति को दर्शाता है। जयशंकर ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत की कार्रवाई आक्रामक नहीं बल्कि आत्मरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए है।
भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बेनकाब करने की रणनीति अपनाई है। इसके तहत सांसदों और राजनयिकों के सात प्रतिनिधिमंडल अमेरिका, यूरोप और अन्य देशों में भेजे गए थे, जिन्होंने वहां पूरी मजबूती से भारत का पक्ष रखा। इन प्रतिनिधिमंडलों ने यह स्पष्ट किया कि भारत की कार्रवाई आतंकवाद के खिलाफ है, न कि किसी देश के खिलाफ।

जयशंकर की वर्तमान यूरोप यात्रा का उद्देश्य भी यही है—भारत की विदेश नीति में आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख को दोहराना और रणनीतिक साझेदारों के साथ सहयोग को और मजबूत करना। फ्रांस, यूरोपीय संघ और बेल्जियम के नेताओं से मुलाकातों में आतंकवाद, रक्षा सहयोग, व्यापार और पर्यटन जैसे मुद्दों पर विस्तार से चर्चा चल रही है।
आपरेशन सिंदूर के तहत भारत की निर्णायक कार्रवाई को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में अधिकांशत: सकारात्मक प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। कुछ देशों ने भारत की आत्मरक्षा के अधिकार को स्वीकार किया है, जबकि कुछ ने जरूर क्षेत्रीय तनाव को लेकर चिंता जताई है। भारत ने स्पष्ट किया है कि उसकी कार्रवाई केवल आतंकवाद के खिलाफ है और वह क्षेत्रीय शांति का पक्षधर है।
दूसरी ओर, मुस्लिम बहुल देशों में भारत की छवि को लेकर भी चर्चा हुई है। कई प्रतिनिधिमंडलों ने सुझाव दिया है कि भारत को ओआईसी जैसे मंचों पर अपनी आवाज को और प्रभावशाली बनाना होगा, जिनमें पाकिस्तान के सदस्य होने के कारण भारत का पक्ष अक्सर अनसुना रह जाता है।
भारत के विदेश मंत्री का ब्रूसेल्स दौरा और ऑपरेशन सिंदूर, दोनों भारत की विदेश नीति में एक नए आत्मविश्वास और स्पष्टता के प्रतीक हैं। भारत अब न केवल आतंकी हमलों का जवाब सैन्य स्तर पर दे रहा है, बल्कि वैश्विक मंचों पर भी अपनी स्थिति को मजबूती से रख रहा है। जयशंकर का यह बयान कि ‘हम पाकिस्तान में भीतर जाकर हमला करेंगे’, केवल एक चेतावनी नहीं है, बल्कि यह भारत की नई रणनीतिक सोच का संकेत है—जहां सुरक्षा, कूटनीति और वैश्विक संवाद एक साथ चलते हैं।
भारत का यह रुख आने वाले समय में दक्षिण एशिया की भू-राजनीति को नई दिशा दे सकता है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बहुत स्पष्ट शब्दों में कहा भी है कि ऑपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ है, यह जारी है। जब तक पड़ोसी देश आतंकवाद और आतंकवादियों को पोसता रहेगा, भारत का सैन्य अभियान जारी रहेगा। अभी तो इसकी बस शुरुआत भर है।
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