ओलंपिक्स में अपने कथित खेल के चलते चर्चा में आए अल्जीरिया के बॉक्सर ईमान खलीफ़ को लेकर वर्ल्ड बॉक्सिंग ने एक घोषणा की है। वर्ल्ड बॉक्सिंग ने अपनी नई नीति की घोषणा शुक्रवार को की और उसमें विशेषकर ईमान खलीफ़ का उल्लेख किया।
इस नई नीति के अनुसार अब हर खिलाड़ी को जेन्डर जांच से होकर गुजरना होगा। यह प्रमाणित करना होगा कि वह लड़की है, तभी वह लड़कियों की प्रतिस्पर्धा में भाग ले पाएगी। इस नीति के अंतर्गत 18 वर्ष से अधिक के सभी खिलाड़ी, जो भी वर्ल्ड बॉक्सिंग के स्वामित्व वाली या उसके द्वारा स्वीकृत प्रतिस्पर्धाओं में भाग लेना चाहते हैं, उन्हें एक पीसीआर अर्थात polymerase chain reaction genetic test करवाना होगा, जिससे यह पता लगाया जा सके कि जन्म के समय उनका लिंग क्या था और प्रतिस्पर्धा मे भाग लेने की उनकी पात्रता क्या है।
इस परीक्षण में कुछ विशेष जेनेटिक तत्व का पता लगाया जाता है। इस मामले में SRY जीन का पता लगाया जाता है, जो वाई क्रोमोसोम की उपस्थिति को बताता है और जो जैविक लिंग का संकेतक होता है। इसे थूक या खून के नमूने लेकर पता लगाया जा सकता है।
इस जांच के बाद ही अब किसी भी खिलाड़ी को महिलाओं की प्रतिस्पर्धा में भाग लेने की अनुमति मिलेगी। इसे लेकर जो पत्र मीडीया पर वायरल है उसके अनुसार इसमें वर्ल्ड बॉक्सिंग द्वारा अल्जीरिया की बॉक्सिंग फेडरेशन को यह पत्र लिखा है कि ईमान खलीफ़ एनदहोवेन बॉक्स कप या किसी भी अन्य विश्व बॉक्सिंग प्रतिस्पर्धा में तब तक भाग नहीं ले सकेगा जब तक कि वह सेक्स परीक्षण नहीं कराता है।
ईमान खलीफ़ ने पेरिस ओलंपिक्स में जब लगातार जीत दर्ज की थी और कई महिला बॉक्सर या तो खेलने से पहले या कुछ ही सेकंड के बाद हार मान बैठी थीं, उसके बाद से ही लगातार बहस उठ रही थी कि ईमान खलीफ़ महिला नहीं है।
मगर ईमान खलीफ़ का कहना है कि वह एक महिला ही हैं। अलजजीरा के अनुसार मार्च में खलीफ़ ने कहा था “मेरे लिए मैं किसी भी और लड़की की तरह खुद को लड़की के रूप में ही देखता हूँ। मैं एक लड़की के रूप में पैदा हुई, एक लड़की के रूप में मेरा पालनपोषण हुआ और मैने एक लड़की के रूप में ही जीवन बिताया है।“
उसके बाद उसने कहा था कि उसने कई प्रतिस्पर्धाओं में भाग लिया जैसे टोक्यो इलम्पिकस और अन्य प्रतिस्पर्धाओं में। मगर जब से उसने जीतना शुरू किया, तभी से लोग उसके विरोधी हो गए हैं। ईमान अपने आप को लड़की ही कहता है। मगर लोगों का कहना है कि वह किसी भी प्रकार से लड़की नहीं है।
वर्ल्ड बॉक्सिंग के इस निर्णय का सोशल मीडिया पर स्वागत हो रहा है। महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ने वाले लोग इस निर्णय से प्रसन्न हैं। ओलंपिक्स मेडलिस्ट शेरोन डेविस ने एक्स पर लिखा कि “यह नहीं भूलना चाहिए कि ईमान खलीफ़ जानता था कि वह पुरुष है और साथ ही उसके समर्थक और कोचिंग टीम भी, मगर फिर भी उन्होनें परवाह नहीं की। वे महिला बॉक्सर्स के साथ लगातार लड़ते रहे। उन्होनें लिखा कि उन्हें ईमान के साथ सहानुभूति नहीं है, बल्कि उन्हें उन महिलाओं पर तरस आ रहा है, जिन्हें उसने आईओसी की कायरता के चलते हराया।
ईमान खलीफ़ का विरोध पेरिस ओलंपिक्स के समय से ही हो रहा था और लोग प्रश्न उठा रहे थे कि महिलाओं की प्रतिस्पर्धा में वह कैसे भाग ले सकता है। मगर उसने अपनी जीत के बाद कई लोगों को कानूनी नोटिस भी भेजा था, हालांकि उसकी लैंगिक पहचान को लेकर सवाल लगातार जारी रहे थे।
उसकी कई तस्वीरें भी ऐसी सोशल मीडिया में और मीडिया में आ रही थीं, जिनमें वह कहीं से भी महिला नहीं दिख रहा था। ओलंपिक्स में गोल्ड मेडल जीतने के बाद जिस तरह से उसके कोच के कंधे पर बैठी हुई उसकी तस्वीर वायरल हुई थी, उससे भी लोगों ने प्रश्न उठाए थे कि क्या मुस्लिम महिलाएं इस प्रकार गैर मर्द के कंधे पर बैठ सकती हैं?
टेलीग्राफ में खेलकूद विषयों पर लिखने वाले ओलिवर ब्राउन ने भी एक्स पर पोस्ट लिखा कि “ओलंपिक्स में सबसे खतरनाक खेल में लिंग की असलियत जानने को लेकर नौ महीने का समय नहीं लगना चाहिए था। पिछले साल पेरिस में जो हुआ वह एक घोटाला था और अंतत: बॉक्सिंग को यह तथ्य पता चल ही गया कि महिलाएं अपने शरीर से प्रतिस्पर्धा करती हैं, न कि उनके पासपोर्ट्स!”
कई महिलाओं और संगठनों ने इस निर्णय का स्वागत किया है। देखना होगा कि अपने आप को लड़की कहने वाले ईमान खलीफ़ या उनके कोच या फिर अल्जीरिया बॉक्सिंग फेडरेशन इस परीक्षण के लिए तैयार होते हैं या नहीं। अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रही महिलाएं कह रही हैं कि यह उनकी जीत है कि ईमान खलीफ़ और उसके जैसे लोगों को लिंग की जांच किसी भी प्रतिस्पर्धा में भाग लेने से पहले करवानी होगी।
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