क्या है साल्मोनेला..? : भारत ने बनाई टाइफाइड से बचाने वाली पहली स्वदेशी वैक्सीन, अब बारिश में बच्चों को मिलेगी सुरक्षा
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क्या है साल्मोनेला..? : भारत ने बनाई टाइफाइड से बचाने वाली पहली स्वदेशी वैक्सीन, अब बारिश में बच्चों को मिलेगी सुरक्षा

ICMR और भारत बायोटेक ने टाइफाइड-पैरा टाइफाइड के लिए दुनिया की पहली मिश्रित वैक्सीन विकसित की, जो 2026 तक गांव-गांव मुफ्त में पहुंचेगी।

by सौम्या सिंह
Jun 10, 2025, 02:25 pm IST
in भारत, स्वास्थ्य
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देश ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। अब भारत के बच्चों को बारिश के मौसम में फैलने वाली खतरनाक बीमारियों — टाइफाइड और पैरा टाइफाइड — से बचाने के लिए एक नई स्वदेशी वैक्सीन तैयार कर ली गई है। इस टीके का निर्माण भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR), भारत बायोटेक और बायोलॉजिकल ई की साझेदारी में किया गया है। यह साल्मोनेला टीका बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर उन्हें इन जानलेवा संक्रमणों से सुरक्षित रखेगा।

इस टीके की सबसे खास बात यह है कि इसे 2026 तक देश के हर ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र (PHC) तक पहुंचाने की योजना पर काम चल रहा है, ताकि गांवों में रहने वाले लाखों बच्चों को भी इसका लाभ मिल सके। बारिश के मौसम में गंदे पानी और दूषित भोजन के कारण टाइफाइड जैसी बीमारियां तेजी से फैलती हैं, और बच्चों में इनका खतरा सबसे ज्यादा होता है। ऐसे में यह टीका न सिर्फ एक वैज्ञानिक उपलब्धि है, बल्कि जनस्वास्थ्य की दिशा में एक बड़ा कदम भी है।

भारत ने टाइफाइड के खिलाफ एक ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के पश्चिम बंगाल स्थित राष्ट्रीय जीवाणु संक्रमण अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने दुनिया का पहला मिश्रित टाइफाइड टीका (Combination Typhoid Vaccine) विकसित किया है।

यह टीका टाइफाइड के लिए जिम्मेदार साल्मोनेला बैक्टीरिया के दो अलग-अलग स्ट्रेनों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है, जो इसे अब तक के सबसे उन्नत और प्रभावी टीकों में से एक बनाता है। अब तक टाइफाइड से बचाव के लिए जो टीके उपयोग में लाए जाते थे — जैसे कि वीआई पॉलीसेकेराइड वैक्सीन और टाइफाइड कंजुगेट वैक्सीन (TCV) वे मुख्य रूप से साल्मोनेला टाइफी नामक एक ही स्ट्रेन को निशाना बनाते थे। लेकिन इस नए मिश्रित टीके में उन दोनों प्रमुख स्ट्रेनों के खिलाफ सुरक्षा देने की क्षमता है, जो टाइफाइड और पैरा टाइफाइड दोनों के संक्रमण फैलाते हैं।

📢 A milestone for #MedicalInnovationsPatentMitra! Successfully facilitated its first technology transfer to M/s. Panacea Biotec Ltd. on 4th June 2025 at ICMR Headquarters..
Licensed: 🧬 Salmonella vaccine by ICMR-NIRBI (erstwhile ICMR-NICED) pic.twitter.com/hgWkcJkipA

— ICMR (@ICMRDELHI) June 6, 2025


क्या है इसका महत्व?

  • यह वैक्सीन व्यापक सुरक्षा देगा टाइफाइड और पैरा टाइफाइड दोनों से
  • यह नवाचार दुनिया के पहले ऐसे टीके के रूप में दर्ज हो गया है
  • इसका इस्तेमाल भारत ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी गेम-चेंजर साबित हो सकता है
  • भारत के वैज्ञानिकों की यह उपलब्धि न केवल देश के लिए गर्व की बात है, बल्कि यह वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली के लिए भी एक नई दिशा तय करती है। आने वाले वर्षों में यह टीका लाखों बच्चों की ज़िंदगी बचाने में मदद करेगा।

मानसून में फैलने वाली बीमारियों के खिलाफ भारत की नई ढालः  साल्मोनेला का स्वदेशी टीका

हर साल बारिश के मौसम में जब नालों का पानी उफनता है और सड़कें कीचड़ से भर जाती हैं, तब सिर्फ रास्ते नहीं, ज़िंदगियां भी फिसलने लगती हैं। खासकर ग्रामीण इलाकों में रहने वाले बच्चों पर इसका असर सबसे ज्यादा होता है। दूषित पानी और खुले में रखे खाने से फैलने वाली बीमारियों टाइफाइड और पैरा टाइफाइड की चपेट में हर साल लाखों बच्चे आ जाते हैं। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के डायरेक्टर जनरल डॉ. राजीव बहल ने बताया कि हर साल पूर्वी उत्तर प्रदेश से लेकर पश्चिम बंगाल और झारखंड तक, मानसून के दौरान साल्मोनेला जनित संक्रमण बड़ी संख्या में सामने आते हैं। इनमें टाइफाइड, पैरा टाइफाइड और डायरिया जैसे रोग प्रमुख हैं, जो बच्चों के लिए जानलेवा भी साबित हो सकते हैं।

गंदा पानी, खुले में रखी खाद्य सामग्री और सफाई की कमी इन बीमारियों के सबसे बड़े कारण हैं। ऐसे में ICMR, भारत बायोटेक और बायोलॉजिकल ई की साझेदारी से बना स्वदेशी साल्मोनेला वैक्सीन एक बड़ी राहत लेकर आया है। इस नए टीके की सबसे खास बात यह है कि यह साल्मोनेला के तीनों प्रमुख प्रकारों के खिलाफ एक साथ सुरक्षा प्रदान करता है — यानी यह टाइफाइड, पैरा टाइफाइड और डायरिया से बचाव में कारगर है। अब तक इस वैक्सीन की पहुंच सीमित थी बड़े शहरों और निजी हॉस्पिटल्स तक। लेकिन अब यह स्थिति बदलने जा रही है। यह कदम विशेष रूप से उन परिवारों के लिए राहत लेकर आया है, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और जिनके पास निजी इलाज का विकल्प नहीं होता।

भारत ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक और बड़ा कदम उठाया है। देश का पहला स्वदेशी साल्मोनेला टीका अब तैयार है, जो 9 महीने से 14 साल तक के बच्चों को टाइफाइड और पैरा टाइफाइड जैसी खतरनाक बीमारियों से सुरक्षा देगा। यह टीका खासतौर पर ग्रामीण भारत को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है, जहां हर साल बारिश के मौसम में दूषित पानी और भोजन के कारण बच्चे बीमार पड़ते हैं। अब यह टीका उन गांवों में एक स्वास्थ्य क्रांति लाने जा रहा है, जहां बीमारियों का इलाज मिलना भी09:18 AM

कई बार मुश्किल हो जाता है। इस टीके की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे सिर्फ 4 डिग्री तापमान पर भी लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। यानी उन गांवों में भी जहां बिजली की सुविधा नियमित नहीं है, यह वैक्सीन बिना खराब हुए सुरक्षित रूप से स्टोर और वितरित की जा सकेगी।

देश के सभी गांवों तक पहुंचेगा टीका

अब तक जिस वैक्सीन की कीमत 1500 रुपये से ज्यादा थी और जो केवल निजी अस्पतालों में ही उपलब्ध थी, वही साल्मोनेला टीका अब भारत के गांव-गांव तक मुफ्त में पहुंचेगा। यह बदलाव देश के उन लाखों बच्चों के लिए एक नई रोशनी की तरह है, जो हर साल टाइफाइड और पैरा टाइफाइड जैसी जानलेवा बीमारियों का शिकार होते हैं। ICMR के वरिष्ठ वैज्ञानिकों का कहना है कि यह टीका अब यूनिसेफ के सहयोग से 2026 तक 10,000 से ज्यादा ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों (PHCs) पर उपलब्ध कराया जाएगा। यानी अब दूर-दराज के इलाकों में भी यह सुरक्षा कवच बिना किसी खर्च के हर बच्चे तक पहुंचेगा।

साल्मोनेला : एक अदृश्य दुश्मन, भारत ने तैयार की अपनी ढाल

क्या आप जानते हैं कि हर साल लाखों लोग जिस टाइफाइड जैसी बीमारी से जूझते हैं, उसका असली जिम्मेदार कौन है? इसका नाम है- साल्मोनेला। यह कोई बड़ा जीव नहीं, बल्कि एक सूक्ष्म जीवाणु (बैक्टीरिया) है। छड़ी जैसी बनावट वाला यह बैक्टीरिया दिखने में बहुत छोटा होता है सिर्फ 0.7 से 1.5 माइक्रोमीटर लंबा। लेकिन इसके असर इतने बड़े होते हैं कि शरीर को कमजोर कर देते हैं। साल्मोनेला की सतह पर झिलमिलाते बालों जैसे फ्लैजेला (flagella) होते हैं, जिनकी मदद से यह शरीर के भीतर तेजी से हिल-डुलकर फैल सकता है। इसके कुछ सीरोटाइप, दूषित भोजन या गंदे पानी के ज़रिए शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और पेट व आंतों में संक्रमण, सूजन और तेज़ बुखार पैदा करते हैं।

खासकर बच्चे और बुज़ुर्ग इसके सबसे आसान शिकार होते हैं। समय पर इलाज न मिले तो ये संक्रमण जानलेवा भी साबित हो सकता है। लेकिन अब इस अदृश्य और खतरनाक दुश्मन के खिलाफ भारत ने एक मजबूत जवाब तैयार कर लिया है एक स्वदेशी वैक्सीन, जो भारत बायोटेक और बायोलॉजिकल ई की वर्षों की मेहनत का परिणाम है। यह वैक्सीन साल्मोनेला के कई स्ट्रेनों के खिलाफ एक साथ सुरक्षा प्रदान करती है यानी अब टाइफाइड, पैरा टाइफाइड और उससे जुड़ी जटिलताओं से बचाव संभव है।

Topics: ICMR Biotech Vaccineभारत की टाइफाइड वैक्सीनस्वदेशी वैक्सीन टाइफाइडBiological E Vaccineभारत बायोटेक साल्मोनेलाCombination Typhoid VaccineVaccine For Monsoon DiseasesRural Health Vaccine IndiaTyphoid Vaccine IndiaSalmonella Vaccine
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